वित्त वर्ष 2022-23 से संबंधित अधिकाँश आंकड़े अब सामने आ चुके हैं। केंद्र सरकार के खर्चे और कमाई से जुड़ी हुई एक रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2022-23 में किसानों को सस्ते उर्वरक उपलब्ध कराने और देश के गरीबों को मुफ्त अनाज मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने 2.1 लाख करोड़ रुपए सब्सिडी के तौर पर अतिरिक्त खर्चे हैं।
केंद्र सरकार द्वारा यह खर्च वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में प्रस्तावित नहीं था। इस सब्सिडी पर अनुमान से अधिक खर्च करने के बावजूद केंद्र सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य भी प्राप्त किया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और महालेखा नियंत्रक द्वारा जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) जीडीपी का 6.4% रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में यह 6.75% था जिसे केंद्र सरकार लगातार कम करने का प्रयास कर रही थी और वित्त वर्ष के अंत तक इसे 6.4% के स्तर पर लाने का लक्ष्य रखा था।
जब किसी सरकार द्वारा अपने खर्चों को पूरा करने के लिए अपनी आय के अतिरिक्त धनराशि उधार के तौर पर बाजार से जुटाई जाती है तो इसे ही राजकोषीय घाटा या फिस्कल डेफिसिट कहा जाता है। आम तौर पर सरकारें अपने बजट में प्रावधान करती हैं कि एक वित्त वर्ष के दौरान किए जाने वाले खर्चों को वह किन स्रोतों से पूरा करेंगी और कितना कर्ज लेंगी।
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वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश का राजकोषीय घाटा 17.33 लाख करोड़ रुपए रहा है। केंद्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2022-23 में किया गया कुल खर्चा 41.89 लाख करोड़ रुपए रहा है जबकि उसकी कुल आय 24.56 लाख करोड़ रुपए रही है। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटे को 5.9% पर लाने का लक्ष्य रखा है।
रिजर्व बैंक द्वारा जारी की गई रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान यूक्रेन-रूस युद्ध चालू होने के कारण कच्चे तेल और गैस की कीमतें बढ़ी पर नागरिकों पर इसका ज्यादा असर ना पड़े इसके लिए सरकार ने अपनी एक्साइज ड्यूटी में पेट्रोल में 8 और डीजल में 6 रुपए की कमी की, इसका असर सरकार के राजस्व पर पड़ा।
इसी दौरान युद्ध के कारण उर्वरकों की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई। भारत अपनी उर्वरकों की आवश्यकता का एक बड़ा हिस्सा रूस और अन्य देशों से आयात करता है। किसानों को सस्ते दर पर उर्वरक मिलता रहे और उन्हें कोई समस्या ना हो इसके लिए भी केंद्र सरकार ने सब्सिडी बढ़ाई। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान पहले निर्धारित की गई सब्सिडी से 1.2 लाख करोड़ रुपए अधिक उर्वरक सब्सिडी पर खर्चे।
केंद्र सरकार ने देश की बड़ी आबादी को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने के लिए भी अतिरिक्त सब्सिडी प्रदान की। सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 80 हजार करोड़ रुपए खाद्य सब्सिडी पर खर्चे हैं और साथ ही उज्ज्वला योजना के तहत प्रति गैस सिलेंडर पर सब्सिडी के लिए भी 200 रुपए उपलब्ध कराए हैं।
इन सभी सब्सिडी को मिलाकर केंद्र सरकार को 2.1 लाख करोड़ रुपए अधिक खर्चने पड़े हैं। इन खर्चों की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार ने दिसम्बर 2022 में संसद में अनुपूरक बजट भी पेश किया था। यह बजट अनुपूरक बजट 3.25 लाख करोड़ रुपए का था।
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वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान केंद्र सरकार ने लगभग 5.3 लाख करोड़ रुपए सभी सब्सिडी पर मिलाकर खर्चे हैं। इन सभी खर्चों के बढ़ने के बाद भी सरकार ने अपना राजकोषीय घाटा सीमित रखा है जो एक बड़ी उपलब्धि है।
केंद्र सरकार के इस कम हुए राजकोषीय घाटे के पीछे अनुमान से अधिक कर संग्रह का बड़ा रोल है। वित्त वर्ष 2022-23 में कर संग्रह केंद्र सरकार के बजट अनुमानों और रिवाइज्ड अनुमानों दोनों को पीछे छोड़ दिया है। वित्त वर्ष 2022-23 में GST का संग्रह 22% बढ़कर 18.1 लाख करोड़ रहा है जबकि प्रत्यक्ष कर संग्रह (मुख्यतः आयकर और कॉर्पोरेट कर) 16.1 लाख करोड़ रहा है।
राजकोषीय घाटे का लगातार कम होना और करों का संग्रह बढ़ना देश की स्वस्थ अर्थव्यवस्था का द्योतक हैं। आने वाले समय में यदि सरकार अपना राजकोषीय घाटा और कम कर लेती है तो उसके ऊपर कर्ज का बोझ कम होगा और कर्ज की सर्विंसिंग के लिए खर्च होने वाले रुपए को वह अन्य कल्याणकारी योजनाओं में लगा सकेगी।
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