यह कोई पहली बार नही है जब हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले त्योहार पर किसी कंपनी या संस्थान ने विवादित बयान दिया हो। पहले भी दीपावली हो या नवरात्रि, होली हो या रक्षाबंधन, वामपंथी विचारधारा हिन्दू धर्म को आहत करने के प्रयास करती रही है।
पश्चिम एवं वामपंथी विचारधारा के हिन्दुफोबिया से हम सब भली भांति अवगत हैं, इन कट्टरपंथियों को नए वर्ष में पटाखों से वायु प्रदुषण होता नहीं दिखाई देता पर साल में एक बार पाप पर पुण्य की जीत, अंधकार पर रौशनी की जीत के पर्व दीपावली पर वायु प्रदुषण का अलाप सुरु हो जाता है।
ऐसा ही कुछ ‘भारत मैट्रीमोनी’ वेबसाइट ने अपने एक विज्ञापन में किया। विज्ञापन में एक महिला को दिखाया गया जिसका चेहरा अलग-अलग रंगों से रंगा हुआ है। वह वॉशरूम में पानी से अपने चेहरे को धोती है। उसके चेहरे से जब रंग हटता है तो आंखों के नीचे काला धब्बा, नाक और सिर पर चोट के निशान दिखते हैं। तभी नीचे एक संदेश आता है- “कुछ निशान ऐसे होते हैं, जो कभी नहीं धुलते हैं। उसे आसानी से छिपाया नहीं जा सकता है।”
भारत मैट्रीमोनी का मानना है कि भारतीय त्योहारों में महिलाओं को परेशान किया जाता है और होली खेलने के बहाने उनका शोषण होता है। इस कंपनी का इस पर कहना है कि ‘बहुत सी महिलाओं ने इसी लिए होली खेलना छोड़ दिया है, इसीलिए इस होली आप भी महिला दिवस मनाएं और खुद को सुरक्षित रखें।’
क्यों मनाई जाती है होली?
होली का पवित्र पर्व फ़ागुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली पर्व मनाने के पीछे कई पौराणिक मान्यता है। पहली यह कि राक्षस हिरण्यकश्यपु स्वयं को ईश्वर रूप मानता था और इसी अहंकार मे वो अपनी प्रजा से खुद की पूजा करवाता था। पर हिरण्यकश्यपु का पुत्र प्रहलाद भगवान् श्रीविष्णु की भक्ति में सदैव लीन रहता था। वो बालक बस विष्णु जी की पूजा करता था। इसी बात पर हिरण्यकश्यपु बहुत क्रोधित रहता था और उसने प्रहलाद को मारने के कई तरीके अपनाये पर कुछ काम ना आया। तब हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका से मदद ली। होलिका को वरदान प्राप्त था की वो कभी अग्नि मे जल नही सकती।
जब होलिका प्रहलाद को ले कर अग्नि कुंड मे बैठी तब भी भगवान श्री विष्णु भक्त प्रहलाद का बाल भी बांका न हुआ और होलिका वरदान प्राप्ति के बावजूद भी भस्म हो गई। ये कहानी प्रतीक है बुराई पर अच्छाई की, ईश्वर की भक्ति की एवं हिंसा पर अहिंसा की विजय की।
दूसरी मान्यता ये है कि श्रीकृष्ण राधा रानी के साथ बरसाने मे फागुन में समय व्यतीत करते थे। जब पृथ्वी अपने सबसे जीवंत रूप में सबसे खूबसूरत और पोषण देने वाली होती है। वैज्ञानिक रूप से भी देखा जाए तो साल के इस समय पृथ्वी की धुरी में कुछ परिवर्तन होता है, जिससे पृथ्वी सूर्य के और निकट आ जाती है और फिर से शीत ऋतु तथा पतझड़ के बाद एक बार फिर हरियाली नज़र आने लगती है।
इसी रंग-बिरंगी जीवंत पृथ्वी के स्वरूप को रंगो से दर्शाया जाता है। इसलिए पौरांकिक समय मे प्राकृतिक रंगो और भस्म का प्रयोग किया जाता था। इसे त्वचा एलर्जी और अन्य बीमारियों से दूर रहती थी। पर आज के इस बजारवाद के दौर में काफ़ी स्तर तक यह सब भी प्रभावित हुआ है।
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हाल ही में होली पर्व पर फ़ूड डिलीवरी ऐप ‘स्विगी’ के एक बिलबोर्ड की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई लोगों में आक्रोश देखा गया। उन्होंने सोशल मीडिया पर स्विगी के इस दुष्प्रचार का ज़िक्र किया और स्विगी को हिन्दूघृणा से लिप्त बताया। लोगों के भारी विरोध के बाद स्विगी के अंडे के विज्ञापन बिलबोर्ड को हटा लिया गया है। इस विज्ञापन में कहा गया है, “ऑमलेट – सनी साइड-अप – किसी के सर पर मत मारो। बुरा मत खेलो।”
भारत मैट्रीमोनी हो या स्विगी, दोनों कंपनी का हिंदूफोबिया उनके विज्ञापनों में साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है। यह सोचने की बात है कि किसने इनको इतनी ताक़त दे रखी है कि इन कट्टरपंथी कंपनियों को मात्र हिन्दू धर्म पर ही अपने विवादित विज्ञापन देते देखा जाता है? हमने कभी इन्हें ईद पर बकरों को काटने पर रोक लगाने हेतु कोई बयान या विज्ञापन बनाते नहीं देखा? यदि किसी ने ऐसा साहस किया भी तो उसे जबरन इतना प्रताड़ित किया गया कि उसने दोबारा कभी ऐसा प्रयास नहीं किया। क्रिसमस पर होने वाले पटाखों के जश्न और पेड़ों की कटाई पर भी इन्हें कुछ कहते क्या कभी आपने सुना? नए साल पर फोड़े जाने वाले पटाखों से दुनियाभर में होने वाले वायु प्रदुषण पर भी इनकी मुखर आवाज़ दबी ही रहती है। लेकिन इनका सारा ज्ञान बस हिन्दू धर्म में मनाए जाने वाले त्योहार पर ही देखने को मिलता है।
महिला सुरक्षा पर अवश्य बात होनी चाहिए लेकिन यह बात मात्र हिन्दू धर्म के त्योहार को निशाना बनाने के लिए करना मात्र कट्टरपंथी विचारधारा की नफ़रत को ही दर्शाता है। भारत सरकार के द्वारा महिला सुरक्षा पर कई विशेष नियम बनाये गये हैं जिसका लाभ भारत देश की करोड़ों महिलाओ को मिल रहा है।
बाल विवाह: हिंदू इतिहास और सत्य
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ऐप का उपयोग कर एकत्र किए गए डेटा से हिंदूफोबिया – हिंदू विरोधी भावना पर मासिक रिपोर्टों की एक श्रृंखला इंडिया फैक्ट्स द्वारा प्रकाशित की जा रही है, जो एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो अब पूरी तरह से हिंदुओं, हिंदू धर्म और हिंदू पर हमलों को उजागर करने पर केंद्रित है।
फ़रवरी 2023 में एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर इनमें से पहली मासिक रिपोर्ट अब इस प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित की गई है। इन आँकड़ों से पता चलता है कि सोशल मीडिया मंच ट्विटर पर 26,394 हिन्दू विरोधी ट्वीट्स किए गए हैं और मार्च 2023 में अब तक 7690 हिन्दू विरोधी ट्वीट किए जा चुके हैं। यह सोशल मीडिया के ज़रिए हिंदुओं से घृणा के बढ़ते स्तर को दर्शाता है।
यह लेख आरटीआई कार्यकर्ता विवेक पांडेय द्वारा लिखा गया है।