राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शासन में लूपहोल का ऐसा फायदा उठाया है कि राजनीति के बड़े-बड़े महारथियों के पास भी इसका कोई जवाब नहीं दिख रहा है। दरअसल चुनावी वर्ष को देखते हुए अशोक गहलोत ने हाल ही में घोषणा की गई कि उन्होंने अपने कार्यकाल में करीब 300 कॉलेजों का निर्माण कराया है। इस घोषणा के साथ ही गहलोत ने राजस्थान में कॉन्ग्रेस के पूर्ववर्ती कार्यकालों पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि; 70 वर्षों में जहां 250 कॉलेज बने वहां मैंने 5 वर्षों 300 कॉलेज बना दिए।
300 कॉलेज 5 वर्ष में बनाना किसी भी सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि हो सकती है। हालांकि गहलोत के दावे की जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
सत्ता में आने के साथ ही अशोक गहलोत द्वारा बड़ी संख्या में कॉलेज खोलने की घोषणा की गई थी। हालांकि इसके लिए न तो कोई जमीन अधिग्रहण ही सामने आया नहीं कोई भवन निर्माण और शिक्षक एवं संसाधनों की भर्ती। यहीं से लूपहोल की शुरुआत भी होती है।
अशोक गहलोत द्वारा जिन कॉलेज को खोलने का दावा किया गया वो दरअसल सरकारी विद्यालयों में दो कमरे अलग किराए पर लेकर संचालित किए जा रहे हैं जिन्हें कॉलेज का नाम दे दिया गया है। वर्ष, 2021 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार अशोक गहलोत द्वारा 3 वर्षों में 123 कॉलेज खोले गए जो सरकारी विद्यालयों से संचालित हो रहे हैं। साथ ही इनके अलग भवन निर्माण के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने प्रशासन में ही यह लूपहोल तैयार किया है। उन्होंने सरकारी स्कूलों में कॉलेज के नाम के कमरे किराए लेकर दावा कर दिया कि उन्होंने 5 वर्षों में 300 कॉलेज बनाए जबकि इनमें से अधिकतर के भवन बनने बाकी हैं और इनके लिए शिक्षकों की भर्ती तक नहीं की गई है।
वहीं जमीनी हकीकत पर नजर दालें तो राजस्थान के ही जिले भरतपुर से जनवरी में एक मामला सामने आया था जिसमें कॉलेज में शिक्षक एवं संसाधनों की कमी होने के कारण गुस्साए छात्रों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए कॉलेज पर ताले लगा दिए थे।
300 कॉलेज को धरातल पर उतारना कितना कठिन है, इसे इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि प्रतापगढ़ जिले में खोले गए महिला कॉलेज के लिए सरकार को जमीन आवंटन करने में करीब 3 वर्ष का समय लग गया। इस कॉलेजों की घोषणा वर्ष, 2019 के बजट में की गई थी जब से यह सरकारी स्कूल में संचालित हो रहा था। वर्ष, 2022 में इसके लिए सरकार ने जमीन का आवंटन किया जिस पर अब भवन निर्माण का कार्य जारी है।
यही है 300 कॉलेजों की सच्चाई। दरअसल यह लूप होल अशोक गहलोत को अपनी अस्थिर सरकार को बचाने के लिए मजबूरन बनाना पड़ा था, जब अपने विधायकों को खुश करने के लिए गहलोत ने सैंकड़ों कॉलेज खोलने की घोषणा कर दी थी। हालांकि कर्ज में डूबे राज्य के लिए इतने बड़े स्तर पर कॉलेज का निर्माण, संसाधन एवं शिक्षक जुटाना चूनौतीपूर्ण कार्य है। यही कारण है कि कॉलेज भवन या किसी नई भर्ती के बिना महज कुछ स्कूलों में कॉलेज दर्शा कर गहलोत कॉलेज खोलने का दावा कर रहे हैं।
गहलोत ने अपने कार्यकाल के आधे कार्यकाल में ही दावा कर दिया था कि वे 3 वर्षों में 200 से अधिक कॉलेज खोल चुके हैं। हालांकि इनमें वो कॉलेज भी शामिल हैं जिनकी नींव प्रदेश की पिछली वसुंधरा सरकार द्वारा रखी गई थी। वर्ष, 2021 में गहलोत द्वारा 11 कॉलेजों का लोकार्पण एवं 2 कॉलेजों का शिलान्यास किया गया। हालांकि जिन कॉलेज का लोकार्पण किया गया है उनकी वित्तीय स्वीकृति पिछली वसुंधरा राजे सरकार में 2017 से पहले दे दी गई थी। वहीं इसमें कुछ कॉलेज भवन वो भी हैं जिन्हें वसुंधरा सरकार द्वारा बंद कर दिया गया था पर सत्ता में आने के बाद गहलोत सरकार ने फिर से शुरु कर दिया गया है।
बहरहार अशोक गहलोत ने साबित कर दिया है कि काम दर्शाने के लिए काम करना जरूरी नहीं बल्कि लूपहोल बनाना जरूरी है। दो कमरों या सामुदायिक केंद्रों में किराए से संचालित कॉलेज इसी का प्रमाण नजर आते हैं। भवन भविष्य में कब बनेंगे, उनमें व्याख्याता की भर्ती कौन सी सरकार करेगी, यह तो तय नहीं पर यह तय है कि गहलोत इन्हें किराए से संचालित करके शिक्षा की क्षेत्र में काम करने का श्रेय लेने के लिए आगे जरूर आ गए हैं। गहलोत शायद मनीष सिसोदिया के दिल्ली शिक्षा मॉडल से प्रेरित हैं।