1991 के अवधेश राय हत्याकांड मामले में वाराणसी की विशेष अदालत ने जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
ज्ञात हो कि 32 वर्ष पहले, वाराणसी शहर के चेतगंज में 3 अगस्त 1991 को कांग्रेस नेता अजय राय के भाई अवधेश राय की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या में मुख़्तार अंसारी आरोपित थे। अब एमपी एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा दे दी है
दरअसल ३ अगस्त 1991 को कांग्रेस नेता अवधेश राय अपने भाई अजय राय के साथ घर के बाहर टहल रहे थे। इसी बीच कुछ बदमाशों ने गोली मारकर अवधेश राय की हत्या कर दी।
अजय राय ने इस हत्या में मुख्य आरोपित मुख्तार अंसारी को बना आकर मुकदमा दर्ज़ करवाया था इसके साथ ही इस हत्याकांड में पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश राकेश श्रीवास्तव उर्फ राकेश न्यायिक को भी आरोपित बनाया गया था।
आपको बता दें, मुख्तार अंसारी इस समय बांदा जेल में बंद है। वहीं भीम सिंह गैंगस्टर के केस में सजा सुनाए जाने के बाद गाजीपुर जेल में बंद है.और पूर्व विधायक अब्दुल कलाम और कमलेश सिंह की मृत्यु हो चुकी है
मुख्तार अंसारी और अपराधों का इतिहास
मुख्तार अंसारी पर 50 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। लेकिन, इनमें सबसे बड़े दो मामले सामने आते हैं, जिनमें एक मामला बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का था तो दूसरा अवधेश राय हत्याकांड।
गाजीपुर या कृष्णानंद राय हत्याकांड
29 नवंबर, 2005 के दिन मोहम्मदाबाद से तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय सहित 7 लोगों को चुनावी रंजिश के चलते गोलियों से भून दिया गया था। घटना के दौरान बीजेपी विधायक स्थानीय क्रिकेट प्रतियोगिता में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने गए थे। घात लगाकर बैठे हमलावरों ने उन पर एके-47 से 500 राउंड फायर किए थे, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
वर्ष 2002 में मोहम्मदााबाद विधानसभा सीट पर हुए चुनावों में कृष्णानंद राय ने मुख्तार अंसारी के भाई अफजल अंसारी को हराकर जीत हासिल की थी। हत्याकांड के समय भी मुख्तार जेल में था लेकिन, सारे विवाद से उसका नाम जुड़ा हुआ सामने आ रहा था।
मुलायम सिंह यादव की सरकार के दौरान हुई घटना के बाद क्षेत्र में दंगे भी भड़के थे और गंभीरता को देखते हुए इसकी जाँच सीबीआई को सौंपी गई। हालाँकि, सीबीआई कोर्ट ने मामले के सभी आरोपितों को बरी कर दिया था, जिनमें अफजल अंसारी, संजीव माहेश्वरी, एजाज उल हक, रामू मल्लाह, मंसूर अंसारी, राकेश पांडे और शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी शामिल थे।
मुख्तार अंसारी कभी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में बड़ा नाम हुआ करता था। समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान इसकी गुंडई को राज्य में पनपने का मौका मिला। वर्ष 2005 के मऊ दंगों में मुख्तार अंसारी पर मजहब विशेष के लोगों को भड़काकर दंगे भड़काने का आरोप लगा था।
वर्ष 2006 में वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंसारी को खुली चुनौती दी, जिसके 3 साल बाद आजमगढ़ जाते हुए उनके काफिले पर हमला भी और आगजनी की गई थी। हमले में जान बचने के बाद योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार को चेतावनी दी थी और मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही ऐसे अपराधियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई भी की गई।
बलात्कार, हत्या, अपहरण, अवैध और बेनामी संपत्तियों जैसे संगीन मामले मामलों में अपराधी मुख्तार अंसारी का पारिवारिक परिचय अलग ही तस्वीर पेश करता है। मुख्तार अंसारी के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रहे थे।
महावीर चक्र विजेता उस्मान मुख्तार उनके नाना थे। सुब्हानउल्लाह अंसारी मुख्तार के पिता थे जो कि एक कम्यूनिस्ट नेता थे और पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं।
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