अरविन्द केजरीवाल सरकार अब बिजली घोटाले के आरोप के चलते विवादों में घिर गई है। दिल्ली की ‘आप’ सरकार पर आरोप है कि उसने बीआरपीएल और बीवाईपीएल के बकाया राशि को माफ करने की आड़ में भारी कमीशन लिया है।
दरअसल, इन दोनों बिजली कम्पनियों बीआरपीएल और बीवाईपीएल को दिल्ली सरकार का 21,250 करोड़ रुपए देना बाकी है। इन पैसों की वसूली करने के बजाय दिल्ली सरकार ने बकाया राशि में से तकरीबन 3249.76 करोड़ रुपए माफ कर दिए हैं।
नियमों के मुताबिक, दोनों कम्पनियों को बिजली का बकाया समय पर नहीं देने पर 18% अतिरिक्त जुर्माने के साथ भुगतान करना था। इसके उलट अब मात्र 12% जुर्माने के साथ भुगतान करना होगा। यानी सीधे 6% की कटौती। इससे तकरीबन 8,500 करोड़ का सरकारी घाटा होगा।
दिल्ली के भाजपा नेता मनजिन्दर सिंह सिरसा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अरविन्द केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा, “अरविन्द केजरीवाल कमीशन वाले सीएम हैं। दिल्ली सरकार के मनोनीत निदेशकों जैसमीन शाह, नवीन गुप्ता, उमेश त्यागी और जे एस देसवाल की मदद से बीआरपीएल और बीवाईपीएल के कुल बकाया राशि में से 3249.76 करोड़ रुपए की कुल राशि माफ करने का मास्टरमाइंड कट्टर ईमानदार सीएम हैं।”
मनजिन्दर सिंह ने बताया कि अरविन्द केजरीवाल सरकार ने ‘बीएसईएस राजधानी’ का 1301 करोड़ रुपए और ‘बीएसईएस यमुना’ में 1948 करोड़ रुपए माफ किए। इन दोनों प्रोजेक्ट को पहले पावर सेक्रेटरी और फाइनेंस सेक्रेटरी देखते थे। इन्हें हटाकर केजरीवाल सरकार ने आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता जैसमीन शाह और आप राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता के बेटे नवीन गुप्ता जैसे लोगों को भुगतान के प्रबन्धन के लिए रखा गया।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि आप (AAP) और अन्य प्राइवेट लोगों के हवाले से अरविन्द केजरीवाल सरकार ने शराब घोटाले की भाँति यहाँ भी 6% कमीशन लिया है। दिल्ली में इन 2 कम्पनियों के अलावा टाटा भी बिजली देती है। टाटा ने अपना पूरा पैसा दे दिया है। टाटा को अरविन्द केजरीवाल सरकार ने कभी कोई राहत नहीं दी। जबकि, इन दोनों कम्पनियों के पास सरकार का 21,000 करोड़ रुपए बकाया है। इन्हें क्यों राहत दी गई?