वैश्विक व्यापार में डॉलर की हमेशा से ही अहमियत रही है। पूरे वैश्विक व्यापार का लगभग 80% भुगतान डॉलर में ही होता है। लगातार डॉलर की कीमतों का बढ़ना भारतीय खजाने पर बोझ डालता रहा है। साथ ही, विश्व में कई देशों के ऊपर अमरीकी प्रतिबंधो के कारण उनसे डॉलर में व्यापार करना भी काफी मुश्किल हो जाता है।
ऐसी परिस्थितयों में भारत ने इसका तोड़ खोजने के लिए अपनी मुद्रा ‘रुपए’ को ही वैश्विक व्यापार में उपयोग करने की तरफ कदम बढ़ाए हैं। इससे पहले रूस के साथ भारत रुपयों और रूबल में व्यापार करने की तरफ कदम बढ़ा चुका है। अब भारत के पुराने दोस्त सऊदी अरब से इसी तरह के समझौते की बात चल रही है।
रूस के साथ रुपए और रूबल में व्यापार
भारत और रूस के बीच स्थानीय मुद्राओं में व्यापार कोई नई बात नहीं है, वर्ष 1953 में भारत ने रूस से इस प्रकार का समझौता किया था और उसके बाद काफी समय तक व्यापार रुपए और रूबल में होता रहा। वर्तमान समय में रूस के यूक्रेन से युद्ध प्रारम्भ होने के बाद ज्यादातर पश्चिमी देशों और अमेरिका ने रूस की बैंकों एवं उसकी व्यापारिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिए।
इसके कारण रूस ने अपने साथ व्यापार करने वाले देशों से रूबल में व्यापार करने का आग्रह किया था, भारत ने भी इस आग्रह को मानते हुए वर्ष 2022 में ही जुलाई में इस बात की घोषणा की कि वह रूस से रुपए और रूबल वाले व्यापार माध्यम का प्रयोग करेगा। इसके लिए भारतीय मुद्रा को नियमित करने वाली संस्था रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कुछ नियम भी जारी किए थे।
सऊदी अरब से बातचीत
इसी तरह का समझौता सऊदी अरब के साथ करने के प्रयास जारी हैं। सऊदी अरब के दो दिवसीय दौरे पर गए भारत के व्यापारिक और औद्योगिक मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने अपने सऊदी समकक्ष से इस विषय में बात की।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में बताया गया कि मंत्री पीयूष गोयल ने अपने समकक्ष डॉ माजिद बिन अब्दुल्ला अल-कसाबी के साथ हुई बातचीत में रुपए और रियाल वाले व्यापारिक समझौते को व्यवहार में लाने की बात की। इसके साथ ही, उन्होंने सऊदी अरब में भारतीय कार्ड रुपे और भारतीय पेमेंट सर्विस यूपीआई के शुरुआत जैसे मुद्दों पर भी बात की।
सऊदी अरब है खास
सऊदी अरब भारत के प्रमुख वैश्विक सहयोगियों में से एक है, सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है। इसी के साथ ही सऊदी अरब में काफी बड़ी संख्या पर भारतीय कामगार काम करते हैं, उनको रोजगार देने के साथ-साथ इन कामगारों द्वारा भेजा गया धन भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को भी भरने में मदद करता है।
सऊदी अरब भारत का अहम् ऊर्जा सहयोगी भी है, भारत विश्व में तीसरे स्थान पर सबसे ज्यादा ऊर्जा का उपयोग करता है। सऊदी अरब हमेशा से ही भारत के कच्चे तेल का एक प्रमुख स्त्रोत रहा है। इसी के साथ ही पाकिस्तान को भी नियंत्रित करने में सऊदी अरब की काफी भूमिका रही है।