1 फरवरी को वित्त मंत्री ने संसद में वर्तमान केंद्र सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश किया। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश किए गए कुल 45 लाख करोड़ रुपये के बजट में सबसे अधिक बातचीत टैक्स की दरों में बदलाव और कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए धन के प्रावधान की रही।
वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सरकार द्वारा कैपिटल एक्सपेंडीचर में प्रस्तावित धनराशि वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 33% बढ़कर 10 लाख होगी।
वित्त मंत्री के इस बजट प्रस्ताव को संसद के भीतर और बाहर बहुत समर्थन मिला। वैसे देखा जाए तो वर्तमान सरकार के बजट में पिछले कई वर्षों से ऐसी योजनाओं पर ज़ोर दिया जाता रहा है जिनमें मूलभूत सुविधाओं के निर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होता है।
पिछले 4 वर्षों से अर्थव्यवस्था में कैपिटल एक्सपेंडिचर सरकार की प्राथमिकता रही है। इससे देश में नए निर्माण की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए जोर दे रही है और उसका असर संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर दिखाई देता है।
केंद्र सरकार के इस कदम के पीछे उसका तर्क है कि इससे देश भर में मूलभूत सुविधाएँ बढ़ेंगी जिससे आम भारतीय के जीवन में बदलाव आएगा और साथ ही नए रोजगार भी पैदा होंगें।
क्या होता है कैपिटल एक्सपेंडिचर?
कैपिटल एक्सपेंडिचर को आसान भाषा में समझें तो यह सरकार द्वारा किया जाने वाला वह खर्च है जो मूलभूत सुविधाओं के निर्माण पर होता है।
उदाहरण के लिए सरकार जो भी ब्रिज, रेल लाइन, पोर्ट, मार्ग एवं ऐसे ही अन्य सुविधाओं के निर्माण के लिए खर्च करती है वह कैपिटल एक्सपेंडिचर के अंतर्गत आता है।
![हाइवे का निर्माण कैपिटल एक्सपेंडीचर का एक उदहारण है](https://www.thepamphlet.in/wp-content/uploads/2023/02/FnPJjOGagAEXkH7-2-1024x576.jpeg)
इससे सरकार और आम जनता दोनों को फायदा होता है। ऐसे एसेट्स बनाने से सरकार को आने वाले वर्षों में आय के स्रोत बढ़ाने में सहायता मिलती है और आम जनता को नई सुविधाएं मिलती हैं। इस मद में किये गए खर्च से लगातार नए निर्माण होने के कारण नए रोजगार भी पैदा होते हैं।
कितना किया सरकार ने ऐलान, क्या है पहले का ट्रैक रिकॉर्ड?
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 10 लाख करोड़ रुपए कैपिटल एक्सपेंडिचर पर खर्च करने की घोषणा की है। यह देश के कुल जीडीपी का 3.3% है।
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आसान भाषा में समझे तो यह धनराशि लगभग 125 बिलियन डॉलर बनती है जो कई देशों की कुल जीडीपी से भी अधिक है। पड़ोसी देश पकिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 300 बिलियन डॉलर है।
ऐसा नहीं है कि सरकार ने केवल इसी वित्त वर्ष के लिए बड़े खर्चे की घोषणा की है। इससे पहले भी सरकार लगातार कैपिटल एक्सपेंडिचर पर ध्यान देते आई है।
![साल दर साल बढ़ता कैपिटल expenditure](https://www.thepamphlet.in/wp-content/uploads/2023/02/Picture1-1024x615.png)
वित्त वर्ष 2019-20 में यह 3.4 लाख करोड़ था जिसे वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़ा कर 4.1 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया।
वित्त वर्ष 2021-22 में यह बढ़ कर 5.9 लाख करोड़ और वित्त वर्ष 2022-23 में 7.3 लाख करोड़ के स्तर पर पहुँच गया। अब सरकार ने इसमें 33% की बढ़ोतरी करते हुए इसे रिकॉर्ड 10 लाख करोड़ के स्तर पर पंहुचा दिया है।
बिरला समूह के चेयरमैन और भारत के प्रख्यात कारोबारी कुमार मंगलम बिरला ने सरकार द्वारा लगातार कैपिटल एक्सपेंडिचर को लगातार बढ़ाए जाने को ‘कैपेक्स महोत्सव’ कहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने 100 जरूरी इन्फ्रा प्रोजेक्ट को 75000 करोड़ रुपए की लागत से बनाने का फैसला लिया है जिसमें आगे 50 और एयरपोर्ट, हेलीपोर्ट और एरोड्रम जोड़ने की योजना है।
इससे क्या होगा आम आदमी का फायदा?
कैपिटल एक्सपेंडिचर का मुख्य बंटवारा रेलवे, रोड नेटवर्क और अन्य निर्माण सम्बन्धी क्षेत्रों में होता है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए रेलवे को भी कैपिटल आउटले के लिए रिकॉर्ड 2.4 लाख करोड़ रुपए दिए गए हैं।
इसी तरह रक्षा बजट में नई खरीददारियों 1.62 लाख करोड़ रुपए दिए गए हैं एवं राजमार्ग एवं सड़क परिवहन मंत्रालय को 2.7 लाख करोड़ रुपए दिए गए हैं।
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इन सभी मदों का अधिकाधिक उपयोग देश के अंदर नए निर्माण में किया जाएगा जिससे नए रोजगार पैदा होंगें। आम धारणा यह है कि इस तरह के खर्च में लगभग 20 % हिस्सा मजदूरी में जाता है।
यदि सरकार द्वारा दिए गए 10 लाख करोड़ रुपए में यदि देखा जाए तो यह 2 लाख करोड़ आता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि इन निर्माण से न केवल रोजगार के अपरोक्ष साधन तो बनेंगे ही, सीधे तौर पर भी बहुत बड़े लेबर फोर्स के लिए रोजगार पैदा होगा।