ब्रिटिश समाचार संस्थान बीबीसी को विश्वकप मुकाबले से पूर्व मुस्लिम राष्ट्र मोरक्को के फुटबॉल कप्तान से ‘अनुचित’ सवाल पूछने के लिए माफी मांगनी पड़ी है। मोरक्को की महिला विश्वकप टीम की कप्तान गिज़लेन चेब्बाक से मंगलवार को बीबीसी संवाददाता ने सवाल पूछा था। अब बीबीसी ने सोमवार (जुलाई 24, 2023) के दिन इस सिलसिले में माफ़ी मांगी है। महिला फीफा विश्व कप के इस मुकाबले में मोरक्को की टीम जर्मनी के खिलाफ उतरी थी।
ऑस्ट्रेलिया के टूर्नामेंट में महिला विश्वकप के लिए डेब्यू करने वाली मोरक्को पहली अरब और उत्तरी अफ्रीकी टीम बन गई है। इसी दौरान मैच के बाद मेलबर्न में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मोरक्को टीम की कप्तान गिज़लेन चेब्बाक से बीबीसी के एक संवाददाता ने एलजीबीटीक्यू+ यानी समलैंगिकता से जुड़ा एक ‘अनैतिक’ प्रश्न पूछ लिया, जिसके कारण विवाद पैदा हो गया।
बीबीसी संवाददाता द्वारा गिज़लेन से पूछा गया कि ‘मोरक्को में समलैंगिक संबंध रखना गैरकानूनी है तो क्या आपकी टीम में कोई लेस्बियन या समलैंगिक खिलाड़ी है और मोरक्को में उनका जीवन कैसा है’?
प्रश्न के जवाब में मोरक्को की कप्तान ने हंसते हुए अपने कोच रेनाल्ड पेड्रोस की ओर देखा। इस दौरान फीफा के एक अधिकारी ने बीच-बचाव करते हुए कहा कि यह एक बहुत ही राजनीतिक सवाल है और रिपोर्टर से फुटबॉल से संबंधित सवालों पर बने रहने के लिए कहा।
हालांकि बीबीसी रिपोर्टर अपने सवाल पर बना रहा और कहा कि यह कोई राजनीतिक सवाल नहीं बल्कि लोगों के बारे में है। रिपोर्टर ने मोरक्को की कप्तान की ओर इशारा कर के कहा कि उसे प्रश्न का उत्तर देने दें।
उल्लेखनीय है कि चेब्बाक मोरक्को की महिला फुटबॉल में एक प्रसिद्ध खिलाड़ी हैं। देश में विश्वकप की शुरुआत मोरक्कन फुटबॉल संगठन द्वारा बढ़े हुए निवेश और हाल के वर्षों में एक पेशेवर लीग की स्थापना के बाद हुई है। सोमवार को टीम को जर्मनी के खिलाफ 6-0 से हार मिली थी।
मामले पर टिप्पणी के लिए फीफा और मोरक्कन फुटबॉल एसोसिएशन से संपर्क किया गया है। जहां मोरक्कन फुटबॉल एसोसिएशन ने इस विषय में टिप्पणी के अनुरोध पर तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहे अन्य पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर इस सवाल की आलोचना की थी।
बीबीसी रिपोर्टर के प्रश्न ने कई विवाद खड़े कर दिए। इसी कार्यक्रम में मौजूद सीबीसी स्पोर्ट्स की पत्रकार शिरीन अहमद ने कहा कि यह बहुत ही विचित्र और समझ से बाहर था। सवाल को भले ही फीफा अधिकारी द्वारा रोक दिया गया हो पर यह प्रश्न पूछा ही नहीं जाना चाहिए था।
वहीं, एथलेटिक के रिपोर्टर स्टीफ़ यांग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को तनावपूर्ण करार दिया। यांग ने कहा कि यह किसी खिलाड़ी के लिए उचित सवाल नहीं है और इससे खिलाड़ी खुद खतरे में पड़ सकते हैं।
मामले में उठे विवाद को देखते हुए आखिरकार बीबीसी ने अपना माफीनामा जारी कर दिया है। मंगलवार (जुलाई 25, 2023) को बीबीसी ने सफाई पेश करते हुए माना कि प्रश्न अनुचित था। बीबीसी का कहना है कि ‘हमारा उनके खिलाड़ियों के लिए नुकसान या संकट पैदा करने का कोई इरादा नहीं था’।
बीबीसी का अपने एक्टिविस्ट नजरिए को लेकर विवादों में रहना कोई नई बात नहीं है। ब्रिटिश प्रसारक को हाल के वर्षों में एलजीबीटीक्यू मुद्दों पर नरैटिव फैलाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।
ज्ञात हो कि एलजीबीटीक्यू समूहों ने 2021 में ट्रांस महिलाओं द्वारा सैक्स के लिए दबाव डालने पर बात करने वाला एक लेख प्रकाशित करने के लिए बीबीसी की आलोचना की थी। इसमें उन्होंने दावा किया था कि सभी ट्रांस लोगों को ‘यौन शिकारियों’ के रूप में दर्शाया गया है।
बीबीसी ने इस तरह की आलोचनाओं से बचने के लिए कंपनी के नियमों में बदलाव करते हुए अपने पत्रकारों को एलजीबीटीक्यू प्राइड गतिविधियों में भाग लेने से रोक दिया था।
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FIFA महिला फुटबॉल वर्ल्ड कप
फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी इस बार न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के पास है। यह पहली बार है जब महिला फुटबॉल वर्ल्ड कप की मेजबानी दो देशों के पास संयुक्त रूप से है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष महिला विश्व कप में एलजीबीटीक्यू एथलीटों की रिकॉर्ड संख्या है। एलजीबीटीक्यू स्पोर्ट्स वेबसाइट आउटस्पोर्ट्स की हालिया गणना के अनुसार, इस साल कम से कम 94 एथलीट प्रतिस्पर्धा करेंगे, जो टूर्नामेंट के 736 प्रतिभागियों में से लगभग 13% है। आउटस्पोर्ट्स के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में सबसे अधिक 10 खिलाड़ी हैं, इसके बाद ब्राजील और आयरलैंड में नौ-नौ खिलाड़ी हैं।
बीते सप्ताह ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में शुरू हुए टूर्नामेंट से पहले फुटबॉल महासंघों, मानवाधिकार संगठनों और खिलाड़ियों ने फीफा और सऊदी अरब के पर्यटन प्राधिकरण के बीच टूर्नामेंट के लिए संभावित प्रायोजन सौदे की निंदा की थी। दरअसल, सऊदी अरब में महिलाओं के अधिकार सख्त पुरुष संरक्षकता कानूनों के तहत प्रतिबंधित हैं और समलैंगिकता को अवैध माना गया है।
इसके बाद जब सऊदी प्रायोजन सौदे में विफल हो गया तो फीफा ने एलजीबीटीक्यू+ अधिकारों के समर्थन में खिलाड़ियों को वनलव आर्मबैंड या रेनबो आर्मबैंड पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
बता दें कि यह नियम पिछले साल कतर में हुए पुरुष विश्व कप में भी लागू थे। जून, 2023 में फीफा ने भाग लेने वाली 32 महिला टीमों, खिलाड़ियों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के परामर्श से आठ वैकल्पिक विकल्पों की घोषणा की थी।
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