संपूर्ण हिन्दू समाज को उस दिन की प्रतीक्षा है जिस दिन अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण होगा। वो दिन ऐतिहासिक होगा जिस दिन रामलला अपने भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान होंगे।
ऐसा भव्य मंदिर कि इसकी एक एक ईंट को श्री राम नाम के साथ लगाया जा रहा है। नक्काशीदार पत्थरों से मंदिर की छत तैयार की जा रही है, नेपाल से ख़ास शालिग्राम मंगवाए गए हैं ताकि अद्भुत प्रतिमा का निर्माण हो सके और मंदिर में एक भव्य गोपुरम बनाने पर भी कार्य चल रहा है ताकी दक्षिण भारत से आए भक्तों को घर जैसा लगे।
मंदिर निर्माण की तैयारियां ज़ोरो पर हैं। यहाँ तक कि मंदिर का 50 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, इसकी जानकारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने ट्वीट करके दी।
उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर श्री राम मंदिर के निर्माण से जुड़ी कई तस्वीरें शेयर की। जो राम भक्तों को आकर्षित कर रही है। सोचिये जब निर्माण कार्य के बीच मंदिर इतना भव्य लग रहा है तो निर्माण कार्य पूर्ण होने पर मंदिर कितना अलौकिक लगेगा।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय समय समय पर राम मंदिर से जुड़ी जानकारी साझा करते रहते हैं। वहीं राम जन्मभूमि ट्रस्ट की निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने भी “द इंडियन एक्सप्रेस” को दिए अपने इंटरव्यू में राम मंदिर के निर्माण से जुड़ी कई खास जानकारियां दी।
“द इंडियन एक्सप्रेस” को दिए इंटरव्यू में उन्होंने श्री राम से जुड़े कई उद्धरण को मंदिर निर्माण कार्य से जोड़ते हुए इसका महत्व समझाया। उन्होंने बताया कि मंदिर को कुछ इस तरह बनाने की कोशिश की जा रही है जो हर किसी के लिए हो, जिसके साथ भारत के किसी भी क्षेत्र का सनातन समाज सवयं को जुड़ा हुआ महसूस कर सके। इन्हीं सलाहों में से एक सलाह थी दक्षिण भारतीय मंदिरों की शैली जैसा एक गोपुरम बनाने की सलाह। गोपुरम एक स्मारकीय अट्टालिका होती है, जो दक्षिण भारत के मंदिरों के द्वार पर स्थित होती है। यह दक्षिण भारत के मंदिरों के स्थापत्य का प्रमुख अंग है।
उनका मानना है कि जब तक दक्षिण भारतीय भक्त मंदिर में प्रवेश करते समय गोपुरम नहीं देखेंगे तब तक वे इसे पूरी तरह से नहीं अपनाएंगे। राम मंदिर में गोपुरम के होने से दक्षिण भारतीय भक्तों को मंदिर में प्रवेश करते ही घर जैसा प्रतीत होगा जिससे वह इसे पूरी तरह से अपना सकेंगे।
इसके अलावा, अपने वनवास के दौरान भगवान राम से जुड़े ऋषियों और मुख्य पात्रों को समर्पित सात मंदिर यानी वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, शबरी, जटायु और निषाद, मंदिर परिसर में बनाए जा रहे हैं। जिसे ‘ऋषि मुनि’ परिसर कहा जायेगा।
उन्होंने बताया कि मंदिर का निर्माण तीन चरणों में किया जा रहा है और निर्माण का पहला चरण दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा, जब प्रतिमा निर्माण को छोड़कर ग्राउंड फ्लोर पूरा हो जाएगा। दूसरा चरण दिसंबर 2024 तक पूरा हो जाएगा। 2025 में 71 एकड़ के पूरे परिसर के निर्माण के साथ तीसरा और अंतिम चरण पूरा किया जाएगा।
उन्होंने जनवरी 2024 तक मंदिर के पहले चरण को पूरा करने के लिए दिसंबर 2023 में एक समय सीमा तय करने पर जोर दिया, जिसे रामलला को अस्थायी मंदिर से नए मंदिर के गर्भगृह में स्थानांतरित करके मनाया जाएगा।

नृपेंद्र मिश्र के अनुसार उनके मन में एक ही बात है और वह है मंदिर के पहले चरण की डेडलाइन यानी दिसंबर 2023.
वे कहते हैं कि वे इस तिथि के पहले मंदिर निर्माण के पहले चरण की योजना को कार्यान्वित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वे राम मंदिर के प्रति राष्ट्र की भावना से भलीभाँति परिचित हैं और इसीलिए उनका प्रायास है कि वे राष्ट्र की आशा पर खरे उतर सकें।

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य बड़ा और भव्य है यही कारण है की 1,000 से अधिक लोग पूरा पूरा दिन मंदिर के निर्माण में लगे हुए हैं। ओडिशा के भुवनेश्वर, कटक और बालासोर से लाए गए मूर्तिकारों द्वारा स्तंभों और मेहराबों पर काम किया जा रहा है। वहीं मंदिर परिसर सत्तर एकड़ में बनाया जा रहा है।
भगवान राम गर्भगृह में जहां विराजमान होंगे उनकी दीवारों को बनाया जा चुका है। गर्भगृह के चारों ओर संगमरमर लगाए जा रहे हैं। हर दीवार और हर स्तंभ पर बेहतरीन नक्काशी की जा रही हैं। अब देशवासियों को अगर इंतजार है तो केवल अपने राम लला के भव्य दर्शन का।