केंद्र सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए भारत से बाहर कफ सिरप के निर्यात पर नए आदेश जारी किए हैं। केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी करके साफ़ किया है कि अब देश से बाहर कफ़ सिरप का निर्यात जांच के बाद ही होगा। डायरेक्टर जनरल और फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने 22 मई को इस सम्बन्ध में एक आदेश जारी किया है।
केंद्र का यह फैसला काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीते कुछ समय में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने तीन बार भारत में निर्मित कफ सिरपों को लेकर चेतावनी जारी की है। वर्ष 2022 में गाम्बिया में भारत में निर्मित कुछ कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत का आरोप WHO ने लगाया था। हालांकि जांच में यह बात सिद्ध नहीं हो सकी थी।
इसके पश्चात उज्बेकिस्तान और हाल ही में माइक्रोनेशिया और मार्शल आइलैंड्स में भी विषाक्त सिरप मिलने का मामला सामने आया था, बताया गया था कि सिरप भारत में बनी थी।
इन तीनों मामलों में सामने आने वाले दवाइयां कफ सिरप ही थीं। अब केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी करके इनके निर्यात से पहले जांच की बात कही है। अब निर्यात से पहले निर्यातकों को अपने कफ सिरप के लिए देश की किसी केन्द्रीय ड्रग टेस्टिंग लैब या मान्यताप्राप्त लैब से प्रमाणपत्र लेना होगा।
केंद्र सरकार के इस आदेश के पीछे का कारण WHO द्वारा लगातार भारत में निर्मित दवाओं का नाम उछालना है जिससे भारत के फार्मा उद्योग की छवि पर असर पड़ता है। WHO द्वारा उठाए गए तीनों मामलों में कई जानकारियों का अभाव रहा था और WHO भी अधिक जानकारी नहीं दे सका था।
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गाम्बिया में भारतीय सिरप से बच्चों की मौत के मामले में द पैम्फलेट ने मामले की तह तक जाकर यह बताया था कि बच्चों की मौत के पीछे का कारण एक बैक्टीरिया था ना कि सिरप। बाद में केंद्र सरकार ने राज्यसभा में दिए गए एक जवाब में बताया था कि दवा बनाने वाली कंपनी मेडन फार्मा की दवा को जांच में सही पाया गया था।
वहीं, उज्बेकिस्तान वाले मामले पर अधिक जानकारी नहीं सामने आ सकी थी जबकि मार्शल आइलैंड्स और माइक्रोनेशिया में मिली विषाक्त कफ सिरप को लेकर इन्हें बनाने वाली पंजाब स्थित कंपनी के मालिक ने द पैम्फलेट से बातचीत में कहा था कि उन्होंने दवा को इन देशों में भेजा ही नहीं था जहाँ यह पाई गई है। उनका कहना था कि दवाओं को कम्बोडिया भेजा गया था। द पैम्फलेट द्वारा WHO को भेजे गए प्रश्नों का उसने साफ़ जवाब नहीं दिया था। केंद्र सरकार द्वारा जारी किया गया यह आदेश 1 जून से लागू होगा।
नए आदेश के लागू होने के बाद निर्यात होने वाली सिरप की गुणवत्ता रिपोर्ट अब सरकार के पास पहले ही होगी ऐसे में WHO या अन्य किसी संस्थान द्वारा सवाल उठाने पर आगे की जांच में आसानी हो सकेगी।
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