Browsing: झरोखा

देश की राजधानी दिल्ली में दंगों का एक इतिहास रहा है। वर्ष 1984 और वर्ष 2020 के दंगे सभी को याद हैं लेकिन कुछ दंगे ऐसे भी हैं जो समय के गर्त में चले गए और उन दंगों के दौरान निरीह हिन्दुओं पर हुए अत्याचार लोगों को सुनने को नहीं मिले।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी इस बात पर जागरूकता फैलाते रहे कि एकीकृत बंगाल का विचार आकर्षक नहीं बल्कि एक आभासी पाकिस्तान है। 

यह तथ्य है कि बिस्मिल को भारतीय इतिहास में वह स्नेह और सम्मान नहीं मिला जो उन्हें मिलना चाहिए था। अपने छोटे से कोई तीस वर्ष के जीवन काल ने बिस्मिल ने उस संघर्ष की भूमिका रखी जिसकी परिणति भारत
की स्वतंत्रता में हुई।

राजमाता अहिल्याबाई होल्कर के बारे में सोचने की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि उत्तर भारत के जिस भी पुराने मंदिर को आप देखते हैं, लगभग हरेक उनका बनवाया हुआ है।

इसका अधिक इस्तेमाल चोल साम्राज्य में देखा गया है, जब चोल साम्राज्य का कोई राजा अपना उत्तराधिकारी घोषित करता था तो सत्ता हस्तांतरण के तौर पर सेंगोल दिया जाता था

हमारी विरासत में हमारे पूर्वजों की संस्कृति, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इन स्थलों के महत्व और महत्वपूर्ण भूमिका का पता हमें हमारी धरोहर से मिलता है।

महाभारत का खीलभाग (अंतिम भाग) माने जाने वाले हरिवंश पुराण में बाघों के गुणों की मनुष्यों से तुलना मिलती है। यही वजह थी कि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ भी दुर्योधन को ‘नरव्याघ्र’ कहते नजर आ जाते हैं।

2014 के चुनाव परिणामों के बाद बीजेपी की कार्यशैली और निर्णयों में कई बदलाव सामने आए पर विचारधारा का मूलतत्व नए बदलावों में आज भी विद्यमान है।