भारत में पिछले कुछ वर्षों में स्टार्टअप इकोसिस्टम का विकास तेजी से हुआ है। तकनीक के लगातार प्रसार और इन्टरनेट की उपलब्धता ने इसको और जोर दिया है। भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम को लेकर लंदन स्थित रिसर्च संस्थान ‘हुरून’ ने एक रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट में पूरे भारत समेत विश्व में बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम, यूनिकॉर्न (1 बिलियन डॉलर से अधिक का वैल्युएशन रखने वाले स्टार्टअप, जो अभी तक शेयर बाजार पर लिस्ट ना हुए हों) और उनके संस्थापकों समेत अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारियाँ दी हैं।
हुरून ने बताया है कि यूनिकॉर्न की संख्या के मामले में भारत मात्र अमेरिका और चीन से पीछे है।
इनकी संख्या पिछले वर्ष से 14 अधिक है। एजुटेक स्टार्टअप बायजूस और फ़ूड-ग्रोसरी डिलीवरी स्टार्टअप स्विग्गी समेत ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट ऐप ‘ड्रीम11’ को भारत का सर्वाधिक वैल्यू रखने वाला यूनिकॉर्न बताया गया है।
भारत के यूनिकॉर्न संस्थापक सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि बाहर भी बड़ी संख्या में इनकी स्थापना कर रहे हैं। हुरून के अनुसार, जहाँ एक ओर इन संस्थापकों ने भारत में दिसम्बर 2022 तक 68 यूनिकॉर्न बनाए हैं, वहीं दूसरी और इन्होंने अमेरिका, सिंगापुर और यूके जैसे देशों में कुल 70 यूनिकॉर्न स्टार्टअप की स्थापना की है।
भारत में मात्र यूनिकॉर्न ही नहीं बल्कि ग़ज़ल्स (ऐसे स्टार्टअप जिनकी वैल्युएशन 500 मिलियन डॉलर हो और उनके अगले तीन वर्षों के भीतर यूनिकॉर्न बनने की संभावना हो) की भी संख्या विश्व में अमेरिका और चीन के बाद सर्वाधिक है। भारत में पूरे विश्व के लगभग 7% से अधिक ग़ज़ल्स (कंपनियां) हैं।
भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़त हुई है। वर्ष 2016 में शुरु की गई स्टार्टअप इंडिया से इसमें तेजी आई है। लोकसभा में दिए गए एक उत्तर के अनुसार, भारत में वर्तमान में 92,683 स्टार्टअप हैं। अकेले वर्ष 2022 में ही 26,542 स्टार्टअप का पंजीकरण हुआ है।
देश में आधार के कारण सत्यापन, जनधन योजना के कारण खुले बैंक खातों से लेनदेन और सस्ते इन्टरनेट ने भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूती प्रदान की है। इसके कारण भारत में फिनटेक (पैसे के लेनदेन से संबंधित स्टार्टअप) की संख्या तेजी से बढ़ी है। क्रेड, फोनपे और ज़ेरोधा आदि इसके उदाहरण हैं।
हालांकि, पिछले कुछ समय में भारत समेत पूरे विश्व में स्टार्टअप की बढ़ती गति पर विराम लगा है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण वैश्विक स्तर पर आई मंदी है। वैश्विक मंदी एवं महंगाई के कारण इन स्टार्टअप पर दोहरी मार पड़ी है। अधिकाँश बाजारों में मांग कम होने से उनके व्यापार में कमी आ रही है।
महंगाई से लड़ने के लिए दुनिया भर के केन्द्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं, इन ब्याज दरों के बढ़ने के कारण बाजार में निवेश की कमी हो रही है और कर्ज महंगा हो रहा है। स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए नया निवेश आना बेहद जरूरी है क्योंकि इसी के आधार पर उनकी भविष्य की रणनीति तय होती है।
स्टार्टअप के लिए निवेश की चुनौतियाँ पिछले कुछ समय में और ज्यादा बढ़ी हैं। अमेरिका और यूरोप के बैंकिंग क्षेत्र में आया भूचाल इसके पीछे का बड़ा कारण है। उदाहरण के लिए दुनिया भर के स्टार्टअप संस्कृति का केंद्र मानी जाने वाली सिलिकॉन वैली में पिछले दिनों सिलिकॉन वैली बैंक डूब गया।
इससे स्टार्टअप सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। इसके पश्चात एक-एक करके फर्स्ट रिपब्लिक, स्विट्जरलैंड का क्रेडिट सुईस आदि का डूबना विश्व के बैंकिंग क्षेत्र की डांवाडोल स्थिति दिखाता है। बैंकिंग क्षेत्र में आई समस्याओं के कारण भी निवेश कि चुनौतियां बन रही हैं।
हेल्थकेयर के क्षेत्र में काम करने वाले सनफॉक्स टेक्नॉलजी के संस्थापक नितिन कहते हैं कि स्टार्टअप के लिए अब बाहर से निवेश जुटाना काफी मुश्किल हो रहा है।
भारतीय निवेशक शुरूआती निवेश में सहायता कर रहे हैं लेकिन बाहर के देशों जैसे कि अमेरिका और यूके आदि में महंगाई के कारण अब वहां से निवेश लाने में समस्याएँ आ रही हैं।
हालाँकि वह आने वाले समय में भारत में मांग को लेकर अधिक चिंतित नहीं हैं, उनका कहना है कि भारत में मांग में अधिक कमी देखने को नहीं मिलेगी।
कंसल्टेंसी फर्म सीबी इनसाइट्स की एक रिपोर्ट भी कुछ ऐसा ही इशारा करती है। इसकी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2023 की पहली तिमाही में भारत के स्टार्टअप्स को मात्र 2 बिलियन डॉलर के निवेश मिले हैं। यह पिछले वर्ष से लगभग 75% कम है। अगर इसी धीमी गति सेभारत के स्टार्टअप्स को निवेश मिले तो यह 2021 और 2022 के मुकाबले काफी कम होगा।
इन दोनों वर्षों में देश के स्टार्टअप्स को क्रमश: 30 बिलियन डॉलर और 20 बिलियन डॉलर मिले थे। मात्र भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका और चीन में भी में होने वाले निवेशों में लगभग 50-60% की गिरावट आई है।
हालाँकि भारत में अब रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को बढ़ाने पर रोक लगा दी है, इससे आशा है कि आने वाले दिनों में कर्ज भी कुछ सस्ता होगा, जिससे निवेश बढ़ेगा।
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