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जिस दिन #Hindu आस्था का पर्व Diwali मना रहे हैं, उस दिन ख़ुद को सुपरपावर कहने वाला अमेरिका अंधविश्वास का जश्न मना रहा है। इस जश्न को उन्होंने नाम दिया हैलोवीन (Halloween)!
एक ऐसा भी देश था जिसने इस अपमान के इतिहास की ईमानदारी से समीक्षा की। इसका नाम है चीन।
क्रूसेड जब शुरू हुए तो ईसाइयों के चर्च पूरे यूरोप में छाने लगे, ईसाइयों को क्योंकि समाज में मोहब्बत फैलानी थी तो दूसरे साम्राज्यों के पुराने मंदिरों को तोड़ा गया। जैसे जैसे मोहब्बत बाँटने वाला ईसाई धर्म बढ़ने लगा, लोग आपस में लड़ने लगे। दूसरी ओर ये वो समय था जब इस्लाम भी विस्तारवाद की ओर बढ़ रहा था
अगर भीड़ यानी मास से ही शासन चलता और नेतृत्व की ज़रूरत ही ना होती तो फिर लेनिन और स्टैलिन की भी ज़रूरत लोगों को क्यों पड़ी? उन्होंने क्यों ख़ुद को लीडर घोषित किया?
पूरी दुनिया को लोकतंत्र और मानवाधिकार के सर्टिफिकेट बांटने वाले अमेरिका खुद लोकतान्त्रिक है या नहीं ये हम तभी मानेंगे जिस दिन अमेरिका की सत्ता पर रेड इंडियंस यानि नेटिव अमेरिकन्स का राज होगा, वरना ये सब ब्रिटिश प्रॉपगेंडा से अधिक और कुछ नहीं है।
14 जुलाई को फ्रांस में बैस्टिल डे परेड होने वाली है। वहां पर हर साल 14 जुलाई को बैस्टिल दिवस मनाया जाता है और इस साल बैस्टिल दिवस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेने वाले हैं।
यहूदियों का विद्रोह, जो सबसे लंबे समय तक चलने वाली क्रांति भी कहा जा सकता है। उन्होंने अपने धर्म की रक्षा के लिए क्या कुछ सहन नहीं किया और किस तरह से उसे नष्ट करने वालों का प्रतिरोध भी किया।
यहूदियों के ऐतिहासिक पलायन की ये कहानी मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीक़ा की है। जब हज़रत मूसा ने यहूदी कौम की मुक्ति के लिए 600 लोगों के साथ मिस्र को छोड़ा था। यह मिस्र में ग़ुलामी और दासता का दौर था।
‘गन वायलेंस आर्काइव्स’ वेबसाइट के सबसे ताज़ा आँकड़ों के अनुसार अमेरिका में साल 2013 से दस जून 2023 तक बंदूक़ से हुई हिंसा से 18,772 मौत हुई हैं। इसमें आत्महत्या, मास शूटिंग, मास मर्डर आदि शामिल हैं।
चीन के उत्पीड़न के इतिहास की शुरुआत होती है 1839 से 1842 के दौर से जब पहला अफीम युद्ध हुआ और चीन की बुरी हार हुई। यही वो समय था जब हांगकांग को एक संधि के तहत चीन को ब्रिटिश साम्राज्य को सौंपना पड़ा।