राजनीतिक दल किसी न किसी विचारधारा से जुड़े होते हैं। हां, देश की अधिकतर पार्टियां परिवारवाद एवं जातिवाद पर ही केंद्रित रह गई हैं। पर आम आदमी पार्टी अलग है वह अपनी विचारधारा पर न सिर्फ टिकी हुई है बल्कि नित नए हथकंडे अपना कर उस विचारधारा की रक्षा भी कर रही है। आम आदमी पार्टी की विचारधारा में है झूठ का आडम्बर, जिसका इस्तेमाल पार्टी अध्यक्ष से लेकर हर नेता और मंत्री द्वारा किया जाता है।
अब आतिशी मार्लेना ने बाकयादा प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए न्यायपालिका और राष्ट्रीय जांच एजेंसियों के निर्णयों पर प्रश्नचिह्न तो लगाया ही है साथ ही इसे योजनागत तरीके से प्रस्तुत कर जनता को भ्रमित करने की कोशिश भी की है।
लंबे समय से शराब घोटाले को लेकर भ्रष्टाचार एवं मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आम आदमी पार्टी घिरी हुई है। दिल्ली की एक अदालत ने मनी लांड्रिंग मामले में राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा को जमानत दी है। चूँकि मामले में दी गई यह पहली नियमित जमानत है तो इसे लेकर आतिशी अति उत्साहित हो गई और एलान कर दिया कि शराब घोटाला हुआ ही नहीं है। आतिशी ने आह्वान किया कि सभी को यह कोर्ट ऑर्डर पढ़ना चाहिए जिसमें एक पैसे का भी घोटाला नहीं निकला है।
बहरहाल कोर्ट का ऑर्डर पढ़ें तो आतिशी की दावे से उलट उसमें तीन चीजें सामने आती हैं कि आम आदमी पार्टी नेता ने न्यायपालिका के ऑर्डर को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है, राष्ट्रीय जांच एजेंसियों पर प्रश्नचिह्न लगाया है और न्यायालय के ऑर्डर से पहले ही स्वयं को क्लीनचिट भी दे दी है। विपक्षी पार्टियों द्वारा जांच एजेंसियों को केंद्र सरकार का हथियार बताकर जनमानस को भ्रमित करना कोई नई बात नहीं है पर अब इसकी आंच न्यायपालिका तक पहुँचना चिंताजनक है।
सर्वप्रथम तो आतिशी जिस विषय में बात कर रही है वो कोर्ट का ऑर्डर है, जजमेंट नहीं। आम आदमी पार्टी की नेत्री को यही समझने में परेशानी हुई है। ऑर्डर किसी मैरिट के ऊपर नहीं दिया गया है बल्कि शुरुआती लेवल पर जमानत के लिए पारित किया गया है। इसमें किसी डिस्चार्ज की बात नहीं की गई है। कोर्ट ऑर्डर के अनुसार आरोपित गौतम मल्होत्रा को जमानत भी अधिवक्ता द्वारा स्वयं को पीड़ित बताने के बाद मिली है। अधिवक्ता ने अदालत को बताया है कि अगर मामले में पैसे का लेनदेन हुआ भी है तो उसके लिए आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने मजबूर किया है। व्यापार पर खतरा महसूस होने पर ही 6 प्रतिशत कमीशन दिया गया है।
कोर्ट ऑर्डर के पैराग्राफ 80 पर आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर मनीष सिसोदिया सहित आरोपितों को क्लीन चिट दी है। इस पैराग्राफ को देखें तो इसमें लिखा है कि कोर्ट ने इस मामले में जो भी ऑब्जर्वेशन की है वो जमानत और जमानती के दावों के संबंध में है इसका केस से जुड़े लोगों और विषयों की मैरिट से कोई संबंध नहीं है यह उसमें कोई बदलाव नहीं करता है।
कोर्ट के ऑर्डर से साफ है कि शराब घोटाला इस जमानत से झूठा साबित नहीं होता है। तो क्या यह आतिशी की मानवीय भूल है? हालांकि यह कैसे संभव है जबकि शराब घोटाले से बचने के लिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने करोड़ों रुपए के वकील अपने पक्ष में खड़े किए हैं। आतिशी कोर्ट के ऑर्डर को गलत पढ़कर जनमानस को भ्रमित कर रही है। क्या ये अदालत की अवमानना का मामला नहीं है?
आतिशी ने जिस तरह जमानती आदेश को अदालत के फैसले की तरह प्रस्तुत किया है उससे तो यही लग रहा है कि भ्रष्टाचार के मामलों में खुल रही परतों से उनकी पार्टी के नेता बौखला गए हैं। जांच एजेंसियों के शिकंजे और कोर्ट में मिल रही हार से बचने का आप पार्टी ने एक ही रास्ता निकाला है कि वे स्वयं को ही बाइज्जत बरी कर दें और जांच एजेंसियों पर जांच करने के लिए केस फाइल कर दें।
भारतीय राजनीतिक लोकतंत्र और अरविंद केजरीवाल
चूँकि जमानती आदेश को दिखा कर आतिशी मार्लेना को शराब घोटाले पर सभी से माफी मांगने का इतना उतावलापन है तो क्यों नहीं वो एक प्रेस कॉन्फ्रेंस मनीष सिसोदिया की जमानत खारिज को लेकर भी करें। कोर्ट ऑर्डर में कहा गया था कि मनीष सिसोदिया शराब घोटाले में मास्टर माइंड है इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी गई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में आतिशी ने मनीष सिसोदिया को भी क्लीन चिट दी है। हालांकि अपने दावे वे कोर्ट में बताकर सिसोदिया को जमानत क्यों नहीं दिलवाती यह प्रश्न अनुत्तरित है।
झूठ बोलकर माफी मांगने की परंपरा का पार्टी के सभी नेता अनुसरण करते हैं। अब इसी मामले में चार्जशीट पर गलत नाम आने पर संजय सिंह ने ईडी पर माफी मांगने के लिए केस किया था और सौरव भारद्वाज ने दावा किया था कि ईडी ने इतिहास में पहली बार माफी मांग ली है। हालांकि ईडी का आदेश सामने आने पर इस झूठ की भी धज्जियां उड़ गई।
बहरहाल मामला झूठ या माफी तक सीमित नहीं है। आतिशी ने न्यायपालिका के आदेश को इस तरह पेश करके विषय की गंभीरता को बढ़ा दिया है। अदालत आतिशी के झूठ पर कार्रवाई करती है या नहीं यह उनके विवेक पर निर्भर करता है। लंबे समय से आम आदमी पार्टी स्वयं को देश की सबसे ईमानदार पार्टी साबित करने में लगी है। राजनीतिक जुमलेबाजी तक ठीक था पर कोर्ट के आदेश का प्रयोग कर जनता को भ्रमित करना वास्तव में न्यायपालिका के लिए चेतावनी समान है। अपने राजनीतिक दंभ और झूठ के आडंबर में आम आदमी पार्टी कितनी और राष्ट्रीय संस्थाओं को मलिन करने की योजना बना रही है ये किसी अन्य प्रेस कॉन्फ्रेंस से ही पता चलेगा।
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