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Home » बामियान के बुद्ध तोड़ने वाला तालिबान कर रहा अफ़ग़ान नेशनल म्यूज़ियम की रखवाली
झरोखा

बामियान के बुद्ध तोड़ने वाला तालिबान कर रहा अफ़ग़ान नेशनल म्यूज़ियम की रखवाली

Mudit AgrawalBy Mudit AgrawalSeptember 3, 2022No Comments8 Mins Read
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Afghanistan Museum Bamyan Buddha तालिबान नेशनल म्यूजियम संग्रहालय बामियान बुद्ध
काबुल के राष्ट्रीय संग्रहालय के प्रवेश द्वार की सुरक्षा में खड़े तालिबान के गार्ड और मुस्कुराते बामियान के बुद्ध. चित्र : मुस्तफ़ा मेलिह
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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बामियान के बुद्ध तोड़ने वाला तालिबान अफ़ग़ान नेशनल म्यूज़ियम की रखवाली कर रहा है। आजकल सबसे ज्यादा आकर्षक स्थान म्यूज़ियम के अंदर नहीं, बल्कि इसके प्रवेश द्वार पर दिखाई देता है। तालिबान के सशस्त्र युवा गार्ड म्यूज़ियम परिसर में आगंतुकों की तलाशी लेकर प्रवेश द्वार की सुरक्षा कर रहे हैं।

कभी तोड़ी थीं बामियान में बुद्ध की मूर्तियां, अब कर रहे नेशनल म्यूज़ियम की रखवाली

तालिबान को आखिर हुआ क्या है?#Taliban #Afghanistan #Bamiyan pic.twitter.com/TtMVEcbr7y

— The Pamphlet (@Pamphlet_in) September 3, 2022

पिछली बार जब तालिबान अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर काबिज था, तब तत्कालीन नेता मुल्ला मुहम्मद उमर के निर्देश पर, तालिबानियों ने इस संग्रहालय की प्राचीन मूर्तियों और अन्य बहुमूल्य वस्तुओं को तोड़ दिया था, जिन्हें वे गैर-इस्लामी और मूर्तिपूजक परंपरा से मानते थे।

तालिबान ने ध्वस्त किए थे बामियान के विशाल बुद्ध

यह 2001 का समय था, और उसी साल मार्च में तालिबान ने बामियान शहर में एक विराट चट्टान पर उकेरी गई दो प्राचीन, विशाल बुद्ध प्रतिमाओं को भी बम धमाकों से उड़ा दिया था। यह दूसरी बात है कि उसी साल का अंत आते आते, तालिबान की सत्ता भी जमींदोज हो गई थीं।

55 फुट लंबे शाक्यमुनि नाम के ‘पूर्वी बुद्ध’ और 38 फुट लंबे वैरोचन नाम के ‘पश्चिमी बुद्ध’ की यह विशाल बुद्ध प्रतिमाएं छठी शताब्दी की थीं जिनपर पूर्व के गुप्त साम्राज्य और पश्चिम के सासानी साम्राज्य की कलाओं का संयुक्त प्रभाव था। इन मूर्तियों के आसपास अन्य कलाकृतियों और मूर्तियों के साथ साथ बौद्ध भिक्षुओं की कई गुफाएं भी थीं।

Afghanistan Museum Bamyan Buddha Taliban Kabul National Museum तालिबान नेशनल म्यूजियम संग्रहालय बामियान बुद्ध
1997 में अफगानिस्तान के बामियान में विशाल बुद्ध प्रतिमा के पास एक व्यक्ति। तालिबान ने मार्च 2001 में बामियान के प्रसिद्ध बुद्धों को नष्ट कर दिया।

2001 में इस्लामिक शरिया का हवाला देकर तालिबान ने घोषणा की कि वह दोनों बुद्ध प्रतिमाओं को ध्वस्त करने जा रहा है और यह पूरी तरह उसका धार्मिक मामला है और इसलिए बुद्ध की मूर्तियाँ तोड़ना जायज़ है। अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान पर लगाए गए प्रतिबंधों का बदला लेना इसका दूसरा कारण था।

तालिबान की इस घोषणा से दुनिया की राजनीति में भूचाल आ गया। आनन फानन में OIC के मुस्लिम देशों की बैठक बुलाई गयी। ईरान, सऊदी, UAE और पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देशों ने भी इस कदम का विरोध किया। भारत ने उन सभी सांस्कृतिक चिह्नों को अपने खर्च पर अफ़ग़ानिस्तान से भारत लाने की पेशकश की ताकि उनका संरक्षण किया जा सके पर तालिबान ने इसे ठुकरा दिया।

जापान ने भी उन मूर्तियों को जापान ले जाने की पेशकश की, इसके आलावा उसने मूर्तियों को ढकने, उनके बदले पैसा देने जैसी कई पेशकश कीं पर तालिबान नहीं माना। बौद्ध देशों चीन, श्रीलंका, जापान, दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों और अमेरिका, यूरोप ने तरह तरह से विरोध और समझाइश की कोशिश की। संयुक्त राष्ट्र ने इस कदम के विरोध और अन्य रास्तों को लेकर तालिबान को 36 पत्र भेजे, पर यह सब के सब प्रयास विफल हुए।

तालिबान ने फरवरी से ही पहले तो बहुत दिनों तक एंटी एयरक्राफ्ट हथियारों से मूर्तियों पर गोलियाँ दागीं पर मूर्तियों के पहाड़ से जुड़ा होने के कारण सफलता नहीं मिली, इसके बाद मूर्तियों के नीचे एंटी टैंक विस्फोटक बिछाए गए। 2 मार्च को चट्टानी प्रतिमाओं पर डायनामाइट से हमले शुरू किए गए। इन हमलों से मूर्तियों में जो छेद बने उनमें अलग से विस्फोटक भरा गया। इस तरह कई हफ्तों में मूर्तियाँ बेरहमी से ध्वस्त कर दी गयीं।

Afghanistan Museum Bamyan Buddha Taliban Kabul National Museum तालिबान नेशनल म्यूजियम संग्रहालय बामियान बुद्ध
काबुल में 18 फरवरी, 2003 को राष्ट्रीय संग्रहालय के एक कमरे में नई छत लगाते श्रमिक। 1990 के दशक में भारी लड़ाई के दौरान बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त हुए संग्रहालय को अंतरराष्ट्रीय मदद से पुनर्निर्मित किया गया था। चित्र : पॉला ब्रोंस्टीन

और इसलिए जब एक साल पहले तालिबान की सत्ता में फिर वापसी हुई, तो कई सांस्कृतिक विरासत संरक्षक इस संग्रहालय के अपूरणीय खजाने और इसके भाग्य के बारे में चिंतित हो गए थे। क्योंकि तालिबान ने बामियान के बुद्धों के साथ साथ काबुल के नेशनल म्यूजियम में भी प्राचीन कलाकृतियों को ध्वस्त किया था।

अफगान संग्रहालय के साथ सालों तक साथ काम करने वाली सांस्कृतिक विरासत और संरक्षण विशेषज्ञ लौरा टेडेस्को कहती हैं कि, “अफगानिस्तान का राष्ट्रीय संग्रहालय, एक समय में, मध्य एशिया का सबसे बेहतरीन संग्रहालय था, और इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है।”

वह अपनी पुरानी यात्रा को याद करती हैं जब संग्रहालय की दीर्घाएँ प्रागैतिहासिक मूर्तियों, प्राचीन बौद्ध कलाकृतियों और आदमकद मानवीय मूर्तियों से भरी हुई थीं – यह सभी अफ़ग़ानिस्तान की हजारों साल की संस्कृतियों के विविध आयामों को दिखाती थीं।

Afghanistan Museum Bamyan Buddha Taliban Kabul National Museum तालिबान नेशनल म्यूजियम संग्रहालय बामियान बुद्ध
2006 में पेरिस के ‘मुसी गुइमेट’ में प्रदर्शित अफगानिस्तान के राष्ट्रीय संग्रहालय की कलाकृतियाँ। ये वस्तुएं पहली से तीसरी शताब्दी की हैं, और इन्हें अफगानिस्तान के तिल्या टेपे, ऐ खानम और बेग्राम पुरातात्विक स्थलों से बरामद किया गया था। चित्र : थिएरी ओलिविएर

टेडेस्को कहती हैं, “इस म्यूजियम में प्रदर्शित कलाकृतियां उत्कृष्ट थीं। अफ़ग़ानिस्तान की उन अद्वितीय कलाकृतियों से अफ़ग़ान संस्कृति की विविधता प्रमाणित होती थी क्योंकि अफगानिस्तान एशिया का एक सांस्कृतिक चौराहा था, पर सेनाओं, विचारकों और धर्म की लड़ाई ने इसे तोड़ डाला।”

संग्रहालय में अब क्या क्या है ?

अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा काबुल पर नियंत्रण करने के बाद, म्यूजियम बंद हो गया था। म्यूजियम के कर्मचारी और अन्य लोग परेशान थे कि क्या तालिबान देश की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और प्राचीन कलाकृतियों की लूट को रोकने के अपने महीनों पहले किए गए वादे को याद रखेगा।

पर जब म्यूजियम को अंततः दिसंबर में फिर से खोला गया, तो सांस्कृतिक विरासत के पैरोकारों के मन में आशा की किरण जगी कि तालिबान शासन में इस बार चीजें पहले से अलग हो सकती हैं।

यह अफ़ग़ान संग्रहालय पहले विदेशियों और शोधकर्ताओं से लेकर स्कूली बच्चों, और पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता था। पर वर्तमान में, अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था बर्बाद होने के बाद से, यहाँ कुछ ही लोग आते हैं। हालाँकि अभी यहाँ चीजें ठीक चल रही हैं, और संग्रहालय कर्मचारी पहले की तरह अपना काम कर रहे हैं।

Afghanistan Museum Bamyan Buddha Taliban Kabul National Museum तालिबान नेशनल म्यूजियम संग्रहालय बामियान बुद्ध
तालिबानी लड़ाके मंसूर जुल्फिकार ने, 6 दिसंबर, 2021 को काबुल में अफगानिस्तान के राष्ट्रीय संग्रहालय का दौरा किया था। चित्र : पेट्रोस जियानाकोरिस

संग्रहालय में चमकीले हरे और नीले रंग में रंगे सदियों पुराने जीवंत सिरेमिक कटोरे, और सावधानीपूर्वक उकेरी गयीं कुरान की आयतों वाले प्राचीन कलश दर्शाए गए हैं।

यहाँ पुराने सिक्कों के ढेर भी हैं, जिनमें शुद्ध सोने के सिक्के भी शामिल हैं। एक कमरे में अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाके के लोकदेवता की लकड़ी की मूर्ति है, और कुछ पुराने हथियार हैं जिनपर हीरे मोती जड़े हैं।

बौद्ध कलाकृतियाँ अब बीते कल की बात

तीसरी मंजिल पर एक बड़े बोर्ड पर अंग्रेजी में लिखा है, “अफगानिस्तान की बौद्ध विरासत” लेकिन केवल तीन छोटे, बौद्ध सिर प्रदर्शित हैं, जो कि दूसरी और तीसरी शताब्दी के हैं। यह भी शायद पिछले विध्वंस के दौरान गलती से बच गए हैं।

Afghanistan Museum Bamyan Buddha Taliban Kabul National Museum तालिबान नेशनल म्यूजियम संग्रहालय बामियान बुद्ध
अफगानिस्तान के राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रदर्शित दूसरी और तीसरी शताब्दी के बौद्ध सिर। ये “अफगानिस्तान की बौद्ध विरासत” के लेबल वाली एकमात्र बची हुई वस्तुएं हैं। चित्र: अरेज़ो रेज़वानी

बौद्ध दीर्घा में बाकी ज्यादातर कलाकृतियाँ समकालीन हैं, लगभग साल 2000 के आसपास निर्मित। इन नवीन कलाकृतियों का एतिहासिक संग्रहालय में कोई महत्त्व नहीं है, पर खाली जगह भरने के लिए इन्हें रख दिया गया है।

इस संग्रहालय द्वारा तालिबान के सत्ता में आने से पहले तक एक बड़ी स्क्रीन पर तालिबान द्वारा बामियान बुद्धों के विध्वंस के बारे में एक फिल्म दिखाई जाती थी। जिसका प्रदर्शन अब बंद कर दिया गया है।

केवल विचारधारा ही अफगान सांस्कृतिक विरासत के लिए खतरा नहीं है

तालिबान के पिछले साल काबुल की ओर बढ़ने से पहले, संग्रहालय बहुत चिन्तित था। तालिबान के फिर से सत्ता में आने की स्थिति में क्या करना चाहिए, इसको लेकर संग्रहालय ने शिकागो सेंटर फॉर कल्चरल हेरिटेज प्रिजर्वेशन के पूर्व निदेशक और पुरातत्वविद् गिल स्टीन के निर्देशन आपातकालीन योजनाएं बनाई थीं।

Afghanistan Museum Bamyan Buddha Taliban Kabul National Museum तालिबान नेशनल म्यूजियम संग्रहालय बामियान बुद्ध
अफगानिस्तान के हड्डा पुरातात्विक स्थल से खुदाई में मिले दूसरी और तीसरी शताब्दी की विभिन्न बुद्ध मूर्तियों के सिर। अफगानिस्तान में हिन्दू व बौद्ध धर्म लगभग 2,000 साल पहले से था और 7वीं शताब्दी में इस्लाम के आगमन के साथ लुप्त होना शुरू हो गया। चित्र : जवाद जलाली

संग्रहालय के कर्मचारियों ने सबसे पहले सभी प्रारंभिक बौद्ध कलाकृतियों को प्रदर्शन से हटाकर स्टोररूम में रख दिया था। इसके आलावा उन लोगों ने तालिबान से बातचीत में बहुत सावधानी बरती, क्योंकि यह जानना मुश्किल था कि सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा का तालिबान का वादा कितना सच है।

पर अफ़ग़ानिस्तान के दूरदराज के इलाकों में स्थित कलाकृतियों की सुरक्षा दूसरी बड़ी चिंता थी। क्योंकि केवल विचारधारा ही एकमात्र खतरा नहीं है। बल्कि प्राचीन कलाकृतियों की लूटपाट दशकों से विनाश का बहुत बड़ा कारण रही है। भारत में भी दशकों से बहुमूल्य प्राचीन मूर्तियों की चोरी और तस्करी का रैकेट चल रहा है जिसके खिलाफ देश की CID की स्पेशल मूर्ति विंग अभियान चला रही है।

चीन के खनन प्रोजेक्ट से खतरे में बौद्ध परिसर

काबुल से लगभग 40 किमी दूर मेस अयनाक में एक विशाल प्राचीन बौद्ध परिसर है, जिसके बारे में माना जाता है कि उसके नीचे दुनिया का सबसे बड़ा तांबे का भंडार है। यह पुरातात्विक स्थल प्रस्तावित चीनी खनन प्रोजेक्ट के कारण खतरे में है।

Afghanistan Museum Bamyan Buddha Taliban Kabul National Museum तालिबान नेशनल म्यूजियम संग्रहालय बामियान बुद्ध
अफगानिस्तान के राष्ट्रीय संग्रहालय में दर्शक। चित्र : बिलाल गैलेर

अभी खनन बंद है, पर इसी सप्ताह तालिबान के खान और पेट्रोलियम मंत्री ने कहा है कि वह इस परियोजना को फिर से शुरू करने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं। अफ़ग़ानिस्तान में अभी नकदी की तंगी चल रही है इसलिए तालिबान सरकार व्यापार के अवसरों के लालच में है जो इस प्राचीन बौद्ध परिसर के लिए भारी पड़ सकता है।

तालिबान के अभी तक के शासन में संग्रहालय को उसके अतीत से किसी तरह बचाया जा रहा है। लेकिन वो समय कब वापस लौट आए इसपर कुछ कहा नहीं जा सकता।

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