बांग्लादेश में विपक्षी दल जमात ए इस्लामी के एक नेता दिलावर हुसैन सईदी की मौत के बाद दंगे भड़क गए हैं। दिलावर वर्षों से जेल में बंद था और उसे हाल ही में सीने में दर्द की शिकायत के चलते ढाका के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहाँ उसकी मृत्यु हो गई।
दिलावर की मौत के बाद बांग्लादेश के अलग अलग शहरों में प्रदर्शन होने लगे जिन्होंने हिंसक रूप धारण कर लिया। प्रदर्शनकारियों ने दिलावर की मौत का इल्जाम बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना की सरकार पर मढ़ा है। उनका आरोप है कि दिलावर को जेल में बंद कर ‘शहीद’ कर दिया गया।
कौन था दिलावर हुसैन सईदी?
दिलावर बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा की पोषक जमात-ए-इस्लामी का नेता था। उसका जन्म 1940 में ब्रिटिश शासन के दौरान अविभाजित बंगाल के फिरोजपुर में हुआ था। वह बांग्लादेश मुक्ति संघर्ष में हिन्दुओं पर अत्याचार करने, उनका धर्मांतरण करने, हिन्दू महिलाओं के बलात्कार, हत्या और पाकिस्तान का साथ देने का दोषी था।
दिलावर पाकिस्तानी सेना द्वारा बनाई गई भाड़े की लड़ाकू टुकड़ी ‘रजाकार’ का हिस्सा था, यह टुकड़ी बांगलादेश मुक्ति संघर्ष में पाकिस्तानियों का साथ देती थी और बंगालियों, विशेषकर हिन्दुओं को निशाना बनाती थी। इसमें इसीलिए बिहारी प्रवासी मुसलमान, उर्दू बोलने वाले और पाकिस्तानी शासन में श्रृद्धा रखने वाले मुसलमान भर्ती किए गए थे।

अलग अलग स्रोतों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन रजाकारों ने संघर्ष के दौरान 3,00,000 लाख से अधिक लोगों का कत्ल किया और 2 लाख से अधिक बंगाली हिन्दू महिलाओं का बलात्कार किया। पाकिस्तानी सेना का कहना था कि बंगालियों की नस्ल सही नहीं है इसलिए वह महिलाओं के साथ बलात्कार करके उनकी नस्ल बदलना चाहते थे।
दिलावर भी इसी तरह का एक रजाकार था, उसको कई अपराधों में दोषी करार देकर फांसी की सजा सुनाई गई थी। उसकी सजा को बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया था। उसको ऊपर अंतरराष्ट्रीय अपराध अधिकरण में 20 मामलों में दोषी पाया गया था। उसे नरसंहार, हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार, उनके धर्मांतरण जैसे मामलों में दोषी पाया गया था। दो मामलों में उसे फांसी की सजा भी सुनाई गई थी।
ऐसे ही एक मामले में गौरांग साहा नाम के एक व्यक्ति की तीन बहनों को दिलावर ने जबरदस्ती पाकिस्तानी सेना को यौन दासी के रूप में दे दिया था। उस पर 100-150 व्यक्तियों के धर्मांतरण का भी दोष था। बाद में वह इस्लाम और कुरान पर शिक्षाएं देने लगा था।
वह जमीयत का बड़ा नेता बन गया था और उसके भाषण की सीडी हाथों-हाथ बिकती थी। जमीयत ए इस्लामी को शुरुआत में बांग्लादेश में प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसके पश्चात इसने बांग्लादेश में कुछ सीटें दोबारा जीतने में सफलता पाई थी। हालाँकि, 2012 में बांग्लादेश ने जमात को चुनावों का हिस्सा बनने से पुनः प्रतिबंधित कर दिया था।
दिलावर की मौत और बांग्लादेश में हिंसा
दिलावर को ढाका के पास ही एक जेल में बंद किया गया था। जहाँ सीने में दर्द की शिकायत के बाद उसे ढाका के एक सार्वजनिक अस्पताल ले जाया गया। इसी अस्पताल में हृदय गति रुकने के कारण दिलावर की मौत हो गई। दिलावर की मौत की खबर सुन कर हजारों लोग अस्पताल के बाहर इकट्ठा हो गए।
इसके पश्चात कई शहरों में यह खबर फैली और लोगों ने गुस्से का इजहार करते हुए आवामी लीग की सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन किए। इसके पश्चात कुछ जगहों पर प्रदर्शन हिंसक भी हो गया। बताया गया है कि प्रदर्शनों में हुई झड़प के कारण एक व्यक्ति की मौत भी हुई है। दिलावर को दफनाए जाने पर बड़ी भीड़ इकट्ठा हुई और सोशल मीडिया पर भी बड़ी हस्तियों ने इस हत्यारे को श्रृद्धांजलि दी जो कि चौंकाने वाला था।
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