दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं AAP नेता अरविंद केजरीवाल के सोशल मीडिया अकाउंट्स खाड़ी देश कतर, कनाडा और अमेरिका से संचालित किए जाते हैं। केजरीवाल का फ़ेसबुक पेज संचालित करने वाले 28 लोगों में से 26 इंडिया में हैं, जबकि 1 कतर में। हाालांकि, ‘दी इंडियन अफ़ेयर्स’ ने जैसे ही आप का भांड़ा फोड़ किया पार्टी ने उन पेज एडमिन्स को चुपके से हटा दिया।
क्या है मायने
फेसबुक हेल्प सेंटर को देखने पर जब पेज ऐड्मिन और पेज मैनेज करने वालों की भूमिका को समझते हैं तो पता चलता है कि यह पेज मैनेज करने के साथ-साथ बाहरी देशों में बैठे लोग इस पर जानकारी जोड़ सकते हैं, उसे शेयर कर सकते हैं और पेज संचालित भी कर सकते हैं।
कौन-कौन हैं शामिल
आम आदमी पार्टी के अकाउंट्स में सबसे पहला नाम सीएम केजरीवाल का है, जिनका अकाउंट कतर और अमेरिका से संचालित होता है। आतिशी मार्लेना का अमेरिका से चल रहे हैं। दिल्ली सीएम केजरीवाल के करीबी और पार्टी के नेता एवं राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा, आतिशी मार्लेना एवं पंजाब सरकार में मंत्री अमन अरोड़ा के फ़ेसबुक अकाउंट भारत के साथ-साथ अमेरिका एवं कनाडा से भी मैनेज किए जाते हैं।
यहीं नहीं, हाल ही में पंजाब में सरकार बनाने वाली आप पार्टी का पंजाब राज्य का फेसबुक पेज लिथुआनिया से संचालित होता है। जहां भारत में होने वाली हर घटना और प्रकरण में कतर का असर देखा जाता है। चाहे उसमें कोरोना महामारी का ही संदर्भ ले लें या भाजपा नेता नूपुर शर्मा का मामला।
सोशल मीडिया पर नूपुर शर्मा मामले में पूरा प्रॉपगेंडा इसी कतर देश से चलाया गया था, जिस पर ट्विटर पर भी काफ़ी सारे Threads लिखे गए हैं। अक्सर भारत-विरोधी नैरेटिव एवं हैशटैग के लिए कतर एवं अन्य खाड़ी देशों का नाम सामने आता रहा है। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि नूपुर शर्मा प्रकरण में ‘अति उत्साह’ दिखाने वाले फ़ैक्ट चेकर मोहम्मद ज़ुबैर और उनकी वेबसाइट ऑल्टन्यूज़ का सम्बंध भी इन देशों से रहा है।
सवाल यह उठता है कि क्या संवैधानिक पद पर बैठे अरविंद केजरीवाल, जो कि देश की राजधानी के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के संयोजक होने के नाते सीमावर्ती राज्य पंजाब की राजनीति में पूरी दख़ल रखते हैं, विदेशी ताक़तों के सहयोग से देश में चलाए जाने वाले सूचना तंत्र को प्रभावित करना चाहते हैं?
आम आदमी पार्टी नेताओं के कुछ अकाउंट्स की छानबीन करने के बाद हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह, देवेन्द्र फडणवीस, योगी आदित्यनाथ, राहुल गाँधी, ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव आदि नेताओं के फ़ेसबुक पेज भी तलाश किए तो उन्हें चलाने वाले लोगों की जानकारी में यही आता है कि बाक़ी सभी के पेज ऐड्मिन भारत में ही मौजूद हैं।
अब सवाल यह उठता है कि आम आदमी पार्टी और उसके मुखिया अपने फ़ेसबुक पेज विदेशी धरती पर बैठी विदेशी ताक़तों के हवाले कर के क्यों बैठे हैं?
‘दी इंडियन अफ़ेयर्स’ की इस रिपोर्ट का उद्देश्य किसी की छवि ख़राब करना नहीं बल्कि यह तथ्य सामने रखना है कि सिर्फ़ केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट्स ही क्यों विदेशों से संचालित किए जा रहे हैं?
संवेदनशील हो सकता है मामला
आज के दौर में जब फेसबुक, ट्विटर सूचना तंत्र और जनसंवाद में प्रमुख टूल बन गए हैं, ऐसे में एक ही पार्टी से संवैधानिक पदों पर बैठे इतने नेताओं, मंत्रियों, मुख्यमंत्री यहाँ तक कि पार्टी के आधिकारिक पेजों के Analytics, Inbox, Insights, विज्ञापन तक विदेशों में बैठे लोगों की पहुँच होना बहुत गंभीर विषय है। कुछ साल पहले हमने कैम्ब्रिज एनालिटिका नामक डाटा कंपनी के बारे में समाचार पढ़ा था कि कैसे वो कम्पनी फेसबुक डाटा के साथ मैनीपुलेशन कर चुनाव में दखल करने की क्षमता रखती हैं।
विदेशों में बैठे व्यक्तियों के हाथ में अपने सूचना तंत्र का कंट्रोल देना देश के लोकतंत्र, आंतरिक सुरक्षा के लिए भी बहुत बड़ा खतरा हो सकता है क्योंकि इस बात की पुष्टि कोई नहीं कर सकता कि विदेश में बैठे यह लोग जो अरविंद केजरीवाल, आतिशी मार्लेना, आम आदमी पार्टी की आधिकारिक पेज, राघव चड्ढा आदि के पेजों का हिस्सा हैं, वो विदेशों में अन्य किन देशों के व्यक्तियों के साथ रणनीति में शामिल होंगे और इस बात की भी बड़ी सम्भावना भी है कि इस डाटा को वो किन किन के साथ साझा करते रहे होंगे।
आम आदमी पार्टी के नेताओं में अरविन्द केजरीवाल के पेज पर ख़ास तौर पर कतर से ऐड्मिन होना हैरान कर देने वाला है। हाल ही में हमने कई रिपोर्ट्स में देखा कि कैसे कतर, पाकिस्तान, तुर्की, का गिरोह भारत के सामरिक हितों पर लगातार हमलवार है और कैसे कतर एक फ़ायनांसर के तौर पर भारत-विरोधी प्रॉपगेंडा को हवा देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
ऐसे में भारत के एक ऐसे मुख्यमंत्री, जिसकी सरकार दो राज्यों में है, के पेज का कंट्रोल उस देश में बैठे किसी व्यक्ति के हाथों में होने के कितने गंभीर मायने हो सकते हैं इसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती। इसको रोकने के लिए भारत सरकार, चुनाव आयोग को दिशा-निर्देश तय करने की आवश्यकता है, साथ ही यह भी पता लगाए जाने की आवश्यकता है कि यह कौन लोग थे, जो विदेशों से भारतीय राजनीति में अप्रत्यक्ष दखल रख रहे थे।
सवाल यह भी उठता है कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग ही रूस, अमेरिका, वियतनाम, सीरिया, कांगो, से अकाउंट चलाने लगें तो? विदेश से संचालित होने पर क्या खतरा हो सकता है इसका अंदाजा हम कैंब्रिज एनालिटिका के आरोपों से लगा सकते हैं, जिसमें बताया गया कि ब्रिटिश कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक पर 5 करोड़ फेसबुक उपभोक्ताओं के डेटा का इस्तेमाल बिना उनकी अनुमति के राजनेताओं के लिए करने का आरोप लगाया है।
इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व ब्रेक्सिट प्रचार अभियान भी शामिल हैं। फेसबुक ने स्वीकार किया है कि करीब 2,70,000 लोगों ने एप डाउनलोड किया और उन्होंने उसपर अपनी निजी जानकारी साझा की थी।
बहरहाल, खुलासे के बाद अभी तक CM केजरीवाल की ओर से इस मामले पर कोई बयान नहीं आया। हालाँकि, उन पेज एडमिन्स को चुपके से हटा दिया गया।साथ ही, साथ हम अरविंद केजरीवाल से ये भी निवेदन करते हैं कि वो पारदर्शिता के लिए इन पेज ऐड्मिन के नाम सार्वजनिक करने के साथ-साथ यह भी स्पष्ट करें कि उन्हें केजरीवाल जी ने और कौन सी जिम्मेदारियाँ दे रखी हैं।