पश्चिम बंगाल में मिड डे मील योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए एक पैनल के गठन के कुछ दिन बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अब भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परिषद (CAG) से पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री पोषण योजना के विशेष कार्यान्वयन को लेकर विशेष ऑडिट करने को कहा है।
मंत्रालय के अनुसार पश्चिम बंगाल में पीएम पोषण योजना के फंड के कथित रूप से दुरुपयोग करने की शिकायत सामने आई है। साथ ही योजना की सफलता सुनिश्चित करने वाले मानकों का अनुसरण ना किए जाने के उदाहरण भी सामने आए हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय ने CAG से बीते 3 वित्तीय वर्षों में फंड के कथित दुरुपयोग का विशेष ऑडिट करने का आग्रह किया है। इस ऑडिट में योजना के अनुपालन, प्रदर्शन और वित्तीय लेखा-जोखा पर जोर दिया जाएगा। साथ ही मंत्रालय CAG की रिपोर्ट के आधार पर योजना में सुधारात्मक कदमों का निर्णय करेगा।
इससे पहले 13 जनवरी, 2023 को मंत्रालय द्वारा योजना के विभिन्न पहलुओं की जांच करने के लिए संयुक्त समीक्षा मिशन (JRM) का आरंभ किया गया था। जिसमें ‘राज्य से स्कूलों में धन प्रवाह’ से लेकर ‘जिला-स्तरीय समिति की बैठक आयोजित करना’ शामिल था।
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JRM की शुरुआत पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेन्दु अधिकारी द्वारा केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखे जाने के बाद की गई जिसमें उन्होंने प्रदेश की तृणमूल सरकार पर मिड-डे मील भोजन के फंड में गबन करने का संदेह जताया गया था। विपक्ष के नेता के अनुसार योजना के अंतर्गत केंद्र द्वारा जारी फंड का ममता बनर्जी की सरकार द्वारा अपने कामों में उपयोग किया गया है। इसके बाद पैनल के सदस्यों द्वारा पश्चिम बंगाल का दौरा भी किया गया था।
ज्ञात हो कि पीएम पोषण योजना के सही क्रियान्वयन के लिए जो दिशा-निर्देश जारी किए गए उसके अनुसार JRM द्वारा हर साल आठ से 10 राज्यों का दौरा कर के राज्य, जिला और स्कूल स्तरों पर परिभाषित मापदंडों पर योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा की जाएगी। हालांकि, 2020 में पश्चिम बंगाल के लिए JRM की यात्रा को स्थगित करना पड़ा था।
पश्चिम बंगाल के संदर्भ में JRM की आखिरी रिपोर्ट वर्ष 2015 की है जिसमें राज्य में मिड-डे मील योजना के क्रियान्वयन के सकारात्मक पहलू सामने आए थे। इसमें पश्चिम बंगाल की प्रशंसा के साथ ही कुछ परेशानियों को चिन्हित किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार राज्य में उस समय तक 30% स्कूल किराए के घरों में चलाए जा रहे थे जहाँ मालिक इमारत के अंदर खाना पकाने की अनुमति नहीं देते थे और सभी गाँव के स्कूलों में रसोई और खाने की उचित जगह नहीं है।
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उल्लेखनीय है कि पीएम पोषण योजना का संचालन स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा किया जाता है। प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर ही केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को फंड का वितरण किया जाता है। इस फंड के आधार पर ही राज्य कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को गर्म भोजन उपलब्ध करवाते हैं।
योजना में केंद्र-राज्यों और विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेशों के बीच खाने से संबंधित व्यय को 60:40 के अनुपात में साझा किया जाता है। साथ ही केंद्र और पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के बीच ये व्यय का अनुपात 90:10 रखा गया है। हालांकि, अनाज की पूरी लागत का भार केंद्र सरकार ही वहन करती है। शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पीएम पोषण योजना के अंतर्गत देशभर के सरकारी विद्यालय एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों के 11 करोड़ 80 लाख बच्चों को लाभ मिलता है।