Author: Manish Shrivastava
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम क्रांतिकारी, बल्लू सिंह, वतन सिंह और भाग सिंह की अमर गाथा
सुखदेव से मुँह से व्याख्या सुनकर भाई बल्लू सिंह जी के चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी। उन्होंने सुखदेव के सिर पर हाथ फेरा और आगे बोले,
पिछले दस महीने से वो बनारस में था जहाँ वो एक इंजीनियरिंग कंपनी में काम कर रहा था। हम सब की मदद करने के लिए वो विदेश जाने की योजना पर काम कर रहा था। कुछ दिन पहले की खबर के अनुसार अशफ़ाक दिल्ली पहुँच गया था।
चन्द्रशेखऱ आज़ाद की अब हँसी नहीं रुक रही थी। उनको मास्टर जी का यह रूप पहली बार देखने में आया था। आज़ाद ने मास्टर जी को उकसाया
आज़ाद को ना देख पाने की स्थिति में भीड़ आज़ाद को गोद में उठाने की मांग कर रही थी और आख़िरकार जनसमूह के दर्शन के लिए पंद्रह साल के आज़ाद को एक मेज पर खड़ा कर दिया गया। उसी समय एक चरखे के साथ उनका यह दुर्लभ चित्र लिया गया था।
सावरकर का अब एक ही कार्य था और वो था सदस्यों की शंकाओं और अज्ञानता को दूर कर उनको देशभक्ति और स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए प्रेरित करना।
निर्दलीय विधायक के तौर पर गोपाल कांडा कॉन्ग्रेस से मनमांगी कीमत पाते हैं औऱ फिर एक दिन वो बन बैठते हैं, हरियाणा के गृहराज्य मंत्री।
भारत सपने में भी नहीं सोच सकता कि UN में अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि थे, के साथ बातचीत में अब्दुल्ला कश्मीर की स्वतंत्रता की मांग कर रहे थे
भुट्टो पाकिस्तान को परमाणु राष्ट्र बनाने की अपनी महत्वाकांक्षा के बारे में खुलकर शेखी बघारते थे। मई 1974 में पोखरण में भारत के पहले परमाणु परीक्षण के बाद वह और भी मुखर हो गए थे। उस समय तक, सऊदी अरब, लीबिया और ईरान से फंड आना शुरू हो गया था।
ब्रिटिश राज के विरुद्ध कई क्रांतिकारियों का जन्म हुआ। ऐसा ही गौरवशाली नाम प्रीतिलता वादेदार का है, जिन्होंने आज ही के दिन देश के लिए बलिदान दिया था।
भारतीयों ने अमरीकियों को उन्हीं का सिखाया छल-कपट और ऑपरेशनल सीक्रेसी का पाठ पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।