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भारतीय सनातन संस्कृति ने न केवल भारत को एकता के सूत्र में पिरोया है बल्कि पूरे विश्व को ही भारत के साथ जोड़ा है।
छठ महापर्व के अवसर पर भारत में बन रहा है करोड़ों का कारोबार, 15 करोड से अधिक लोग इस वर्ष मना रहे हैं छठ महापर्व
लाल चौक में दिवाली के जश्न ने यह रास्ता बना दिया है कि घाटी में आशा और एकता से भरे भविष्य का मार्ग संभव है।
भारत में वामपन्थी शिक्षा और इतिहास हमारे अवचेतन मस्तिष्क में इस प्रकार बैठ गया है कि हुमायूँ जैसी कहानियों को रखने पर हम एक बार भी विचार नहीं करना चाहते हैं कि क्या वास्तव में तथ्य यही रहे होंगे?
आर्थिक विकास को गतिशील बनाए रखने के उद्देश्य से आज हिंदू सनातन संस्कृति के संस्कारों को आज पूरे विश्व में फैलाने की महती आवश्यकता है।
प्राचीन भारत में धार्मिक आयोजनों से अर्थव्यवस्था को बल मिलता रहा है इसलिए उस कालखंड में धार्मिक आयोजन निरंतर होते रहे हैं।
सनातन हिंदू संस्कृति में “वसुधैव कुटुम्बकम” एवं “सर्वे भवंतु सुखिन:” का भाव हिंदू नागरिकों में बचपन से ही भरा जाता है।
पंच परिवर्तन केवल चिंतन, मनन अथवा बहस का विषय नहीं है बल्कि इसे हमें अपने व्यवहार में उतारने की आवश्यकता है।
जहां भारत में सनातन हिंदू धर्म को मिटाने की नाकाम कोशिश की जाती है वहीं रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, घाना, सुरीनाम जैसे देशों में हिंदू धर्म तेजी से फैल रहा है।
तुलसी के राम ठुमक-ठुमक कर चलते हैं, उनके पैरों में बंधी पैजनी बजती है। कैसे आह्लाद का विषय है कि जो संसार को उठाने आया है, वो भूमि पर बार-बार गिरता है।