रविवार (4 जून, 2023) शाम 06:15 बजे बिहार के भागलपुर में उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ने के लिए बनाया जा रहा एक चार लेन का पुल टूटकर नदी में समा गया।
ज्ञात हो कि नीतीश कुमार सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत अगुवानी-सुल्तानगंज के बीच 1,710.77 करोड़ की लागत से यह पुल बन रहा था। इस घटना के बाद बिहार समेत देश भर में सियासी पारा बढ़ गया है और बिहार सरकार बैकफुट पर नज़र आ रही है।
पहले भी गिर चुका है यह पुल
इससे पहले भी पिछले वर्ष इस निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिरकर ध्वस्त हो गया था। दरसअल, 30 अप्रैल, 2022 को पिलर नम्बर चार, पांच और छ: को केबल एक्सटेंशन से जोड़ने वाला 108 मीटर लंबा सेगमेंट यानी सुपर स्ट्रक्चर गिरकर ध्वस्त हो गया था। उस समय इस घटना के पीछे आंधी-तूफ़ान को कारण बताया गया था। उस समय बताया गया कि उस रात आई आंधी में केबल एक्सटेंशन ठीक से कसा नहीं होने के कारण पुल गिर गया था।

इस घटना पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आश्चर्य जताते हुए कहा था कि हवा और धुंध की वजह से पुल कैसे गिर सकता है? उन्होंने बिहार सरकार की जांच रिपोर्ट पर भी शक जाहिर किया था। नितिन गडकरी ने कहा, “अपने सचिव को मैंने कहा कि आप एक आईएएस अधिकारी हैं और इस रिपोर्ट पर कैसे विश्वास कर सकते हैं? पुल हवा एवं धुंध के कारण नहीं गिर सकता है, इसका कारण कुछ और ही होगा। इसकी विस्तृत जांच की जरूरत है और निर्माण कार्य में गुणवत्ता का ध्यान रखने के साथ ही पारदर्शिता बरतनी जरूरी है।”
हालाँकि कल हुई घटना के बाद बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव फ़ौरन सफाई देने के लिए आगे आ गए।
“सरकार गिरवाना चाह रही थी ये पुल”
तेजस्वी यादव के अनुसार बिहार सरकार ने यह निर्णय लिया था कि इस पुल को पूरी तरह से तुड़वा कर दोबारा बनाया जाएगा।
तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि “30 अप्रैल, 2022 को आंधी आने के कारण से Super Structure का जो सेगमेंट था वो गिरा था और आप सब लोगों को पता होगा उस समय हम विपक्ष के नेता थे और हमने इस पर सवाल उठाए थे।” हमनें निर्माण मामलों में आईआईटी-रुड़की की एक टीम से इस पर एक अध्ययन करने के लिए कहा था और इसकी अंतिम रिपोर्ट आनी बाकी है।
इसके बाद सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव का विधानसभा में दिया गया एक बयान वायरल है। ये बयान उन्होंने वर्ष 2022 में विपक्ष में रहते हुए इस पुल के गिरने के बाद दिया था।
8 बार बढ़ाई गई डेडलाइन
आपको जानकार हैरानी होगी कि सुल्तानगंज-अगुवानी पुल के निर्माण कार्य को शुरू हुए 8 वर्ष बीत चुके हैं। इस पुल के तैयार होने का निर्धारित समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2019 बताया था। इसके बाद यह डेडलाइन कुल 8 बार बढ़ाई गई। अंत में इसे 31 दिसंबर, 2023 कर दिया गया था।
फेक न्यूज़ से प्रॉपगैंडा शुरू?
पुल के टूटते ही जिम्मेदारी से बचने के लिए बिहार सरकार ने आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू किया। इसका एक प्रभाव दिखा सोशल मीडिया पर, जहाँ कुछ लोगों द्वारा इस पुल को यह कहकर केंद्र सरकार का प्रोजेक्ट बताया गया कि इस पुल का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। हालांकि यह पूरी तरह फेक है।
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने जिस पुल का शिलान्यास किया था उस पुल को विक्रमशिला सेतु के समान्तर बनना था और इसका शिलान्यास वर्ष 2020 में किया गया था। इस वर्ष जनवरी माह में आई एक रिपोर्ट के अनुसार इसका निर्माण कार्य अभी शुरू नहीं हुआ था।
वहीं जो पुल कल टूटकर गंगा में समाया है, उस सुल्तानगंज-अगुवानी पुल का शिलान्यास वर्ष 2014 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया था।
इन तस्वीरों से दोनों पुलों का अंतर स्पष्ट हो जाता है। लाल रंग की रेखाएं सुल्तानगंज-अगुवानी पुल को दर्शा रही हैं एवं हरे रंग का संकेत विक्रमशिला सेतु के समान्तर बन रहे पुल के निर्माण स्थल को दिखाता है।

इस पूरे मामले में हास्यास्पद यह है कि बिहार सरकार के विधायक और मंत्रियों समेत कई लोग इस घटना को यह कहकर सही ठहरा रहे हैं कि “अच्छा हुआ पुल बनने से पहले ही ढह गया, बनकर चालू होने के बाद ढहता तो नुकसान अधिक हो सकता था।”
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