आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री और उस पर गुजरात हाईकोर्ट के निर्णय को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल ने वही राग अलापा जो वे 2016 से अलापते आ रहे हैं। पीएम मोदी डिग्री क्यों नहीं दिखा रहे? उन्हें अहंकार है या उनकी डिग्री फेक है? केजरीवाल आगे कहते हैं कि अगर पीएम मोदी गुजरात और दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ें हैं तो विश्वविद्यालय को सेलिब्रेट करना चाहिए?
हालाँकि दिल्ली के पढ़े लिखे मुख्यमंत्री गुजरात विश्वविद्यालय की वेबसाइट चेक करने की जहमत नहीं उठाते हैं जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एम. ए. की डिग्री अपलोड की हुई है। या तो वे यह देखना भूल जाते हैं या फिर जानबूझकर नहीं बताते कि गुजरात विश्वविद्यालय अपने छात्र पर गौरवान्वित है।
प्रधानमंत्री का पढ़ा लिखा होना क्यों जरूरी है, इसे लेकर केजरीवाल भले ही तमाम तरह के कुतर्क देने का प्रयास कर रहे हों लेकिन एक दौर था जब यही केजरीवाल कहते थे कि प्रधानमंत्री बनने के लिए आपको कोई डिग्री की जरूरत नहीं है। प्रतिभा, फॉर्मल एजुकेशन की मोहताज नहीं है।
हालांकि आज केजरीवाल जगह-जगह जाकर और अलग-अलग मंचों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर प्रश्न करते नजर आ रहे हैं और सर्टिफिकेट बाँटने का काम… माफ कीजिएगा सर्टिफिकेट माँग रहे हैं।
दरअसल, केजरीवाल यह काम वर्ष 2016 से कर रहे हैं। आखिर ये पूरा मामला है क्या? चलिए इसे संक्षेप में जानने का प्रयास करते हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 28 अप्रैल, 2016 को अरविन्द केजरीवाल ने तत्कालीन केन्द्रीय सूचना आयुक्त एम. श्रीधर आचार्यलू से अनुरोध किया था कि पीएम मोदी की डिग्री से सम्बन्धित जानकारी सार्वजनिक कर दी जाए।
यहाँ एक बात जो महत्वपूर्ण है वो यह कि उस समय अरविन्द केजरीवाल के अपने मतदाता पहचान पत्र में पता बदलवाने को लेकर जानकारी साझा करने की बात हो रही थी और केजरीवाल ने पीएम मोदी की डिग्री की जानकारी की मांग कर डाली और वो भी मौखिक रूप में।
29 अप्रैल, 2016 को तत्कालीन केन्द्रीय सूचना आयुक्त ने अरविन्द केजरीवाल की इस मौखिक मांग पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे RTI एप्लिकेशन में बदल दिया और दिल्ली व गुजरात विश्वविद्यालय को आदेश दिया कि वे पीएम नरेन्द्र मोदी की 1978 में ग्रेजुएशन और 1983 पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री जितनी जल्दी हो सके अरविन्द केजरीवाल को सौंप दें।
केन्द्रीय सूचना आयुक्त के इस आदेश को गुजरात विश्वविद्यालय ने 4 मई, 2016 को गुजरात हाईकोर्ट में चैलेंज किया। गुजरात विश्विद्यालय ने आरोप लगाया कि केन्द्रीय सूचना आयुक्त ने अरविन्द केजरीवाल को स्पेशल ट्रीट किया है। क्यों? क्योंकि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। साथ ही गुजरात विश्वविद्यालय का कहना था कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एक ‘गैर जिम्मेदार बचकानी जिज्ञासा’ को सार्वजनिक हित का आधार नहीं बनाया जा सकता।
गुजरात विश्विद्यालय ने आरोप लगाया था कि अरविन्द केजरीवाल ने पीएम मोदी की डिग्री से सम्बन्धित एप्लीकेशन तक दायर नहीं की और केवल मौखिक आधार पर आदेश थमा देना RTI नियमों का उल्लंघन है।
जुलाई, 2016 को गुजरात हाईकोर्ट ने मुख्य सूचना आयुक्त के इस आदेश पर रोक भी लगा दी और कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि सूचना आयुक्त न्यायिक आयोग और सार्वजनिक मंच के बीच के अन्तर को भूल गए हैं।
हालांकि भाजपा ने पारदर्शिता दिखाते हुए 9 मई, 2016 को पीएम नरेन्द्र मोदी की बैचलर और मास्टर्स डिग्री सार्वजनिक कर दी। वैसे तो मामला यहीं ठण्डा हो जाना चाहिए था कि लेकिन ऐक्टिविज्म कीन्हे बिना, मोहि कहां विश्राम वाले अरविन्द केजरीवाल रुकते कहाँ?
गुजरात हाईकोर्ट ने क्या कहा?
चलिए ये तो बात हुई अरविन्द केजरीवाल और पूरे मामले की। अब आते हैं गुजरात हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर। हाईकोर्ट ने गुजरात यूनिवर्सिटी की ओर से दायर अपील को इस आधार पर स्वीकार कर लिया कि उसे बिना नोटिस दिए केन्द्रीय सूचना आयुक्त ने आदेश पारित कर दिया गया था। कोर्ट का कहना है कि अरविन्द केजरीवाल ने आरटीआई अधिनियम की भावना और उद्देश्य का मजाक उड़ाया है।
केजरीवाल ने एक ऐसे मुद्दे पर विवाद पैदा करने के लिए आरटीआई अधिनियम का अंधाधुंध दुरुपयोग किया जो आरटीआई के तहत नहीं आता है और इसीलिए कोर्ट ने 25,000 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया।
गुजरात उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कई बातें कही जिनमें 2 महत्वपूर्ण बातें हैं। पहली यह कि शैक्षिक दस्तावेज निजी जानकारी है और यह आरटीआई के दायरे में नहीं आता है। दूसरी, यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री अपलोड की गई है और पीएम मोदी कुछ भी छिपा नहीं रहे हैं।
तो फिर सवाल वही कि केजरीवाल यह नौटंकी क्यों कर रहे हैं? जबकि पढ़े लिखे मुख्यमंत्री को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए डिग्री मांगने के बजाय यूनिवर्सिटी की वेबसाइट खंगाल लेनी चाहिए जहाँ पीएम मोदी की डिग्री अपलोड की गई है।
यह भी पढ़ें: क्यों हुआ शुरू हुआ केजरीवाल और उनका डिग्री प्रलाप