Author: Pratibha Sharma
विधानसभा चुनावों में हार के बाद जो ‘उत्तर बनाम दक्षिण’ का नरैटिव गढ़ा गया है, उसी के तहत सौगत रॉय को अनुच्छेद 370 का उन्मूलन भी खटक रहा है।
चुनाव परिणामों ने उदयनिधि स्टालिन जैसे नेताओं को संदेश दिया है कि वे धार्मिक तुष्टिकरण और वोट बैंक के नाम पर अब हिंदुओं का अपमान नहीं कर सकते।
राजस्थान में कन्हैया लाल की तस्वीर मात्र उनपर हुए अत्याचारों की नहीं बल्कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की हालत को दर्शाती है।
अशोक गहलोत राजस्थान को अकेले बचाने निकले थे पर अब हालात यह है कि उनके मंत्रिमंडल के 17 मंत्री हार चुके हैं।
ममता बनर्जी भले ही अपनी विफलताओं के लिए केंद्र सरकार पर दोषारोपण करे पर वास्तविकता यह है कि वे राज्य में आर्थिक सुधार लाने में नाकाम रही हैं।
कर्नाटक सरकार ने डीके शिवकुमार के खिलाफ सीबीआई की जांच रोकने के लिए बीजेपी सरकार द्वारा दी गई मंजूरी के फैसले को वापस लेने का निर्णय लिया है।
राजस्थान में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने प्रदेश की समस्याओं और विकास पर बात नहीं करके अपने भाषण को कुछ ही मुद्दों तक सीमित रखा है।
नीतीश कुमार की मांग के अनुसार बिहार को विशेष दर्जा मिले या न मिले पर अच्छे नेतृत्व की आवश्यकता पक्की है और इसे लेकर किसी को कोई संशय नहीं है।
मोहब्बत की दुकान के डीलर बने घूम रहे राहुल गांधी और उनके गठबंधन के नेता संजय राउत हिटलर द्वारा यहूदियों के नरसंहार को जायज ठहरा रहे हैं।
राजस्थान सरकार की कुंभाराम योजना को कुंभकरण योजना बताने वाले राहुल गांधी को प्रदेश कांग्रेस के नेता स्टार प्रचारक के तौर पर नहीं देख रहे हैं।