राजधानी दिल्ली में जासूसी प्रकरण को लेकर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता आम आदमी पार्टी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा आईटीओ से सचिवालय तक मोर्चा निकाला गया जिसमें मुख्यमंत्री केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की। इस दौरान कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में भी ले लिया है।
ये विरोध प्रदर्शन दिल्ली के भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और विपक्ष के नेता (एलओपी) रामवीर सिंह बिधूड़ी के नेतृत्व में सचिवालय आईटीओ में किया गया है। इसमें दिल्ली में केजरीवाल सरकार पर बीजेपी नेताओं की जासूसी करने का आरोप है। बीजेपी सांसद मनोज तिवारी के अनुसार आप पार्टी सरकार की फीडबैक यूनिट द्वारा जासूसी की जा रही है। उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी के नेता दिल्ली के लिए काम नहीं करते बल्कि टैक्सपेयर्स के पैसे से अवैध रूप से जासूसी कर रहे हैं।
वहीं वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि; जिस तरह अरविंद केजरीवाल एवं मनीष सिसोदिया ने सांसदों, विधायकों, अधिकारियों और दिल्लीवासियों पर नजर रखने के लिए एक सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया है वो पूर्णतः असंवैधानिक है। दिल्ली की एलजी द्वारा एफआईआर का आदेश दिया गया है। अब सत्येंद्र जैन की तरह केजरीवाल की पूरी कैबिनेट तिहाड़ जेल में होगी।
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बीजेपी नेता विनोद गोयल ने कहा कि बिना उपराज्यपाल की इजाजत के आप पार्टी की सरकार को किसने सब पर जासूसी करने एवं समिति का गठन करने का अधिकार दिया। उन्होंने केजरीवाल सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि वो लोगों पर जासूसी कर रहे हैं। फीडबैक यूनिट के गठन करने का अधिकार उनको किसने दिया? ये गुप्त सेवा निधि क्या है? असंवैधानिक रूप से समिति का गठन किस प्रकार कर सकते हैं? एलजी की अनुमति के बिना 38 लोगों को कैसे नियुक्त किया?
विनोद गोयल ने कहा; मेरा तो मानना है कि वो अपने विधायकों पर भी नजर रखते होंगे। सीबीआई को इसकी जांच करनी चाहिए। साथ ही केजरीवाल सरकार को बताना चाहिए कि उन्होंने कहाँ-कहाँ दूरबीन लगा रखी है।
विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली के एलओपी राजवीर सिंह बिधूड़ी ने मुख्यमंत्री केजरीवाल से उस अधिकारी का नाम सार्वजनिक करने को कहा जिसकी अनुमति से उन्होंने समिति का गठन किया था।
उल्लेखनीय है कि मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया था कि वर्ष 2015 में आम आदमी पार्टी की सरकार ने नेताओं और अफसरों की जासूसी करवाई थी और इसके लिए एक फीडबैक यूनिट भी स्थापित की गई थी। इस प्रकरण में सीबीआई द्वारा उपराज्यपाल वीके सक्सेना से जांच की इजाजत मांगी गई है। वहीं, सीबीआई द्वारा मनीष सिसोदिया के खिलाफ सतर्कता विभाग को रिपोर्ट किए जाने के बाद बुधवार (8 फरवरी, 2023) को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गृह मंत्रालय के द्वारा मनीष सिसोदिया के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के लिए ‘फीडबैक यूनिट’ का मामला राष्ट्रपति को भेज दिया है।
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वर्ष 2017 में ही सतर्कता विभाग द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को रिपोर्ट भेजी गई थी जिसके आधार पर एलजी ने मामले को सीबीआई को दिया था। इस मामले की प्रथम जांच वर्ष 2021 में पूरी हो गई थी। इसके बाद सीबीआई द्वारा उपराज्यपाल एवं गृह मंत्रालय को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत मंजूरी के लिए लिखा था।
ज्ञात हो कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत पूर्व अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है। इसके तहत सीबीआई को अभी तक कुछ की ही मंजूरी आई है। दूसरों की मंजूरी के लिए अभी इंतजार में है। एक बार मंजूरी मिलने पर सीबीआई एफआईआर या आरसी दर्ज करेगी।
उल्लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने कथित तौर पर सतर्कता प्रतिष्ठान को मजबूत करने के लिए वर्ष 2015 में एक फीडबैक यूनिट बनाई थी। वर्ष 2016 में सतर्कता निदेशालय दिल्ली सरकार के एक अधिकारी की शिकायत के बाद सीबीआई द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में पाया गया कि इसमें कई अन्य कार्यों के साथ राजनीतिक हितों को छूने वाले व्यक्तियों, राजनीतिक संस्थाओं और राजनीतिक मुद्दों की राजनीतिक गतिविधियों से संबंधित खुफिया जानकारी एकत्र की गई थी।
हालांकि, मामले में सिसोदिया की भूमिका का खंडन करते हुए आम आदमी पार्टी द्वारा प्रकरण को झूठा बताया गया है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि ये मामला राजनीति से प्रेरित है। साथ ही मामले में अडानी को घसीटते हुए आप पार्टी ने कहा कि सीबीआई एवं ईडी को मोदी और अडानी के बीच संबंधों की जांच करनी चाहिए।