पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) का वादा कर के सत्ता में आए दलों की मुश्किलें निकट भविष्य में बढ़ने वाली हैं। केंद्र सरकार ने नई पेंशन स्कीम (NPS) के तहत केंद्र के पास जमा पैसे को राज्यों को लौटाने के किसी भी प्रावधान से मना कर दिया है। यह जानकारी आज केंद्र सरकार ने संसद में दी।
पुरानी पेंशन स्कीम का मुद्दा पिछले कई विधानसभा चुनावों से गैर-भाजपाई दलों के राजनीति के केंद्र में है। चाहे पंजाब में पुरानी पेंशन स्कीम का वादा करके सत्ता में आई आम आदमी पार्टी हो या हिमाचल में पुरानी पेंशन स्कीम का वादा करके सत्ता में आई कॉन्ग्रेस, दोनों की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं।
इसके अतिरिक्त, चुनावी राज्यों में राजनीतिक बढ़त लेने के लिए पुराने पेंशन स्कीम को लागू करने का फरमान जारी करने वाली छत्तीसगढ़ और राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकारों का भी यह मंसूबा पूरा नहीं होता दिख रहा है। गौरतलब है कि इन राज्यों में अभी तक नई पेंशन स्कीम लागू है, जिसको खत्म करके यह राज्य पुराने पेंशन स्कीम को लाना चाहते हैं।
OPS पर क्या कहा केंद्र सरकार ने?
केंद्र सरकार ने लोक सभा के प्रश्नकाल के के दौरान सांसद असदुद्दीन ओवैसी के द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत कराड ने यह जानकारी दी कि राजस्थान, छतीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने केन्द्रीय पेंशन एजेंसी PFRDA को सूचित किया है कि वह अब पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को लागू करने जा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, पंजाब में भगवंत मान की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने राज्य कर्मचारियों के लिए OPS लागू करने के लिए अधिसूचना जारी की है।
इनमें से पंजाब के अतिरिक्त सभी राज्यों ने यह प्रस्ताव भेजा है कि उनके राज्य कर्मचारियों का पैसा, जो कि केंद्र के नई पेंशन स्कीम के पेंशन फंड में जमा है उसे उन्हें लौटाया जाए।
जबकि केंद्र सरकार का यह रुख है कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत निकासी और आहरण विनियम, 2015 तथा पेंशन निधि विनियामक और विकास अधिकरण अधिनियम , 2013 में ऐसा कोई नियम नहीं है जिसके अंतर्गत नई पेंशन स्कीम का पैसा राज्यों को लौटाया जाए।
साथ ही सरकार ने यह भी जवाब दिया कि केंद्र सरकार की अभी ऐसी कोई योजना नहीं है कि OPS को केंन्द्र के स्तर पर लागू किया जाए।
कहाँ फंसा है पेंच?
राज्य सरकारों के OPS लागू करने के फैसले में कई पेंच हैं। यही वजह है कि भले ही राज्यों ने इसका ऐलान लम्बे समय से कर दिया हो पर उसका कार्यान्वन अभी तक वह धरातल पर नहीं कर पाए हैं।
OPS के तहत किसी भी राज्य या केन्द्रीय कर्मचारी को उसकी सेवानिवृत्ति के के समय की तनख्वाह का 50% निश्चित तौर पर पेंशन के रूप में दिया जाता है। इसमें समय के साथ वृद्धियां भी होती हैं।
वहीं नई पेंशन स्कीम के अंतर्गत कर्मचारियों को अपनी तनख्वाह में से न्यूनतम 10% धनराशि नई पेंशन स्कीम के तहत एक फंड में जमा करना होता है, इसमें इतना ही हिस्सा समबन्धित सरकार डालती है। इस फंड को बाद में बाजार में लगाया जाता है जिससे अच्छा लाभ मिल सके। यह निवेश भी लम्बे समय के लिए किए जाते हैं, ऐसे में इनका बीच में तोड़ा जाना संभव नहीं है।
ऐसे में बाजार में लगे पैसे को निकालने में केंद्र सरकार ने असमर्थता जताते हुए राज्यों को नियमों का हवाला दिया है।
बढ़ सकती है राज्यों की समस्या
संसद में दिया गया यह उत्तर अब राज्य सरकारों के उस दावे को की जमीनी हकीकत को सामने लाएगा जहाँ यह वादा किया गया था कि सत्ता में आने पर वह पुरानी पेंशन स्कीम(OPS)को लागू करेंगें।
जो राज्य पुरानी पेंशन स्कीम(OPS) को लागू कर चुके हैं वह भी आगे कर्मचारियों के विरोध का सामना करने वाले हैं। कई राज्यों में कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन भी किये हैं कि अभी तक पुरानी पेंशन स्कीम सिर्फ कागजों में ही एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर का चक्कर लगा रही है और इसे धरातल पर नहीं उतरा जा सका है।
हिमाचल में नई नवेली कॉन्ग्रेस सरकार की जीत के पीछे यह वादा एक बड़ा फैक्टर माना जा रहा है, ऐसे में अगर वह तकनीकी कारणों से यह वादा पूरा करने में असफल रहते हैं तो उनकी राजनीतिक जड़ें खिसकने वाली है।