पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर पूरी तरह से पंजाब विरोधी होने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि बीजेपी का वश चले तो वे राष्ट्रगान से पंजाब का नाम ही हटा दें। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री मान के द्वारा ये टिप्पणियां पंजाब विधानसभा में दो दिवसीय शीकालीन सत्र के उद्घाटन दिवस के दौरान की गई हैं।
मान ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने, पराली प्रदूषण के लिए राज्य को दोषी ठहराने, धान किसानों के खिलाफ मामले दर्ज करने, ऋण और समर्थन रोकने और अग्निवीर जैसे शहीद सैनिकों का अपमान करने के उद्देश्य से पंजाब के हितों का विरोध किया गया है। उन्होंने इस तरह की पंजाब विरोधी कार्रवाइयों पर भाजपा की चुप्पी की निंदा की और व्यंग्यात्मक ढंग से सुझाव दिया कि अगर उन्हें मौका मिला तो वे राष्ट्रगान के शब्दों को बदलने पर विचार कर सकते हैं।
इसके बाद भगवंत मान ने इस सत्र का उपयोग 19-20 जून के विधानसभा सत्र को वैध बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देने के लिए किया और परोक्ष रूप से राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा पर निशाना साधा। जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सत्र की वैधता की पुष्टि की है और इस बात पर जोर दिया कि किसी को भी निर्वाचित अध्यक्ष द्वारा बुलाए गए सत्र पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है।
इसपर मान ने मजाकिया लहजे में निर्वाचित और चयनित प्रतिनिधियों के बीच अंतर को उजागर करते हुए अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करने के लिए राज्यपाल के प्रति आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने राज्य के खजाने के लिए फायदेमंद वित्तीय विधेयकों के लिए सहयोग का आग्रह करते हुए विपक्ष और नौकरशाही से भी समर्थन मांगा।
साथ ही मुख्यमंत्री मान ने पंजाब में काल्पनिक सड़क लंबाई से संबंधित घोटाले को उजागर करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग का खुलासा किया, जिससे सड़क मरम्मत लागत में £2600 करोड़ की संभावित बचत का अनुमान लगाया गया है।
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