पठान फिल्म को लेकर चल रहे विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) द्वारा निर्माता-निर्देशकों को पठान फिल्म से कुछ आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने या फिर बदलने का निर्देश दिया है।
बता दें कि हिंदी, तेलुगु और तमिल भाषाओं में यह फिल्म 25 जनवरी, 2023 को रिलीज़ होने वाली है, इससे पहले इन दृश्यों को हटाया या बदला जाना है।
सीबीएफसी के इस निर्णय के बाद ‘पठान’ के समर्थक ट्विटर पर चेयरमैन प्रसून जोशी के खिलाफ ट्रेंड चला रहे हैं।
पठान फिल्म के पहले गाने ‘बेशरम रंग’ में भगवा रंग को लेकर उठे विवाद को परे भी रख दिया जाए तो इसमें भरपूर मात्रा में अश्लीलता परोसी गई है। फिल्म के कंटेंट को लेकर तो बात तब होगी जब यह सिनेमाघरों में आ जाए लेकिन अगर निर्माता-निर्देशक इन छिछले और फूहड़ एडल्ट पिक्चराइजेशन से लोगों को सिनेमाघरों तक लाने की फिराक में हैं तो यह मुश्किल है। इन सबके अलावा जेएनयू में टुकड़े-टुकड़े गैंग के समर्थन में दिखने वाली दीपिका पादुकोण को लेकर लोग पहले से ही चिढ़े हुए हैं।
बॉलीवुड कलाकारों का फिल्म पठान को समर्थन
खैर, बात की जाए अब तक के विवादों की तो पठान के पहले रिलीज़ हुए गाने ‘बेशरम रंग’ को लेकर खूब बवाल मचा है। जहाँ एक तरफ फिल्म को इस गाने के लिए लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है, वहीं फिल्म, गाने और उसके पिक्चराइजेशन को लेकर कई बॉलीवुड के कलाकारों ने समर्थन दिया है। इनमें से कुछ कलाकारों को फिर से अभिव्यक्ति के ‘अधिकार’ की लहलहाती फसलों को काटते देखा जा रहा है।
इस कड़कड़ाती शीत लहर में भी असहिष्णुता का तापमान बढ़ गया है। मिस्टर ‘परफेक्शनिस्ट’ के टेसुएं अभी सूखे भी नहीं की जनता-जनार्दन फिर से ‘बॉयकाट’ के धार पजाए बैठी है। लाल सिंह चड्डा के पिटने के बाद के दृश्य आमिर खान के शुभचिंतकों के लिए ज्यादा मनोरम है भी नहीं लेकिन कहावत है, मरता क्या न करता?
इसी महीने 15-22 दिसम्बर तक चलने वाले कोलकाता अन्तरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दौरान ‘महानायक’ अमिताभ जी ने अपने हृदय के उद्गार प्रकट किए थे। महानायक जी ने फिल्मों के सेंसरशिप के इतिहास को याद करते हुए कहा था, “यहाँ मंच पर मौजूद हमारे साथी मुझसे सहमत होंगे कि आज भी सिविल लिबर्टीज और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।”
पठान फिल्म की भूमिका में शाहरुख़ खान ने भी इसी मंच से अपनी पीड़ा भी व्यक्त किया। वह आज सोशल मीडिया पर चलने वाले बॉलीवुड की फिल्मों के बॉयकॉट ट्रेंड्स का कारण ‘संकीर्ण-मानसिकता’ को बताया था।
मोपला हिन्दू नरसंहार पर बनी फिल्म पर लगी रोक हटे
पठान फिल्म के विवादों से इतर एक और फिल्म है जो लम्बे समय से चर्चा में बनी हुई है। अली अकबर उर्फ़ रामसिंहन द्वारा निर्देशित मलयालम फिल्म ‘1921- Puzha Muthal Puzha Vare’ पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन द्वारा कुछ दृश्यों को लेकर रोक लगा दी गई थी लेकिन कल बृहस्पतिवार 29 दिसम्बर, 2022 को केरल उच्च न्यायालय द्वारा सीबीएफसी के निर्देशों को अमान्य कर दिया।
ज्ञात हो यह फिल्म वर्ष 1921 में खिलाफत आंदोलन के दौरान केरल के मालाबार में मोपला मुस्लिमों द्वारा हिन्दुओं के नरसंहार पर आधारित है। इस वजह से केरल में प्रतिबंधित आतंकी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया और अन्य चरमपंथी मुस्लिम संगठनों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा था। सेंसर बोर्ड से अनुमति नहीं मिलने के कारण इस फिल्म की रिलीज़ डेट को महीनों से लगातार टाला जा रहा था।
इस फिल्म को बनाते हुए इसके निर्देशक अली अकबर ने अपनी पत्नी संग हिन्दू धर्म अपना लिया था। वे पिछले साल देश के पहले चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ के आकस्मिक निधन पर कुछ इस्लामी असामाजिक तत्वों द्वारा जश्न मनाए जाने से भी बेहद दु:खी थे, जिसके बाद उन्होनें इस्लाम का त्याग कर हिन्दू धर्म अपना लिया था।