पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने अपनी शराब नीति का ऑनलाइन फॉर्म वापस ले लिया है। उल्लेखनीय है कि पंजाब की नई शराब नीति दिल्ली की तर्ज पर ही बनाई गई है जिसमें हुई अनियमितताओं के संबंध में सीबीआई द्वारा दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया है।
पंजाब में भी नई आबकारी नीति के नवीनीकरण के लिए ऑनलाइन फॉर्म जारी किया गया था जो दिल्ली में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के एक दिन बाद ही वापस ले लिया गया है।
सिसोदिया को भगत सिंह साबित करने में लगी आम आदमी पार्टी पंजाब में कानून व्यवस्था को लेकर सबके निशाने पर है। साथ ही पंजाब में स्थानीय व्यापारियों की उपेक्षा करके पार्टी के नेतृत्व के कहने पर बाहरी लोगों को प्राथमिकता देने के मामले में पंजाब की आप सरकार पहले से ही विरोध का सामना कर रही है।
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जानकारी है कि सोमवार (27 फरवरी,2023) को सरकारी पोर्टल excise.punjab.gov.in पर कुछ समय के लिए फॉर्म दिखाई दिया था। इस मामले में एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सेट को गलती से अपलोड किया गया था जिसे हटा लिया गया है। अपलोड किए गए फॉर्म में वर्ष 2023-2024 के खुदरा(शराब) लाइसेंस को नवीनीकरण किए जाने, चेकलिस्ट, फॉर्म-एम-75 और पंजाब में नशीले पदार्थों के लाइसेंस और बिक्री के आदेश के साथ ही 1956 के आदेश-7 के तहत शपथ पत्र शामिल थे। भगवंत मान सरकार द्वारा जारी यह फॉर्म पंजाब में नई आबकारी नीति की ओर इशारा कर रहे हैं। हालांकि पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सरकार नीति को अभी अंतिम रूप दे रही है।
वहीं दिल्ली की तरह ही पंजाब में भी नई शराब नीति का विरोध सामने आया है। शराब व्यापारियों का कहना है कि वर्तमान में चल रही प्रक्रिया के बीच नई आबकारी नीति से लाइसेंसधारियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इस वर्ष उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बता दें कि नवंबर, 2021 में दिल्ली में लागू की गई नई आबकारी नीति में भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए थे। भ्रष्टाचारियों के तार दिल्ली सरकार के मंत्रियों तक जुड़े होने के कारण केजरीवाल सरकार निशाने पर चल रही है। दिल्ली में लागू हुई नई शराब नीति में आप सरकार द्वारा 600 शराब की दुकानों को बंद कर दिया गया था। नये नियम बनाने के साथ ही केजरीवाल सरकार ने दिल्ली को 32 जोन में बांटकर मात्र 16 कंपनियों को ही वितरण की अनुमति दी थी। नई शराब नीति के कारण बड़ें व्यापारियों को फायदा हुआ वहीं छोटे व्यापारियों को लाइसेंस सरेंडर करना पड़ा था।
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केजरीवाल सरकार द्वारा बड़े दमखम से नीति के द्वारा माफियाओं का अंत करने की बात की गई थी। हालाँकि नई नीति ने छोटे व्यापारियों को बड़ा नुकसान पहुँचाया। सरकार के राजस्व में भी घाटा देखने को मिला और नीति भ्रष्टाचारियों के लिए फायदेमंद साबित हुई। आबकारी नीति में लाइसेंस वितरण में धांधली सामने आई और अब सीबीआई की रडार पर पार्टी के कई नेता हैं।
भ्रष्टाचार के मामलों में कुछ माह पूर्व एक स्टिंग ऑपरेशन भी सामने आया था जिसमें शराब कांड में आरोपी सनी मरवाह के पिता का कुलविंदर मरवाह ने दिल्ली में हो रहे भ्रष्टाचार की प्रक्रिया के बारे में बताया था। इसमें कुलविंदर मरवाह ने दावा किया था कि आप पार्टी भ्रष्टाचारी है और शराब कांड से केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को फायदा पहुँचा है।