केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक कुलदीप सिंह ने बुधवार (सितम्बर 21, 2022) को प्रेस वार्ता में बताया कि बिहार अब वामपंथी उग्रवाद (LTE) से मुक्त हो गया है। कुलदीप सिंह ने कहा कि पूर्वी राज्य में माओवादियों की कुछ जबरन वसूली करने वाले गिरोह कुछ हद तक मौजूद हो सकते हैं लेकिन वहाँ अब ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ विद्रोही संगठन हावी हों।
नक्सल आतंकियों का अड्डा ‘बूढ़ा पहाड़’ भी ‘क्लीन’
बिहार और झारखंड में ऐसी कोई जगह नहीं, जहाँ अब सेना नहीं पहुंच सकती है। कुलदीप सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि झारखंड में बूढ़ा पहाड़ जो नक्सल बहुल इलाका था। उसे अब मुक्त करा लिया गया है।
बता दें कि बूढ़ा पहाड़ नक्सली आतंकियों का पिछले तीस साल से अड्डा रहा है। वहाँ हेलीकॉप्टर की मदद से फोर्स भेजी गई थी। बूढ़ा पहाड़ इलाके में अब सुरक्षाबलों के लिए स्थाई कैंप लगाया गया है। यह तीन अलग-अलग ऑपरेशनों के तहत किया गया है।
सीआरपीएफ के महानिदेशक ने कहा कि इस साल अप्रैल से शुरू किए गए तीन विशेष अभियानों- ‘ऑपरेशन ऑक्टोपस’, ‘ऑपरेशन थंडरस्टॉर्म’ और ‘ऑपरेशन बुलबुल’ के जरिए सुरक्षाबलों ने झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा से लगे बूढ़ा पहाड़ को विद्रोहियों के नियंत्रण से मुक्त कराया है।
बीते 6 महीने में यानी अप्रैल, 2022 से लेकर अब तक छतीसगढ़ में 7 नक्सली मारे गए हैं। वहीं, झारखंड में 4 और मध्य प्रदेश में 3 नक्सली, ऑपरेशन थंडरस्टॉर्म के तहत मारे गए हैं। इसके अलावा कुल 578 माओवादियों ने या तो आत्मसमर्पण किया है या फिर वे गिरफ्तार किए गए हैं।
साल 2009 से लेकर अब तक के आँकड़ो को देखें तो नक्सलवादियों से जुड़े मामलों में 77% की भारी कमी देखने को मिली है। साल 2009 में नक्सलवादियों के जुड़े मामले 2,258 अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर थे। वर्तमान में यह संख्या घटकर 509 हो गई है। बड़ी बात यह है कि मुठभेड़ में होने वाली मृत्यु दर में 85% तक की कमी आई है।