जहाँ कोविड महामारी के बाद दुनिया वैक्सीन और लॉकडाउन में उलझी पड़ी है, चीन की भयावह स्थिति हमारे सामने है, ऐसे में भारत ने अपने स्वास्थ्य क्षेत्र में लगातार सुधार कर रहा है। मोदी सरकार के प्राथमिकताओं में ‘आयुष्मान एवं आरोग्य भारत’ के परिकल्पना बेहद महत्वपूर्ण साबित हुई है। ये भारत सरकार के अन्य आधारभूत सुविधाओं के लिए लाई गई योजनाओं के साथ-साथ तेजी से क्रियान्वयन के दौर में हैं।
आयुष्मान भारत योजना वर्ष 2018 में जारी की गई थी, जिसके अंतर्गत देश के 10 करोड़ परिवारों अथवा 50 करोड़ नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ जोड़ते हुए वार्षिक 5 लाख रुपये तक के बीमा सुरक्षा प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। यह दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थकेयर स्कीम है। वर्तमान आंकड़ों के हिसाब से अभी तक लगभग 4.5 करोड़ लोगों ने आयुष्मान भारत योजना का लाभ उठा चुके हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शनिवार को कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने डिजिटल रूप से जुड़े स्वास्थ्य रिकॉर्ड के 4 करोड़ के आंकड़े को पार कर लिया है।
डिजिटाइज़ हो रहे हैं मरीजों के हेल्थडिटेल्स
इसी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत और मरीजों को सही उपचार हेतु उनके हेल्थ रिकार्ड्स को डिजिटाइज़ करने की प्रयास जारी है जिससे एक डेटाबेस बन सके और योजना का लाभ सभी के लिए सुनिश्चित किया जा सके।
‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’ योजना के तहत अभी तक देश के लगभग चार करोड़ मरीजों के हेल्थ रिकार्ड्स को डिजिटाइज़ किया जा चुका है। स्वास्थ्य मंत्री ने इस पर अपने विचार रखते हुए कहा, “मोदी सरकार एक मज़बूत, समावेशी और अंतर संचालित डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम बनाने को प्रतिबद्ध है।”
आयुष्मान भारत योजना के लिए आयुष्मान भारत कार्ड जारी किया जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दैनिक रूप से सात-आठ लाख आयुष्मान कार्ड प्रेषित किये जा रहे हैं और संभव है आने वाले चार से छह महीनों में पचास करोड़ आयुष्मान कार्ड्स जारी किये जाएँ।
वर्तमान में 25-27 करोड़ लोगों के लिए आयुष्मान भारत कार्ड जारी किये जा चुके हैं। इसी वर्ष सितम्बर में आयुष्मान भारत योजना के चार वर्ष पूरे होने पर मंत्रालय द्वारा ‘आरोग्य मंथन 2022’ की भी शुरुआत की थी।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के लिए यूनिफाइड हेल्थ इंटरफ़ेस की शुरुआत
डिजिटल इंडिया के पथ पर चलते हुए भारत सरकार ने अपने स्वास्थ्य क्षेत्र को भी डिजिटली वायेबल/व्यवहार्य बनाने के लिए ‘यूनिफाइड हेल्थ इंटरफ़ेस’ को लांच किया। इसे ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’ के नींव के तौर पर देखा जा रहा है।
उनके द्वारा कंसल्टेशन पेपर (परामर्श पत्र) को भी जारी किया गया जिसमें लगभग सभी तरह के यूनिफाइड हेल्थ इंटरफ़ेस के अव्ययों का शामिल किया गया है, जिन्हें बाजार के नियमों के आधार पर नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें कई तरह की नीतियां भी हैं- उचित और पारदर्शी खोज और अनुसन्धान, भुगतान और समझौतों, शिकायत निवारण हेतु तंत्र का निर्माण, नियमों के निराकरण और संशोधन सम्बन्धी विषयों को शामिल किया गया है।
साथ ही, यूनिफाइड हेल्थ इंटरफ़ेस को सिटीजन-फ्रेंडली बनाने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा यूनिफाइड हेल्थ इंटरफ़ेस के तहत लोगों से उनके सुझाव मांगे गए हैं। यह सुझाव 13 जनवरी, 2023 तक आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) की वेबसाइट पर जाकर दिए जा सकते हैं।
आयुष्मान भारत में निजी अस्पतालों की बढ़ती भूमिका
हालाँकि जैसी धारणा है, स्वास्थ्य सुविधाएं सरकारी अस्पतालों के अपेक्षा निजी अस्पतालों में ज्यादा बेहतर होती है, स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि पिछले एक वर्ष में भारत सरकार ने आयुष्मान भारत के अंतर्गत 1500 प्राइवेट हॉस्पिटल्स को भी इसमें शामिल किया है जिससे इन हॉस्पिटल्स के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्टर्स की सहायता से मध्यम और निम्न वर्ग के आयुष्मान भारत कार्ड धारी मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सके। वर्तमान में यह संख्या लगभग 22000 है, जिनमें सरकारी एवं निजी स्वास्थ्य केंद्रों को जोड़ा जा चुका है।
देखा गया है कि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत सेवाएं देने वाले निजी अस्पतालों के भुगतान को लेकर कुछ राज्य सरकारों का रवैया बेहद उदासीन है, जिसको लेकर निजी अस्पतालों द्वारा भी कई बार अपनी असमर्थता व्यक्त करते आये हैं।
ऐसे में केंद्र को राज्य सरकारों के समय पर भुगतान और मतभेदों को दूर कर इसे और प्रभावी तरीके से लागू करने प्रयास होने चाहिए जिससे स्वास्थ्य जैसे आधारभूत जरूरतों का लाभ देश के जरूरतमंदों को मिलता रहे।