गूगल ने गुरुवार को गायक, संगीतकार और फिल्म निर्माता भूपेन हजारिका को उनकी 96 वीं जयंती पर आज यानी 8 सितंबर 2022 को अपने डूडल के साथ श्रद्धांजलि दी है। गूगल का यह डूडल मुंबई की कलाकार रुतुजा माली ने बनाया है, जिसमें हजारिका को उनका प्रिय हारमोनियम बजाते हुए दिखाया गया है।
मूल रूप से असम के रहने वाले भूपेन हजारिका ने अपने जीवन में सैकड़ों भारतीय फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया था, जिसने असमिया सिनेमा और लोक संगीत को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाया। इतना ही नहीं, उन्होंने उत्तर-पूर्वी भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक सुधारकों में से अग्रणी होने के नाते, अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को एकजुट किया था।

हजारिका का जन्म 8 सितंबर 1926 को असम में हुआ था। महान ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे उनके बचपन के दिन लोकगीतों और लोक कथाओं को सुन समझकर गुजरते थे। कम उम्र में ही हजारिका की संगीत प्रतिभा ने असम के प्रसिद्ध गीतकार ज्योतिप्रसाद अग्रवाल और फिल्म निर्माता बिष्णु प्रसाद राभा का ध्यान अपनी ओर खींचा। उन्होंने हजारिका को उनका पहला गाना रिकॉर्ड करने का मौका दिया, और इस तरह 10 साल की उम्र में भूपेन के संगीत करियर की शुरुआत हुई। 12 साल की उम्र आते आते, हजारिका ने दो फिल्मों के लिए गाने लिखे और रिकॉर्ड भी किए, यह फिल्में थीं: ‘इंद्रमालती’, और ‘विश्वविजयी नौजवान’।
सामान्य मानवीय संवेदनाओं को किया अभिव्यक्त

उनके गीतों ने आम लोगों की कहानियों, उनके सुख और दुःख, एकता और साहस, रोमांस और अकेलेपन और यहाँ तक कि संघर्ष और दृढ़ संकल्प की कहानियों को सुरों में पिरोया। अगर उन्हें असमिया संस्कृति की आत्मा कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। ऐसा ही उनका एक गीत बहुत प्रसिद्ध हुआ जिसने जन-जन के दिल को छू लिया :-
विस्तार है आपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार निःशब्द सदा
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ?
विस्तार है आपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार निःशब्द सदा
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ?
नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुई
निर्लज्ज भाव से बहती हो क्यूँ ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार
ओ गंगा की धार, निर्बल जन को
सबल-संग्रामी, समग्रोगामी
बनाती नहीं हो क्यूँ ?
॥ विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार..॥
अनपढ़ जन, अक्षरहीन
अनगीन जन, खाद्यविहीन
नेत्रविहीन दिक्षमौन हो क्यूँ ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार
ओ गंगा की धार, निर्बल जन को
सबल-संग्रामी, समग्रोगामी
बनाती नहीं हो क्यूँ ?
॥ विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार..॥
व्यक्ति रहे व्यक्ति केंद्रित
सकल समाज व्यक्तित्व रहित
निष्प्राण समाज को छोड़ती न क्यूँ ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार
ओ गंगा की धार, निर्बल जन को
सबल-संग्रामी, समग्रोगामी
बनाती नहीं हो क्यूँ ?
॥ विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार..॥
रुदस्विनी क्यूँ न रहीं ?
तुम निश्चय चितन नहीं
प्राणों में प्रेरणा देती न क्यूँ ?
उनमद अवमी कुरुक्षेत्रग्रमी
गंगे जननी, नव भारत में
भीष्मरूपी सुतसमरजयी जनती नहीं हो क्यूँ ?
॥ विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार..॥
विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार, निःशब्द सदा
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ?
ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम
गंगा तुम, ओ गंगा तुम
गंगा… बहती हो क्यूँ ?
-भूपेन हजारिका
हजारिका केवल एक बाल संगीतकार ही नहीं थे, बल्कि 1946 में उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की थी और 1952 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से जन संचार में पीएच.डी. पूरी की। अमेरिका में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे वापिस भारत लौट आए।
पुरस्कारों से ऊपर थे भूपेन हजारिका

हजारिका का संगीत कैरियर विशाल था, छह दशक के करियर के दौरान, हजारिका ने संगीत और संस्कृति हेतु उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, दादा साहब फाल्के पुरस्कार, पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते। 2019 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से मरणोपरांत सम्मानित किया गया।
अपने कैरियर के दौरान भूपेन हजारिका ने कई प्रशासनिक पदों पर रहते हुए संगीत और संस्कृति की सेवा की, उन्होंने राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम सहित कई बोर्डों के अध्यक्ष और निदेशक के रूप में भी काम किया।
राजनीति से भी रहा रिश्ता
1967 में भूपेन हजारिका ने असम के नोबोइचा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता था। इसके बाद वे लंबे समय तक राजनीति से दूर रहे। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने गुवाहाटी संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, पर सफलता नहीं मिल पाई।

भूपेन हजारिका पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मित्र भी थे और उनके पसंदीदा संगीतकार भी। एक बार हजारिका का एक संगीत कार्यक्रम जब खत्म होने वाला था तब उनके पास एक चिट्ठी आई, जिसमें भूपेन के प्रसिद्ध गीत ‘मोई एती जाजाबोर’ गाने का निवेदन किया गया था। चिट्ठी के नीचे अटल जी का नाम लिखा था। बाद में अटल जी ने कहा, “मैं पहली लाइन में बैठा था और ये गाना सुनने के लिए तड़प रहा था।” बाद में अपने अपने क्षेत्र के इन दोनों ही शीर्ष लोगों को भारत रत्न दिया गया।
आज गृह मंत्री अमित शाह ने भी असमिया भाषा में ट्वीट करके हजारिका को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने लिखा, “मैं असाधारण आवाज वाले अद्भुत संगीतकार भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका जी को, उनकी जयंती पर उन्हें नमन करता हूं। अपने बहुमुखी और मंत्रमुग्ध कर देने वाले गीतों द्वारा, उन्होंने भारतीय संगीत और असमिया लोक संस्कृति को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाया। संगीत और कला की दुनिया में उनका योगदान सराहनीय है।”