कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सहयोग प्रदान के लिए भारत और चिली के बीच बुधवार (15 फरवरी, 2023) को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी गई है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा ये जानकारी एक प्रेस कांफ्रेंस में साझा की गई है।
एमओयू के अतंर्गत चिली भारत कार्य समूह का गठन किया जाएगा जो संचार और समन्वय स्थापित करने के साथ ही एमओयू के सही कार्यान्वय के लिए पर्यवेक्षण, समीक्षा और मूल्यांकन के लिए जिम्मेदार होगा। साथ ही, इनके सही क्रियान्वयन के लिए कृषि कार्य समूह की बैठकें चिली और भारत में वैकल्पिक रूप से वर्ष में एक बार आयोजित की जाएंगी।
आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार सहयोग के मुख्य क्षेत्रों में आधुनिक कृषि के विकास के संदर्भ में कृषि नीतियों का निर्माण, जैविक उत्पादों के द्विपक्षीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए जैविक कृषि, दोनों देशों में जैविक उत्पादन को विकसित करने के उद्देश्य से नीतियों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना शामिल है। साथ ही विज्ञान एवं शोध को बढ़ावा देकर भारतीय संस्थानों एवं चिली के संस्थानों के बीच कृषि क्षेत्र में नवाचार की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी जिससे दोनों देश इस क्षेत्र की आम समस्याओं में एक-दूसरे के सहयोगी बन पाएंगे।
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उल्लेखनीय है कि समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर होने पर लागू होगा और निष्पादन की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए लागू रहेगा। इसके बाद इसे स्वचालित रूप से पांच साल की अवधि के लिए नवीनीकृत किया जाएगा।
भारत और चिली की कृषि परम्पराएँ पुरानी हैं और दुनियाभर में जानी जाती हैं। चिली और भारत के कृषि के तरीक़े में काफ़ी हद तक समानता है। चिली हॉर्टिकल्चर उत्पादों के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही वर्तमान में चिली विभिन्न फलों के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है।
ज्ञात हो कि पिछले कुछ वर्षों से केंद्र की वर्तमान सरकार देश में हॉर्टिकल्चर उत्पादों की कमी से निपटने के लिए किसानों को अपने कृषि उत्पादों में बदलाव की सलाह देती रही है। ऐसे में चिली के साथ इस तरह के समझौते से परंपरागत कृषि को अपनाने और सुचारू रूप से खेती करने में बहुत मदद मिलेगी।