देश की प्रमुख व्यापारी संस्था कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने होली 2023 में बाजार के तेजी पर रहने की उम्मीद जताई है। संस्था के अनुसार, इस वर्ष होली पर ₹25,000 करोड़ के व्यापार की उम्मीद है जो पिछले वर्ष से लगभग 25% अधिक है।
CAIT ने यह भी अनुमान लगाया है कि इस बार की होली पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर भारत वाली होगी यानी इसमें चीनी सामान की बिक्री लगभग न के बराबर होगी। होली पर होने वाले व्यापार में अब चीन से आने वाली वस्तुएँ जैसे पिचकारियाँ, गुब्बारे और रंग आदि अधिकाँश भारत में ही निर्मित हो रहे हैं।
CAIT के अनुसार, पिछले वर्ष होली पर 20,000 करोड़ का व्यापार हुआ था और उसमें भी चीनी सामान की हिस्सेदारी न के बराबर थी। इससे पहले वर्ष 2021 की होली कोरोना के साए में निकली थी जिसमें सामान की बिक्री पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा था।
हिन्दू त्योहारों पर होने वाली बिक्री में होली का अहम स्थान है क्योंकि नवरात्र से प्रारम्भ हो कर दिवाली तक चलने वाले त्योहारी सीजन के बाद होली व्यापार के लिए दूसरा बड़ा मौका होता है। त्योहारी बिक्री से मात्र बड़ी मार्केट चेन ही नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर भी व्यापार को बढ़ावा मिलता है।
एक आँकड़े के अनुसार, वर्ष 2022 की दिवाली में भी भारतीय बाजार में 1.5 लाख करोड़ की बिक्री हुई थी। विशेषज्ञों के अनुसार, सनातनी त्योहारों पर होने वाली बिक्री अर्थव्यवस्था को समय समय पर दिए जाने वाले स्टिमुलस पैकेज की तरह हैं।
स्थानीय व्यापार की बात करें तो CAIT द्वारा दिए गए आँकड़ों के अनुसार, देश की राजधानी दिल्ली में ही मात्र 1500 करोड़ रुपए का व्यापार होने की आशा है। स्थानीय स्तर पर व्यापार बढ़ने से रोजगार में भी वृद्धि आई है। एक आँकड़े के अनुसार, पहले होली पर होने वाले व्यापार में चीन का 10,000 करोड़ का हिस्सा था जो अब घट कर काफी कम रह गया है।
सरकार ने भी इस क्षेत्र में चीन के दखल को कम करने के लिए देश के अंदर ही खिलौनों (पिचकारियों) और अबीर गुलाल समेत अन्य सामग्री के निर्माण को प्रोत्साहन दिया है। इस प्रयास में PLI स्कीम से लेकर मुद्रा स्कीम आदि शामिल हैं।
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CAIT के अनुसार, इस बार होली की खरीददारी के लिए थोक बाजारों में काफी भीड़ रही है जिसका अर्थ यह है कि खुदरा स्तर पर भी मांग की कमी नहीं है। वहीँ मांग के पीछे का कारण पिछले कुछ महीनों से वस्तुओं की कीमतों में आ रही गिरावट भी हो सकती है।
वर्तमान में खुदरा महंगाई दर लगभग 6.5% के स्तर पर है, पिछले वर्ष यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण यह और ऊपर चली गई थी। इसमें लगातार कमी आई है और सरकार इसे नीचे लाने के लिए RBI के माध्यम से मौद्रिक नीति में बदलाव लाने समेत कई कदम उठा रही है।
होली में होने वाली इस बिक्री से यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि बाजार में पैसे की कमी नहीं है और सभी क्षेत्रों में मांग लगातार बनी हुई है। इसी मांग के कारण अर्थव्यवस्था में तेजी लगातार बनी रहेगी।