भैंस और बकरियां चुराने सहित अन्य कई आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सपा नेता भूमाफिया आजम खान एवं उनके पुत्र अब्दुल्लाह आजम खान को एक और झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्लाह द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज करते हुए फैसले को बरकरार रखा है।
अब्दुल्लाह वर्ष 2017 में रामपुर जिले की स्वार विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। इसके विरुद्ध उनके प्रतिद्वंदी नवाब काजिम अली खान उर्फ़ नवेद मियाँ ने यह अपील दाखिल की थी कि अब्दुल्लाह द्वारा गलत जन्मतिथि के आधार पर यह चुनाव लड़ा गया है। काजिम अली का यह दावा था कि नामांकन के समय उनकी आयु 25 साल से कम थी।
जनप्रतिनिधित्व क़ानून के अंतर्गत देश के अंदर लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए 25 साल की आयु न्यूनतम है। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2019 में उनको अयोग्य घोषित किया था और उनकी सदस्यता समाप्त हो गई थी।
इसके विरुद्ध अब्दुल्लाह ने देश की शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल करके अपनी आयु के कई प्रमाण देने का दावा दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे मानने से मना कर दिया है। हालाँकि, वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में अब्दुल्लाह फिर से जीत गए थे और वर्तमान में स्वार विधानसभा से विधायक हैं।
क्या था पूरा मामला?
रामपुर जिले में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से रामपुर सदर, स्वार-टांडा, मिलक-शहाबाद, चमरौव्वा और बिलासपुर हैं। स्वार, रामपुर जिले का महत्वपूर्ण कस्बा है। यह रामपुर से बाजपुर के रास्ते में स्थित है। इस क्षेत्र में मुस्लिमों के अतिरिक्त सैनी जाति की वोटों की संख्या काफी है। यह सीट लम्बे समय से रामपुर के नवाब खानदान के पास रही है।
2017 के विधानसभा चुनावों में रामपुर सदर से आजम खान और स्वार सीट से उनके पुत्र अब्दुल्लाह ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने इस सीट के निवर्तमान विधायक नवाब काजिम अली खान उर्फ़ नवेद मियाँ तथा भाजपा की लक्ष्मी सैनी को हराया था।
इस हार के बाद नवेद मियाँ ने हाईकोर्ट में यह अपील दाखिल की थी कि अब्दुल्लाह के द्वारा गलत जानकारी दी गई थी। जिसकी सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्दुल्लाह के शैक्षिक रिकॉर्ड एवं जन्म प्रमाण-पत्र तथा उनके जन्म के समय अस्पताल के द्वारा दी गई जानकारी का परीक्षण कर के यह फैसला दिया था कि नामांकन के समय अब्दुल्लाह की आयु निर्धारित आयु से कम थी। इसलिए वह चुनाव में लड़ने के पात्र नहीं थे।
हाईकोर्ट ने यह कहा कि चूँकि अब्दुल्लाह की जन्मतिथि अधिकतर कागजों में 01/01/1993 लिखी हुई है। वहीं उनके द्वारा चुनाव लड़ते समय दी गई जन्मतिथि 30/09/1990 है। ऐसे में विपक्षी पार्टी का यह दावा सही पाया गया है। अब्दुलाह ने इस विषय में गलत जानकारी प्रस्तुत की है जिससे वह विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो जाते हैं।
क्या कहा है सुप्रीम कोर्ट ने?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अब्दुलाह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें उनके वकील कपिल सिब्बल थे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अब फैसला सुनाते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है और इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा है।
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने यह निर्णय दिया। बेंच में शामिल न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और बी वी नागरत्ना ने अपने निर्णय में कहा कि अब्दुल्लाह के शैक्षिक दस्तावेज साफ़ तौर पर यह इशारा करते हैं कि उनकी जन्मतिथि जनवरी 1,1993 है। अब्दुल्लाह ने अपनी जन्मतिथि 30 सितम्बर 1990 होने का दावा किया था।
आजम का ढहता सियासी किला
उत्तर प्रदेश में कभी सपा में मुलायम सिंह यादव के बाद नम्बर दो माने जाने वाले आजम खान का राजनीतिक किला आज कल राजनीतिक गर्दिश में है। उनके द्वारा जनप्रतिनिधि रहते हुए किए गए कई अपराधों पर सुनवाई चल रही है। साथ ही उनके द्वारा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए विवादित बयानों पर हाल ही में फैसला आया है।
इस फैसले के अनुसार उनकी उत्तर प्रदेश की विधानसभा से सदस्यता समाप्त की कर दी गई है। आजम वर्ष 2019 में सपा से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। जिसके पश्चात उन्होंने वर्ष 2017 में जीती गई विधायकी से इस्तीफ़ा दे दिया था। उनके स्थान पर उनकी पत्नी तन्जीन फातिमा उपचुनावों में जीत कर विधानसभा पहुंची थी।
इस साल के विधानसभा चुनावों में आजम खान ने फिर हिस्सा लिया था और जीत दर्ज की थी। इसके बाद उन्होंने सांसदी से इस्तीफा दे दिया था।इससे हुए उपचुनावों में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। उनकी जगह अब भाजपा के घनश्याम लोधी रामपुर से सांसद हैं।
आजम के पुत्र अब्दुल्लाह वर्ष 2017 में पहली बार स्वार सीट से विधायक बने थे जिसके विषय में अब फैसला आया है। वह वर्तमान में भी स्वार से विधायक हैं। वर्तमान में वह आजम के कुनबे एक अकेले ऐसे सदस्य हैं जिनके पास कोई पद है। आजम सहित उनके परिवार के खिलाफ दर्जनों मुकदमे लंबित हैं।
इनमें वह बेल पर जेल से बाहर हैं। इनमें से यतीमखाना, जौहर विश्वविद्यालय सहित कई प्रमुख मामले हैं।आने वाले समय में लंबित मुकदमों में फैसला आने वाला है। इनमें से कई मुकदमे अब्दुल्लाह के के खिलाफ भी हैं।
यदि इन मामलों में उन्हें 2 साल से अधिक की सजा सुनाई जाती है तो आने वाले समय में उनकी सदस्यता पर भी खतरा है। ऐसे में आजम परिवार पूरी तरह से सार्वजनिक जीवन से बाहर हो सकता है।