2020 में हाथरस में एक युवती के साथ गैंगरेप होता है। हम गैंगरेप या किसी भी तरह के अपराध की बिना किसी शर्त के मजम्मत करते हैं, लेकिन आज यह बात कहनी जरूरी है। हाथरस में उसके बाद धार्मिक भावनाएं भड़काने के साथ ही दंगे शुरू हो जाते हैं। दंगों के संचालनकर्ता के रूप में सबसे पहले नाम आता है आतंकवादी संगठन के सदस्य अतीक-उर-रहमान का, जिसपर पुलिस UAPA के तहत मामला दर्ज कर जेल में डाल देती है।
हालाँकि, आरोपित का समर्थन करने के लिए इस्लामी कट्टरपंथ के समर्थक, पीएएफआई आगे आते हैं। तमाम सबूतों के बावजूद आरोपित को ‘मासूम’ बताने की साजिशें अभीतक जारी हैं। इस पूरे मामले को समझने के लिए कहानी हाथरस से शुरू करते हैं-
क्या था हाथरस कांड
- सितंबर 2020, में एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया था
- घटना के 2 हफ्ते बाद दिल्ली एम्स में युवती की मौत हो गई थी
- घटना ने मोड़ तब लिया जब पीएफआई मामले में कूदा
- यूपी के 7 राज्यों में दंगे भड़क गए थे, पुलिस ताबड़तोड़ FIR दर्ज कर रही थी
- पुलिस को हाथरस की ओर जा रही एक गाड़ी की सूचना मिली, जिसमें पीएफआई के सदस्य थे
क्या है पीएफआई
- पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एक इस्लामी चरमपंथी संगठन है
- संगठन का मुख्य मुस्लिमों को भड़काने और चरमपंथ की ओर धकेलने का माना जाता है
- सीएए विरोधी दंगे हों, हाथरस हो या ज्ञानवापी का मामला सबमें पीएफआई का द्वारा विरोध सामने आया है
- हाथरस कांड के बाद एक वेबसाइट सामने आई थी, जिसमें धार्मिक भावनाएं भड़काने से संबंधित आपत्तिजनक कंटेट सामने आया था, यह भी पीएफआई से संबंधित थी
अतीक-उर-रहमान को जानिए
- अतीक-उर-रहमान इस्लामी कट्टरपंथी संगठन PFI का सदस्य है
- उसने 5 अक्टूबर 2020, को ‘साजिश’ के तहत हाथरस में जाकर शांति भंग का प्रयास किया था
- आरोपित के खिलाफ पुलिस ने 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी
- कई आईटी एक्ट में भी मामले दर्ज हुए, जिनमें धारा 17 और 18 भी शामिल है जो कि, आतंकवाद के लिए धन जुटाने से संबंधित है
- आरोपित अतीक-उर-रहमान पर आईपीसी 153 (A) (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 124 (ए) देशद्रोह, 295(ए) (जानबूझकर), 120 (बी) दुभार्वना पूर्ण कार्य और धार्मिक भावनाएं भड़काने की धाराओं पर केस लगा था।
- 5 अक्टूबर 2020, को आरोपी अतीक को रऊफ ने 5000 रुपए भेजे थे, ताकि हाथरस में शांति भंग की जा सके
- आरोपित के पास एक लैपटॉप, 6 स्मार्टफोन, 1717 दस्तावेज बरामद हुए थे, जिनमें यह बताया गया था कि दंगाईयों की पहचान छुपाने के लिए क्या-क्या करना है
आतंकवादी फंडिग
- हाथरस में दंगे एक साजिश के तहत फैलाए गए थे
- घटना में पीएफआई को आतंकवादी फंड़िग मिलने की बात सामने आई थी
- ईडी की रिपोर्ट्स के मुताबिक.. जातीय दंगा फैलाने के लिए पीएफआई को मॉरिशस से 50 करोड़ रुपए मिले थे
- ईडी के अनुसार मामले में कुल फंडिंग करीब 100 करोड़ रुपए आई थी
अतीक-उर-रहमान और पीएफआई ने राष्ट्र की अखंडता को नुकसान पहुँचाने के लिए हिंसा का सहारा लिया है। पुलिस के पास मामले में सबूत भी है, लेकिन आरोपित के समर्थन में ट्वीट और बयान सामने आ ही जाते हैं। विचारधारा में अंतर हो सकता है लेकिन, चरमपंथ का सहारा लेकर धार्मिक भावनाएं भड़काने को सही किस तरह ठहराया जा सकता है? सामुहिक कुकर्म जैसे संवेदनशील घटना को मुद्दा बनाकर दंगे भड़काए जाते हैं और ऐसे आरोपियों के समर्थन में ना सिर्फ गिरोह के लोग आगे आते हैं बल्कि, कानूनी सहायता भी उपलब्ध करवाते हैं।