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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय प्रथम संघचालक डॉक्टर हेडगेवार ने वर्ष 1920 के पूर्व ही पूंजीवाद से उत्पन्न होने वाले खतरों को पहचान लिया था।
महारानी अहिल्याबाई की पहचान विनम्र एवं उदार शासक की रही और उन्होंने बड़ी संख्या में धार्मिक स्थलों का निर्माण कराया था।
अपनी दूरदृष्टि के चलते ही डॉ. हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की ताकि वे जनमानस में देश प्रेम की भावना जागृत कर सकें।
अत्याचारी अंग्रेजों द्वारा संचालित सरकार के विरुद्ध छापामार गतिविधियों में भाग लेकर उनके वाहनों को जलाने में श्री हेमू कालाणी अपने साथियों का नेतृत्व भी करने लगे थे।
उस संन्यासी के समक्ष जब अल्प वय में रोज़गार और रोज़ाना का जीवन चुनने की बारी आई तब उनके मन में यही विचार था कि इस एक जीवन का जो उपहार उन्हें मिला है क्या उन्हें यह क्लर्क या स्कूल के मास्टर की नौकरी कर यूँ ही गँवा देनी चाहिए?
हर वर्ष 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के तौर पर मनायी जाती है। वे ईसाई मिशनरियों की धर्मांतरण की साजिशों से लड़े। अंग्रेजों से लोहा लिया। इस्लामी आक्रांताओं को धूल चटायी।
वीर राम सिंह पठानिया: एक कला प्रेमी योद्धा, जो संगठित और सशस्त्र क्रान्ति के युवा नायक भी थे
अमृतकाल में जब देश अपने आदर्शों को नए सिरे से खोजने और परिभाषित करने में लगा है, वीर राम सिंह पठनिया एक ऐसे युवा आदर्श के रूप में हमारे सामने आते हैं, जो योद्धा, रणनीतिकार, संगठक के साथ कलाप्रेमी भी हैं।
अरब देशों में साल 1970 के 16 सितंबर से 27 सितंबर तक एक युद्ध चला था जिसे इतिहास में ‘ब्लैक सितंबर’ (Black September) के नाम से याद किया जाता है।
‘इंदिरा के आपातकाल’ के समय भी तत्कालीन सरकार ने उत्पल दत्त के लिखे तीन नाटकों – बैरिकेड, सिटी ऑफ़ नाइटमेयर्स एवं ‘एंटर द किंग’ को प्रतिबंधित कर दिया गया था।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम क्रांतिकारी, बल्लू सिंह, वतन सिंह और भाग सिंह की अमर गाथा
सुखदेव से मुँह से व्याख्या सुनकर भाई बल्लू सिंह जी के चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी। उन्होंने सुखदेव के सिर पर हाथ फेरा और आगे बोले,