दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी सरकार को केंद्र से उधार चाहिए। राज्य ने चालू वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए अपने खर्च को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय लघु बचत कोष (NSSF) से 10 हजार करोड़ रुपए उधार लेने की मांग की है।
अभी पिछले सप्ताह ही आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अपने अभियान के तहत रेवड़ी जारी करने का ऐलान किया था। 15 दिवसीय अभियान ‘रेवड़ी पे चर्चा’ की शुरुआत करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार की छह रेवड़ियां गिनाते हुए कहा था कि सातवीं रेवड़ी जल्द ही आने वाली है।”
अरविंद केजरीवाल एक तरफ तो रेवड़ियों पर रेवड़ियां गिना रहे हैं दूसरी ओर उनकी पार्टी की सरकार केंद्र से उधार मांग रही है।
आपको बता दें कि दिल्ली सरकार ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को जो प्रस्ताव भेजा है उसपर मुख्यमंत्री आतिशी ने हस्ताक्षर किए हैं, जबकि राज्य के वित्त विभाग ने आपत्ति जताई थी कि आदर्श आचार संहिता (MCC) के कारण खर्च कम होगा। यहां तक कि राज्य वित्त विभाग ने सलाह दी थी कि दिल्ली को NSSF से उधार लेने से बचना चाहिए क्योंकि इसकी ब्याज दरें अधिक होती हैं।
अब दिल्ली सरकार अपनी रेवड़ियां जारी भी रखना चाहती है और आर्थिक संकट से बाहर निकलने के लिए केंद्र का सहयोग भी चाहती है। दिल्ली सरकार के प्रवक्ता कर्ज में कमी के आंकड़ों की ओऱ इशारा कर के इस उधारी को सही ठहराने का प्रयास कर रहे हैं। दिल्ली सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि दिल्ली के आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 से पता चलता है कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में दिल्ली सरकार का कुल कर्ज 6.4 प्रतिशत से घटकर 3.9 प्रतिशत हो गया है। प्रवक्ता ने कहा, “यह न केवल दिल्ली के इतिहास में सबसे कम है, बल्कि यह भारत में भी सबसे कम है।”
पर सच्चाई तो यह है कि दिल्ली संभावित रूप से गंभीर वित्तीय संकट के कगार पर है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) के वित्तीय सारांश से पता चलता है कि राजस्व प्राप्तियां लगातार राजस्व व्यय से अधिक रही हैं, जिसकी शुरुआत 2017-18 में ₹4913.25 करोड़ के अधिशेष से हुई, जो 2022-23 में बढ़कर ₹14456.91 करोड़ तक पहुंच गई। साथ ही प्रारंभिक बजट अनुमान (बीई) ₹3231.19 करोड़ का अधिशेष का है, जिसमें अतिरिक्त मांग की वजह 1495.48 करोड़ रुपये का संभावित घाटा हो सकता है।
इन सभी आंकड़ों औऱ राज्य के वित्त विभाग द्वारा उठाई गई चिंताओं के बावजूद, मुख्यमंत्री आतिशी, जिनके पास वित्त विभाग भी है, ने मौजूदा नियमों और शर्तों पर NSSF योजना से ऋण लेने को मंजूरी दे दी।
समस्या ये भी है कि NSSF ऋण न केवल चालू वित्त वर्ष के बल्कि भविष्य के लिए भी स्वीकृत करना पड़ेगा। राज्य वित्त विभाग के अनुसार इससे ब्याज का भारी बोझ पड़ेगा। केंद्रीय वित्त मंत्रालय की गणना के अनुसार, चालू वित्त वर्ष से 2038-39 तक एनएसएसएफ ऋण जारी रखने से मूल राशि में 1.27 लाख करोड़ रुपये के अलावा 45,980 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ब्याज बोझ पड़ेगा।
यहां पर आपको बता दें कि दिल्ली ने 2023-24 में एनएसएसएफ से कोई उधार नहीं लिया, जबकि 2022-23 में उसने 3,721 करोड़ रुपये उधार लिया था।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने जुलाई में दिल्ली सरकार को बताया था कि एनएसएसएफ से ऋण लेने का विकल्प एक बार का विकल्प होगा और यह साल-दर-साल उपलब्ध नहीं होगा।
साथ ही इसने दिल्ली सरकार को पुनर्भुगतान के दो विकल्प भी बताए थे। विकल्प-1 के तहत, दिल्ली सरकार के पास मार्च 2039 के बाद NSSF उधार को बिना किसी लायबिलिटी या बकाया राशि के छोड़ने का विकल्प था। तब एनएसएसएफ ऋण के कारण बकाया राशि 31,697.47 करोड़ रुपये होगी।
विकल्प-2 के तहत, यदि दिल्ली सरकार एनएसएसएफ ऋण जारी रखने का विकल्प लेती है, तो 2024-25 से 2038-39 तक हर साल दिल्ली को 10,000 करोड़ रुपये वितरित किए जाने का अनुमान है। इसके परिणामस्वरूप 31 मार्च, 2039 तक उधार लिए गए एनएसएसएफ ऋण पर 57,661.68 करोड़ रुपये का ब्याज भार पड़ेगा।
राज्य वित्त विभाग द्वारा दिए गए सुझाव और राज्य पर बढ़ते कर्ज के बोझ के बाद भी आम आदमी पार्टी सरकार अपनी रेवड़ी योजनाओं से पीछे नहीं हटना चाहती है। ये भी देखने वाली बात है कि दिल्ली सरकार की लगभर हर विफलता का श्रेय केंद्र को देने के बाद राज्य सरकार ये भी चाहती है कि उनके चुनावी वादों की भरपाई केंद्र लोन देकर करे।
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