कांग्रेस का हिन्दुओं और उनके देवी-देवताओं को लेकर सुनियोजित तरीके से षड्यंत्र रचना, हिन्दू प्रतीकों, उनके आदर्शों की गलत व्याख्या करना, उस व्याख्या को नॉर्मलाइज करना, ये अब आम बात हो गई है और इसका उद्देश्य यही है कि वह व्याख्या या शब्द दशकों बाद भी चर्चा में रहे।
इसी कड़ी में असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने भी अपना नाम दर्ज करवा लिया है। भूपेन बोरा ने श्रीकृष्ण-रुक्मिणी और राजा धृतराष्ट्र-गांधारी के विवाह को लव जेहाद का उदाहरण बता दिया।
भूपेन बोरा क्या असम के लोगों की सैकड़ों साल की मान्यता को झुठलाना चाहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण रुक्मिणी जी से विवाह करके उसी क्षेत्र से गए थे? असम की राजधानी गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र के किनारे अश्वक्रांता मंदिर है, जो एक आर्कियोलॉजिकल साईट भी है। इस मंदिर के लिए यह मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण जब रुक्मिणी जी से विवाह करके लौट रहे थे तब उनके अश्व ने उस स्थान पर विश्राम किया था। ऐसे में प्रश्न यह है कि जिन भगवान श्रीकृष्ण ने खुले तौर पर विवाह किया था, उसे लव जेहाद कौन कहेगा?
भूपेन बोरा का यह बयान असमी संस्कृति, उसकी मान्यताओं को चुनौती देने जैसा है। असम में भगवान कृष्ण की मान्यता का अन्दाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपरा के 8 नृत्यों में से एक ‘सत्रिया नृत्य’ जिसके माध्यम से श्रीकृष्ण से जुड़ी कथाओं को नाटक या नाट्य संगीत के जरिए लोगों के बीच पहुंचाया जाता है, वह असम का ही नृत्य है, असम की पहचान है।
बोरा का यह बयान दरअसल लव जेहाद को नॉर्मलाइज करने के उद्देश्य के तौर पर देखा जाना चाहिए। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी सीनियर कांग्रेसी ने भगवान श्रीकृष्ण को लेकर ओछी टिप्पणी की है। अभी हाल ही में पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने अपने बयान में कहा था कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया था वह जेहाद का ज्ञान था।
पाटिल साहब इस्लाम और श्रीकृष्ण के बीच जो समय का अन्तराल है उसे तो नजरअन्दाज करते ही हैं, साथ ही वे बड़ी चालाकी से यह भी अनदेखा कर देते हैं कि जब श्रीमद्भगवदगीता अरबी या फारसी में नहीं लिखी गई तो फिर जेहाद जैसे शब्द को गीता या श्रीकृष्ण से कैसे जोड़ा जा सकता है?
दरअसल, कांग्रेसी DNA ही तुष्टिकरण का रहा है। जब भारत में आतंकवाद की घटनाएँ लगातार हो रही थी और उसे रोकने में तत्कालीन कांग्रेसी सरकार अक्षम साबित हो रही थी तब हिन्दू आतंकवाद और भगवा आतंकवाद जैसे शब्द गढ़ दिए गए थे और आज जब लव जिहाद चरम पर है तो कांग्रेस ‘कृष्ण-जेहाद’ जैसे शब्द गढ़ने के राजनीतिक प्रयास कर रही है।
भूपेन बोरा गोलाघाट ट्रिपल मर्डर मामले में कह रहे हैं कि इश्क और जंग में सब कुछ जायज है। उन्हें समझने की जरूरत है कि ये धारणा हिन्दुओं में तो है ही नहीं और ये हिन्दी के शब्द हैं भी नहीं।
अब सवाल यह है कि कहीं ये बात कह कर भूपेन बोरा सन्देश तो नहीं दे रहे हैं कि लव जिहाद जायज है और उसके समर्थन में कुतर्क देने के लिए कांग्रेस हमेशा खड़ी रहेगी।