Author: आनंद कुमार

अब भारत में (विशेषकर हिंदी में) वन्य जीवों पर भी नहीं लिखा जाता। किसी जमाने में पंचतंत्र की कहानियां पूरी तरह जीव जंतुओं पर ही आधारित हुआ करती थीं।

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आपने जाति-व्यवस्था या वर्ण व्यवस्था के बारे में तो सुना ही होगा? उसके पक्ष-विपक्ष में जो राय वामपंथियों की होती है और जो विचार तथाकथित दक्षिणपंथी कहलाने वाले (असल में एक पार्टी-नेता के समर्थकों की भीड़) के होते हैं, उनमें अंतर क्या है?

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राजमाता अहिल्याबाई होल्कर के बारे में सोचने की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि उत्तर भारत के जिस भी पुराने मंदिर को आप देखते हैं, लगभग हरेक उनका बनवाया हुआ है।

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कुल मिलकर कहा जा सकता है कि केरल के चुनावों में “धर्म अफीम है” कहने वाली कम्युनिस्ट पार्टियां भी धर्म और मजहब को मुद्दा बनाने वाली हैं।

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कुटनीतिक युद्धों की शृंखला में एक युद्ध डॉलर और यूरो के मध्य हुआ भी माना जाना चाहिए। ये और बात है कि इस तरह के कुटनीतिक युद्ध में बमों के धमाके सुनाई नहीं देते

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दूसरी ओर रामेश्वर के राम शिव की, और शिव स्वयं श्री राम को उपास्य कहते नजर आते हैं। अभी हाल की बहसों में एक बहस ये भी उठी थी कि जीर्णोद्धार किये रहे राम जन्मभूमि मंदिर में श्री राम के साथ माता सीता इत्यादि का विग्रह होगा या नही?

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महाभारत का खीलभाग (अंतिम भाग) माने जाने वाले हरिवंश पुराण में बाघों के गुणों की मनुष्यों से तुलना मिलती है। यही वजह थी कि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ भी दुर्योधन को ‘नरव्याघ्र’ कहते नजर आ जाते हैं।

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