भारत ने 01 दिसम्बर को विश्व की 20 बड़ी आर्थिक शक्तियों वाले समूह G20 की अध्यक्षता का पदभार ग्रहण किया। अगले एक साल तक यह अध्यक्षता अब भारत के पास रहेगी। इस अध्यक्षता के तहत 20 सदस्य देशों के अतिरिक्त बांग्लादेश देश एवं अन्य कई आमंत्रित देश भी भारत में होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।
G20 के नियमों के अनुसार, आयोजक देश को अपने विवेक के अनुसार मेहमान देशों को आमंत्रित करने का अधिकार होता है। भारत ने बांग्लादेश, मिस्र, ओमान, स्पेन, मॉरिशस समेत 9 देशों को भारत में होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने का न्योता दिया है।
भारत का इन देशों को वैश्विक मंच पर आमंत्रित करने का फैसला समावेशी नेतृत्व का एक उदाहरण है। भारत ने मॉरिशस, ओमान जैसे छोटे देशों को आमंत्रित करके आज के वैश्विक परिवेश में इन देशों की महत्ता को रेखांकित करने का प्रयास किया है। वहीं आमंत्रित होने वाले सदस्यों में से कई देश भारत की ग्लोबल साउथ के प्रति प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करता है।
किन देशों को किया गया आमंत्रित?
भारत ने कुल 9 देशों को G20 कार्यक्रमों में हिस्सा लेने का न्योता दिया है। पड़ोसी देश बांग्लादेश, मित्र देश संयुक्त अरब अमीरात, मॉरिशस, अफ़्रीकी देश मिस्र और नाइजीरिया और हिन्द महासागर के महत्वपूर्ण देश ओमान समेत सिंगापुर एवं यूरोपीय देश नीदरलैंड एवं स्पेन को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया है।
भारत ने कई अन्य देशों को आमंत्रित कर वैश्विक बिरादरी के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है। इसी के साथ बांग्लादेश जैसे आर्थिक रूप से आगे बढ़ते देश को आमंत्रित कर, भारत ने एक अच्छे पड़ोसी और क्षेत्रीय ताकत होने की जिम्मेदारियों का सही निर्वहन किया है।
इन सब देशों में से सर्वाधिक चर्चा बांग्लादेश को आमंत्रित किए जाने पर हैं। बांग्लादेश वर्तमान में जीडीपी के अनुसार 41वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और साथ ही यह भारत का पड़ोसी भी है। बांग्लादेश को आमंत्रित करने के पीछे अन्य भी कारण हैं।
समावेशी क्षेत्रीय विकास है मूल कारण
पिछले कुछ समय से भारतीय उपमहाद्वीप में शामिल देशों में से भारत और बांग्लादेश ही ऐसे राष्ट्र बन कर उभरे हैं, जो बड़े स्तर पर अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में सफल रहे हैं। भारत वर्तमान में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत, बांग्लादेश के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाकर समावेशी क्षेत्रीय विकास की मिसाल पेश करना चाहता है।
इतिहास बताता है कि विश्व में जितनी भी अर्थव्यवस्थाएँ आगे बढ़ी हैं, वे समूहों में बढ़ी हैं। यूरोपीय देश एक साथ विकास की ओर बढ़े हैं।
किसी एक देश के साथ उनके पड़ोसियों को भी फायदा हुआ है। यूरोप के देशों का तेज गति से आर्थिक विकास, या फिर एशिया में दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, हांगकांग, ताइवान एक ही क्षेत्र में बसे हुए देश हैं, जिन्होंने 1960 के दशक से लेकर 1990 के बीच अपनी अर्थव्यवस्था में विकास देखा।
भारतीय उप महाद्वीप में भारत के बाद बांग्लादेश ने अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर बेहतर काम किए हैं और उसका परिणाम पिछले एक दशक में दिखाई दिया है। भारत पहले ही विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो चुका है। भारत, बांग्लादेश को आमंत्रित करके क्षेत्रीय आर्थिक विकास की सोच को बढ़ाने का सन्देश दे रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत जहाँ अपनी अर्थव्यस्था को कृषि से निर्माण और सेवा क्षेत्र की तरफ ले गया है, वहीं बांग्लादेश भी अब अपनी अर्थव्यवस्था को बड़े स्तर पर निर्माण क्षेत्र की तरफ ले जा रहा है।
पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश से रिश्ते हुए हैं मजबूत
भारत और बांग्लादेश के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं। ख़ासतौर पर केन्द्र में भाजपा सरकार के आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के आपसी सम्बन्ध काफी बेहतर हुए हैं। इसका फायदा भारत और बांग्लादेश के कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने में हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारत बांग्लादेश के बीच कई अहम समझौते भी हुए हैं जो पिछले कई दशकों से लटके हुए थे। इनमें सबसे प्रमुख एक दूसरे के क्षेत्रों में बसे गाँवों का आपसी हस्तान्तरण, नदियों के पानी को लेकर समझौते हैं।
हाल ही में कुशियारा नदी के पानी को लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच समझौता हुआ। दोनों नेताओं की अपने-अपने देश में लोकप्रियता भी एक जैसी है।
वहीं पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों का आपसी व्यापार भी तेजी से बढ़ा है। पिछले पांच सालों में भारत-बांग्लादेश के बीच का द्विपक्षीय व्यापार लगभग दो गुना हो गया है। बांग्लादेश, भारत से वर्तमान में बड़े पैमाने पर बिजली खरीद रहा है।
क्षेत्रीय महाशक्ति बनने की तरफ एक कदम
भारत आर्थिक शक्ति बनने के साथ ही क्षेत्रीय महाशक्ति के रूप में वैश्विक मंच पर उभर रहा है। यही कारण है कि भारत अन्य आर्थिक शक्तियों को साथ लेकर चलना चाहता है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि स्थापित या उबरती हुई क्षेत्रीय आर्थिक शक्तियाँ भारत के साथ आएं। क्षेत्रीय सहयोगियों को साथ लेकर चलना भारत के लिए तर्कसंगत जान पड़ता है।
इसी के साथ भारत ने अन्य एशियाई शक्तियों जैसे संयुक्त अरब अमीरात और सिंगापुर को भी न्योता दिया है। भारत ने यह भी ध्यान रखा है कि छोटे देशों का भी इन कार्यक्रमों में पूरा प्रतिनिधित्व रहे। इसलिए मॉरिशस और ओमान जैसे देश जो लम्बे समय से भारत के सहयोगी रहे हैं उनको भी बुलावा भेजा गया है।
बांग्लादेश में चीन के प्रभाव को कम करने का भी है प्रयास
चीन लगातार भारत के पड़ोसी देशों में प्रभाव बढ़ा रहा है। श्रीलंका को पहले ही वह अपने कर्जे के दबाव में लेकर उसके हमबनटोटा बंदरगाह पर कब्ज़ा कर चुका है। बांग्लादेश में भी चीन ने बड़े पैमाने पर कर्ज देकर और कई नए प्रोजेक्ट चालू करके भारत के प्रभाव को घटाने की कोशिश की है।
ऐसे में भारत कुछ हद तक चीन के प्रभाव को कम करने के लिए इस मौके का सदुपयोग करना चाहता है। बांग्लादेश को इस कार्यक्रम में आमंत्रित करके उसने बांग्लादेश के साथ अपने प्रगाढ़ रिश्तों का परिचय दिया है। वहीं बांग्लादेश ने भी भारत के इस कदम का आभार जताया है।
बांग्लादेश के विदेश मंत्री शहरयार आलम ने भारत द्वारा G20 में आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद कहा है। इससे पहले बांग्लादेश, चीन के कुछ प्रोजेक्ट को कैंसिल और कुछ को रोक भी चुका है।