कनाडा के ओटावा से आ रही खबर के अनुसार मंगलवार, 15 सितंबर को अज्ञात बदमाशों ने कनाडा के बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण मंदिर (BAPS) परिसर में तोड़फोड़ करके मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिख दिए हैं।
कनाडा स्थित भारतीय उच्चायोग ने इस घटना की निंदा करते हुए मामले की गंभीर जांच करने और अपराधियों के खिलाफ त्वरित कड़ी कार्रवाई करने के लिए कनाडा सरकार के सामने इस मुद्दे को उठाया है। कनाडा स्थित भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया, “हम BAPS स्वामीनारायण मंदिर टोरंटो को भारत विरोधी नारों से विकृत करने की कड़ी निंदा करते हैं। कनाडा के अधिकारियों से इस घटना की जांच करने और अपराधियों पर त्वरित कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है।”
घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें मंदिर की दीवारों पर खालिस्तानी नारे लिखे हुए नजर आ रहे हैं।
ब्रैम्पटन के मेयर पैट्रिक ब्राउन ने इस घटना पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि, “टोरंटो के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में हुई बर्बरता के बारे में सुनकर बहुत निराश हूं। इस प्रकार की नफरत का GTA या कनाडा में कोई स्थान नहीं है। आशा करते हैं कि जिम्मेदार अपराधियों के विरुद्ध जल्दी ही न्यायिक प्रक्रिया की जाएगी।”
खालिस्तानी लगातार बना रहे हिन्दुओं को निशाना
कनाडा के भारतीय मूल के सांसद चन्द्र आर्य ने कहा कि यह ऐसी इकलौती घटना नहीं है बल्कि हाल के दिनों में हिंदू मंदिरों को इस तरह निशाना बनाने की घटनाएं बेतहाशा रूप से बढ़ गई हैं। आर्य ने ट्वीट के जरिए इसकी सूचना दी।
“कनाडाई खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा टोरंटो के BAPS श्री स्वामीनारायण मंदिर में की गई बर्बरता की सभी को निंदा करनी चाहिए। यह केवल एक घटना नहीं है। हाल के दिनों में कनाडा के हिंदू मंदिरों को इस प्रकार के घृणा अपराधों द्वारा लगातार लक्षित किया जा रहा है। कनाडाई हिंदू वैधानिक रूप से चिंतित हैं। “
एक आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, पिछले इस साल के शुरुआत से अब तक टोरंटो के कम से कम 6 हिंदू मंदिरों, पील क्षेत्र के 5 मन्दिरों और हैमिल्टन के 1 मंदिर को निशाना बनाया जा चुका है। ज्यादातर मामलों में, हमलावरों ने दान पेटियों से नकदी भी चुरा ली जबकि कुछ मन्दिरों से हमलावरों ने मूर्तियों के गहने चोरी कर लिए, जबकि वर्तमान मामले में तोड़फोड़ और भारत विरोधी नारे लिखने की घटना सामने आ रही है। ऐसी घटनाओं ने हिंदू समुदाय में चिंता पैदा कर दी है।
मंदिरों को हमले की यह सिलसिलेवार घटनाएँ पिछले साल नवंबर में शुरू हुई थीं जब ब्रैम्पटन के हिन्दू सभा मंदिर और श्री जगन्नाथ मंदिर पर हमला किया गया था।
जनवरी में एक साथ हुए हमले
जनवरी में एकाएक कई मामले सामने आए जब कनाडा के हिन्दू हेरिटेज सेंटर मिसीसौगा, माँ चिन्तपूर्णी मंदिर ब्रैम्पटन, गौरीशंकर मंदिर ब्रैम्पटन, हनुमान मंदिर ब्रैम्पटन, हैमिल्टन समाज मंदिर हैमिल्टन के मंदिरों पर हमले की खबर रिपोर्ट की गई।
जिसके बाद हिन्दू समाज द्वारा अनेक माध्यमों से विरोध दर्ज कराया गया। पर हिन्दू समाज द्वारा सरकार से सुरक्षा की गंभीर जांच करने और दोषी गिरोह को पकड़ने की बार बार दरख्वास्त का कोई असर होता नहीं दिख रहा है। प्रशासन द्वारा मन्दिरों पर हमले को सांगठनिक अपराध मानने से इंकार करते हुए कह दिया गया कि यह केवल चोरी के मामले हैं।
2021 की शुरुआत में जब भारत में किसान आन्दोलन चरम पर था तब कनाडा में कई हिन्दुओं पर खालिस्तानियों द्वारा हमले की घटनाएं सामने आई थीं। इसके खिलाफ कनाडाई हिन्दू समाज के लोगों ने हिन्दू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर रैली निकाली थी। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी कनाडा सरकार से अल्पसंख्यक हिन्दुओं को सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की थी।
ब्रैम्पटन दक्षिण से सांसद सोनिया सिद्धू ने कहा, “मैं टोरंटो में BAPS श्री स्वामीनारायण मंदिर में हुई बर्बरता के कृत्य से व्याकुल हूँ। हम एक बहुसांस्कृतिक और बहु-विश्वासी समुदाय में रहते हैं जहां हर कोई सुरक्षित महसूस करने का हकदार है। जिम्मेदार लोगों को उनके कामों के परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
खालिस्तानियों की पनाहगाह बना कनाडा
भारत की खूफिया एजेंसियों के अनुसार कनाडा तेजी से उन खालिस्तानी आतंकवादियों और गैंगस्टरों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बनता जा रहा है, जो भारत में हत्याओं सहित कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं, और कनाडा में भी कहीं न कहीं अल्पसंख्यकों से जुड़े अपराधों से जुड़े हैं।
29 मई को हुए सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के समय यह बात फिर से उठकर सामने आई थी क्योंकि खुफिया एजेंसियों और पुलिस के सूत्रों के अनुसार कनाडा स्थित गैंगस्टर सतिंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ “भारत में अपराध को नियंत्रित” कर रहा था, लेकिन उसे भारत वापस लाना आसान नहीं है, क्योंकि कनाडा के अधिकारी सहयोग नहीं करते हैं। इस मामले में भारत ने कनाडा को खालिस्तानी तत्वों और अन्य गैंगस्टरों की मौजूदगी के बारे में दस्तावेज सौंपे थे, जिनपर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, क्योंकि कनाडा सरकार तक अपराधियों के तार जुड़े हैं।
इसी महीने सितंबर में कनाडा के खालिस्तानी आपराधिक गिरोह और ISI से जुड़े अपराधियों के नेक्सस पकड़ने के लिए NIA ने भारत में 60 अलग अलग जगहों पर छापेमारी की थी। भारत और बाहर की जेलों के अंदर बंद अपराधियों के नेक्सस पर NIA ताबड़तोड़ कार्यवाही कर रही है।
कनाडा में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हमले करने वाले गिरोह के तार भारत से भी जुड़े हो सकते हैं क्योंकि इस साल जुलाई में ही में NIA ने जालंधर में एक हिंदू पुजारी की हत्या के मामले में खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था, जो वर्तमान में कनाडा में रह रहा है और भारत में ‘सिख फॉर जस्टिस’ (SFJ) के अलगाववादी और हिंसक एजेंडे को बढ़ावा दे रहा है।
इससे पहले जून में इंटरपोल ने खालिस्तानी ऑपरेटिव अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श के खिलाफ भी रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था, जिसके बारे में अनुमान है कि वह कनाडा में है और निज्जर से जुड़ा है।
आरोप है कि इन खालिस्तानी आतंकवादियों ने भारत में सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करने के लिए कई लोगों की हत्या करने का ठेका दिया था। उन्होंने भारत में अपने सहयोगियों को कनाडा की नागरिकता देने का भी वादा किया। पर कनाडा सरकार के सहयोग न करने के कारण भारतीय अधिकारियों को इन आतंकियों के प्रत्यर्पण में अब तक सफलता नहीं मिली है। समझा जा सकता है कि कनाडा के हिन्दू समाज को हिन्दू मंदिरों पर लगातार हो रहे हमले रोकने के लिए प्रशासन से कितना सहयोग मिल रहा होगा।
कनाडा में रहने वाला एक अन्य खालिस्तानी आतंकवादी, गुरपतवंत सिंह पन्नून, जो ‘सिख फॉर जस्टिस’ आंदोलन चलाता है, का उद्देश्य भी भारत में आतंकवाद फैलाना है जिसने किसान आंदोलन के दौरान, कई वीडियो जारी किए थे, जिसमें लोगों से लाल किले सहित सरकारी इमारतों पर हमला करने के लिए कहा गया था। वे जानते हैं कि वे कनाडा में सुरक्षित हैं, इसलिए कनाडा में और वहाँ से भारत में भी खुलेआम आतंकी गतिविधियों की साजिश रचते हैं।
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