असम में आतंकवादी लिंक वाले कुछ मदरसों पर बुलडोजर के एक्शन के बाद असम की हिमंत सरकार ने सोनितपुर में 330 एकड़ सरकारी जमीन से बांग्लादेशियों का कब्जा साफ कर दिया है। ‘बुलडोजर’ की इस बड़ी कार्रवाई से अवैध धंधों और आतंकवादी लिंक वाले घुसपैठियों में हड़कंप मच गया है। असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार पिछले कुछ समय से अवैध कब्जों के खिलाफ जबर्दस्त एक्शन में है।
शनिवार, 3 सितंबर को असम के सोनितपुर जिले में एक बड़े अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत 330 एकड़ सरकारी जमीन से अतिक्रमण साफ कर दिया गया है। बरचल्ला विधानसभा क्षेत्र में यह अभियान खुद भाजपा विधायक गणेश कुमार लिम्बु की अगुवाई में चलाया गया। यहां अतिक्रमण हटाने के लिए करीब 50 बुलडोजर(JCB) और भारी मशीनरी के साथ बड़ी संख्या में सरकारी दस्ता पहुंचा।
किसी भी विवाद की स्थिति से निपटने के लिए यहाँ असम पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स के लगभग 1,200 सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया था। 8 महीने पहले दिए गए सरकारी नोटिस की वजह से करीब 300 अतिक्रमणकारी अप्रवासी परिवारों में से ज्यादातर लोग पहले ही यहां से जा चुके थे।
कई विवादित मदरसों पर पिछले महीने से चल रहा क्रैकडाउन
असम के मुख्यमंत्री, हिमंत बिस्वा सरमा राज्य की आंतरिक सुरक्षा को लेकर कोई सुस्ती नहीं बरतते हैं। अगस्त 2022 में, असम में तीन अन्य मदरसों को भी आतंकवादी संगठनों के साथ उनके संबंधों के कारण ध्वस्त कर दिया गया था।
कई मुस्लिम संगठन मदरसों के आतंकी संबंधों की बात को दरकिनार करते हुए, इसे मुद्दा बनाकर 2024 में आम चुनाव की चुनावी रणनीति बताकर ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। असम में करीब दो साल बाद वर्तमान मुद्दे की आड़ लेकर CAA विरोधी प्रदर्शन फिर से शुरू हो गए हैं।
असम, एक महत्वपूर्ण उत्तर-पूर्वी सीमावर्ती राज्य है जो अवैध बांग्लादेशी अप्रवासियों, बार-बार बाढ़, नागालैण्ड के साथ भूमि विवाद और आतंकवादी गतिविधियों जैसी समस्याओं से लंबे समय से जूझता रहा है। वैसे, यहां आरोप लगता रहा है मदरसों से जुड़ा आतंकवाद यहाँ के प्रमुख चिंताजनक मुद्दों में से एक है, एक ऐसी जगह जहां मुस्लिम समुदाय के ज्यादातर बच्चे शिक्षा के लिए जाते हैं।
4 अगस्त 2022 को, UAPA और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत, मारीगांव, असम में एक मदरसे को ध्वस्त कर दिया गया था। विध्वंस से एक हफ्ते पहले, जमीउल हुदा मदरसा चलाने वाले मौलवी मुफ्ती मुस्तफा को अल-कायदा और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (बांग्लादेशी आतंकी संगठन) के साथ उसके संबंधों के कारण गिरफ्तार किया गया था।
हाल ही में गिरफ्तार किए गए बारपेटा जिले के मदरसे में पढ़ाने वाले मौलवियों के भी इन्हीं आतंकवादी संगठनों से संबंध होने की खबर है। इसके चलते अकबर अली और अबुल कलाम आजाद नाम के दो मौलवी भाइयों को गिरफ्तार किया गया था और 29 अगस्त को उनके मदरसे को ध्वस्त कर दिया गया था।
इस क्रम में, गोलपाड़ा पुलिस ने खूफिया जानकारी के आधार पर 31 अगस्त को हाफिजुर रहमान मुफ्ती को बांग्लादेशी आतंकवादी संगठनों के साथ उसके कथित संबंधों का हवाला देते हुए गिरफ्तार किया था।
असम प्रशासन द्वारा हाल ही में ढहाए गए संदिग्ध मदरसों ने इस बहस को फिर से तूल दे दिया है। विद्यार्थी जीवन में शिक्षकों का बच्चे के जीवन और मनो-मस्तिष्क पर बहुत अधिक प्रभाव होता है, पर स्थिति तब चिंताजनक हो जाती है जब मदरसे के मौलवी कथित आतंकी संबंधों के लिए पकड़े जाते हैं।
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने मौलवियों के आतंकी संबंधों को नजरअंदाज करते हुए इस मामले को सांप्रदायिक रंग दे दिया। अजमल ने असम में भाजपा सरकार पर बेईमानी का आरोप लगाते हुए विवादित मदरसे ढहाने को 2024 के आम चुनावों में मुस्लिम वोटरों को डराने की कार्रवाई करार दिया।
अजमल ने न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा कि ‘देश को आजाद कराने में मदरसों का बहुत बड़ा योगदान है. इन मदरसों के उलेमाओं ने अंग्रेजों को यहां से खदेड़ दिया था। मदरसों के लोगों ने ही गांधी जी को गांधी बनाया था। इन मदरसों को नज़रअंदाज़ न करें।’
गिरफ्तार मौलवियों के आतंकी संबंधों को आसानी से नजरंदाज करते हुए, अजमल ने आगे कहा कि मदरसे मजहबी शिक्षा के सिवाय सामान्य शिक्षा को बढ़ावा देने में भी मदद करते हैं।
भाजपा प्रवक्ता रूपम गोस्वामी ने AIUDF अध्यक्ष के हमले का जवाब देते हुए उन पर तीखा हमला बोलते हुए उनसे आतंकी लिंक वाले मदरसों के विध्वंस पर उनके दर्द का कारण पूछा। गोस्वामी ने अजमल से सवाल किया कि क्या वो ‘जिहादी’ गतिविधियों का समर्थन करते हैं? गोस्वामी ने असम सरकार से अजमल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील भी कर डाली।
अगस्त की शुरुआत में, सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि असम बांग्लादेशी आतंकी संगठनों का गढ़ बनता जा रहा है। इसी महीने अल-कायदा और अंसारुल्लाह बांग्ला गुटों के साथ संबंध रखने के कारण 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और इनमें से ज्यादातर या तो मस्जिदों के प्रचारक (मौलवी) हैं या मदरसों से संबंध रखते हैं।
इससे पहले असम की हिमंत सरकार ने शिक्षा प्रणाली को धर्मनिरपेक्ष बनाते हुए सभी सरकारी मदरसों को बंद कर दिया था। हालांकि यह फैसला निजी मदरसों पर लागू नहीं किया गया था जिनमें से कुछ के अब आतंकवादी लिंक सामने आ रहे हैं।
यहां यह उल्लेख करना गलत नहीं होगा कि ‘सर तन से जुदा’ वाली कट्टरपंथी मानसिकता को मदरसों के अंदर मौलवियों द्वारा पोषित किया जाता है। इसके अलावा, सीमावर्ती राज्यों के भीतर एक समुदाय विशेष का जो जनसंख्या विस्फोट देखा जा रहा है वह सीधे सीधे अवैध घुसपैठ को इंगित करता है। समय आ गया है कि राज्य सरकारें इस खतरे को गंभीरता से लें और इसे प्रभावी ढंग से रोकने के लिए कड़े कदम उठाएं।