Browsing: व्यंग्य

कहीं रवीश कुमार को ये तो नहीं लग रहा कि सुपरमैन की ही तरह उन्हें भी उनके ग्रह से निकाल दिया गया है और अब दुनिया की रक्षा करने की ज़िम्मेदारी अब सिर्फ़ उनकी है? 

मैं यह झूठ नहीं बोलूंगा कि मुझे दीपिका बिकिनी में अच्छी नहीं लगी। यह भी नहीं बोलूंगा कि मैंने उसके बिकिनी सीन को रिवाइंड करके नहीं देखा।

क्या किसी ने फ़्रांस से पूछा कि हारना किसे कहते हैं? जब सारी दुनिया मेसी के स्वर में एकराग हो रखी थी क्या तब किसी ने यह पूछा कि एमबापे कौन जात है?

लोग कहते हैं कि अमुक शायर,कवि ने बहुत मुफलिसी की ज़िंदगी जी। उसके जीवन में बड़ा संघर्ष था। अब ये क्या बात हुई भला? मैं पूछता हूँ उस व्यक्ति ने क्या त्याग किया? शेर-शायरी कविता लिखना तो कवि का काम है। और मुफ़लिसी में जीना उसका धर्म। इसमें क्या बड़ी बात है ? 

पिछले महीने गुजरात दौरे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अपने सहायकों सहितऑटो-चालक के घर किया था डिनर

संगठन एक केंचुए की तरह होता है। उसको आगे बढ़ने के लिए खुद को बाकी दिशाओं से सिकोड़ना पड़ता है। आगे बढ़ने के लिए जरूरी है कि आपको पता हो किधर जाना है। कांग्रेस के पास यही सवाल बरसों से हल हुए बगैर दस जनपथ की किचेन कैबिनेट में ज़ंग खा रहा है।

पड़ोस में कल बच्चों को छुपम-छुपाई खेलते हुए देख रहा था, उनमें से एक चतुर बालक जुबैर दूसरे बच्चों का पता ‘गुप्त सूत्रों’ के हवाले से लगा रहा था। बाद में मालूम हुआ कि उसके सूत्र छत में खड़े एक गंजे अंकल हुआ करते थे।