हाल ही में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के भाषण का एक वीडिओ सामने आया है जो बहुत वायरल भी हो रहा है, इस वायरल वीडिओ में एक वायरस भी है, जी हाँ! लोगों को बेवकूफ बनाने का वायरस।
ओवैसी ने कहा, “मैं पूछना चाहता हूँ भाजपा के लोगों से, कि क्या आप जानते हैं RSS के लोग, RSS के लोगों ने कभी, भारत की आजादी में कुछ नहीं किया उन लोगों ने, न लठ पिराए न चड्डी पहनकर पिराए, कुछ नहीं किया उन लोगों ने। देश की आजादी में आरएसएस का कोई रोल नहीं था।”
रजाकारों की विरासत थामे ओवैसी को यह पूछने का हक नहीं
भारत से रक्तरंजित गद्दारी के पुश्तैनी इतिहास वाले ओवैसी का सवाल ऐसा ही है जैसी एक कहावत है कि जिनके घरों में दीवारें नहीं होतीं उन्हें नंगे होकर नहाना नहीं चाहिए। भारत की आजादी से लगभग 20 साल पहले हैदराबाद पर निजाम उस्मान अली खान की हुकूमत थी, यह इतिहास भी तभी का है।
1927 में नवाब महमूद नवाज खान किलेदार ने मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन (MIM) नाम का संगठन बनाया जिसका शुरू से ही सर्वेसर्वा था ओवैसी खानदान। पहले ओवैसी के दादा अब्दुल वाहिद ओवैसी एमआईएम का अध्यक्ष बने, इसके बाद ओवैसी के अब्बा हुजूर सलाहुद्दीन ओवैसी आजीवन इसके अध्यक्ष रहे और अब असदुद्दीन ओवैसी इसके अध्यक्ष हैं।
इस पार्टी के फाउंडिंग मेम्बरान में हैदराबाद का सैयद कासिम रिजवी भी था। रिजवी ‘रजाकार’ नाम के हथियारबंद “आतंकी संगठन” का सरगना भी था। असल में ‘रजाकार’ एमआईएम पार्टी के झण्डे तले बनाया गया एक स्वयंसेवी संगठन था जिसे 1938 में बहादुर यार जंग ने बनाया था। एमआईएम के विस्तार में इन रजाकारों की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
रजाकार और एमआईएम हैदराबाद के देशद्रोही निजाम के कट्टर समर्थक थे। ओवैसी शायद भूल गए कि 1947 में जब देश स्वतंत्र हुआ तो कासिम रिजवी और उसके आतंकी संगठन अर्थात ‘रजाकारों’ ने हैदराबाद रियासत के भारत में विलय का भयंकर विरोध किया था क्योंकि ये सब हैदराबाद को पाकिस्तान में शामिल कराना चाहते थे।
‘रजाकार’ यानि इतिहास का तालिबान
‘रजाकार’ पूरी तरह हथियारबंद बर्बर लोगों का संगठन था जिनका उद्देश्य था इस्लामिक राज कायम रखना। इस आतंकी संगठन ने अनेक हिन्दू महिलाओं का उत्पीड़न किया था, और हजारों हिन्दुओं की नृशंस हत्या भी की थी। हैदराबाद के आर्यसमाजी नेता श्यामलाल वकील की अमानवीय यातनाएं देकर रजाकारों ने हत्या की थी। इसके अतिरिक्त हैदराबाद को भारत में मिलाने की वकालत करने वाले पत्रकार शोएबुल्ला खान की हत्या भी इन्होने की थी।
रजाकारों के गिरोह न केवल हिंदुओं की हत्या कर रहे थे अपितु अनेक कम्युनिस्टों की भी हत्या की थी। पण्डित सुन्दरलाल समिति की रिपोर्ट के मुताबिक रजाकारों की हिंसा में हैदराबाद के कम से कम करीब 27,000 से 40,000 लोग मारे गए थे। 31 मार्च 1948 को MIM के कासिम रिजवी ने हैदराबाद के रेडियो स्टेशन से मुसलमानों को भारत पर चढ़ाई करने को कहा था और दावा किया था कि जल्दी ही दिल्ली के लालकिले पर निजाम हैदराबाद का झंडा लहराएगा।
हैदराबाद के निजाम ने कानून बनाकर भारत के रुपये को हैदराबाद में प्रतिबंधित कर दिया था पाकिस्तान को 20 करोड़ रुपये की मदद दी थी। उसने कराची में अपना जन सम्पर्क अधिकारी भी नियुक्त किया था। निजाम के फरमान गस्ती निशाँ 53 के तहत किसी भी हिन्दू त्यौहार, पूजा पाठ, शोभायात्रा, कीर्तन, हवन या किसी भी तरह के हिन्दू क्रियाकलाप पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध था। अगर कोई इसका उल्लंघन करता तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाता था।
निजामाबाद के कृष्ण मोदानी का विरोधस्वरूप सार्वजनिक रूप से हवन करने पर रजाकारों ने उसका कत्ल कर दिया, जिनके नाम पर निजामाबाद राधा-कृष्ण गंज बाजार आज भी है। राज्य में हिंदी, तेलुगु और मराठी भी प्रतिबंधित थीं। भैरनपल्ली नाम के गांव में रजाकारों ने सैकड़ों हिन्दुओं को एक ही दिन में बेरहमी से कत्ल कर दिया था। ऐसे अनेक गाँव थे जहाँ रजाकारों ने पूरी जनसंख्या की हत्या की, महिलाओं से बलात्कार किया और लोगों को बचकर जंगल में भागना पड़ा। असदुद्दीन ओवैसी इन्हीं नृशंस रजाकारों का वंशज है।
29 नवंबर 1947 को निजाम के साथ जवाहरलाल नेहरू ने समझौता कर लिया था कि हैदराबाद की स्थिति वैसी ही रहेगी जैसी आजादी के पहले थी। इसी कारण निजाम और रजाकारों को पूरी छूट मिल गयी थी और 1948 में उन्होंने जमकर तांडव मचाया था।
ऑपरेशन पोलो
नेहरू के इन समझौतों और हैदराबाद में फैले आतंकवाद से तंग आकर सरदार पटेल ने निजाम हैदराबाद को पत्र लिखकर हैदराबाद के भारत में विलय का आखरी मौका दिया। हैदराबाद के निजाम ने सरदार पटेल की यह पेशकश ठुकरा दी। और तत्कालीन एमआईएम नेता और रजाकारों के सरगना कासिम रिजवी ने भारत सरकार को धमकी दी।
इसके बाद सरदार पटेल ने सितंबर 1948 में ऑपरेशन पोलो को हरी झंडी दिखा दी और मिलिट्री एक्शन लेकर हैदराबाद को भारत में शामिल करवाया। केवल 4 दिन के ऑपरेशन पोलो में ही निजाम शासन का दम निकल गया।
ऑपरेशन पोलो में निजाम के मुख्यमंत्री मीर लाइक अली के साथ साथ कासिम रिजवी भी गिरफ्तार कर लिया गया, दस साल की जेल के बाद कासिम रिजवी को 48 घंटे में पाकिस्तान जाने की शर्त पर छोड़ा गया। रिजवी पाकिस्तान में गुमनामी में दर्दनाक मौत मरा।
ऑपरेशन पोलो में ओवैसी के दादा की पार्टी एमआईएम भी बैन कर दी गई थी, 1958 में एमआईएम के आगे ऑल इंडिया लगाकर उसने फिर से पार्टी बनाई पर जैसे एक विशेष जानवर की पूँछ सीधी नहीं होती उसी तरह ओवैसी का दादा मौलाना अब्दुल वाहिद ओवैसी फिर से भड़काऊ भाषण देने लगा और उसे अपराधी सुधार गृह यानि चंचलगुडा जेल में डाल दिया गया जहाँ वह 11 महीने बंद रहा। ऐसे इतिहास वाला ओवैसी आजादी में योगदान जैसे सवाल पूछ भी कैसे लेता है? मने कुछ भी!