मंगलवार देर शाम सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उन्हें पहले हाईकोर्ट के पास जाना चाहिए। इसके बाद आम आदमी पार्टी के दो नेता, मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन ने अपने-अपने पदों से इस्तीफ़ा दे दिया है। ये दोनों नेता अब जेल में हैं।
मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी की खबर के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में लग्ज़री कार से उतरकर कुछ लोग सड़क किनारे रखे हुए गमले चुरा रहे हैं। ये गुड़गाँव का क़िस्सा है और एकदम शहरी जगह पर ये काम हुआ है। निःसंदेह इन गमलों को ना ही किसी केजरीवाल ने चुराया है और ना ही मनीष सिसोदिया ने। इस घटना का ज़िक्र सिर्फ़ इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि बात चोरी करने की आदत की है। ये किसी को भी हो सकती है। आईआईटी से पढ़े लिखे क्रांतिकारी को भी और कॉमेडियन से सीएम बने हँसोड़ को भी। राजस्व की चोरी, आरोपों की चोरी, बयानों की चोरी, ठग होने की चोरी, अपने कीर्तिमानों की चोरी….
केजरीवाल और सिसोदिया का भगत सिंह प्रेम
कीर्तिमान, जैसे कि यह दावा कर लेना कि आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से पहले तो ब्रह्मांड में कोई किसी के हाथ में पेन, पेंसिल और कलम थमाने वाला पैदा ही नहीं हुआ था। ‘वन फाइन डे’ इस धरा पर केजरीवाल और सिसोदिया द्वय अवतरित हुए और ऐसे अवतरित हुए कि इसके बाद जंतर-मंतर की क्रांति से जो भी क्रांतिकारी पैदा हुए, वो भी अपने हाथों में पेन और कलम लिए हुए थे।
इस अभूतपूर्व खगोलीय घटना के बारे में जब हमने कुछ एलियंस से पता किया तो उन्होंने भी यही कहा कि उन्हें साक्षर बनाने में केजरीवाल और सिसोदिया का ही हाथ है। यहाँ तक कि कोई मिल गया फ़िल्म में रोहित के भेजे हुए सिग्नल समझ पाने में भी सिसोदिया ने ही जादू के मौसा की मदद की थी। उन्होंने ये भी बताया कि जादू पृथ्वी पर गलती से नहीं रुका बल्कि वो मनीष सिसोदिया और केजरीवाल के स्कूल में पढ़ने के लिए धरती पर रुक गया था।
ये तो थी मज़े की बात और अब पते की बात ये कि आख़िर ED और CBI का ख़ौफ़ ईमानदार नेताओं को क्यों सताता है। महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने बैठते वक्त मनीष सिसोदिया महात्मा गांधी के ही शब्द क्यों भूल गए जिनमें उन्होंने कहा था कि इंसान अगर ग़लत नहीं है तो उसे किसी से डरने की भी आवश्यकता नहीं। सिसोदिया और केजरीवाल की हरकतों से तो यही लगता है कि आज अगर बापू होते तो वो इनसे ज़रूर कहते कि दो कदम दूर हो जा बेटा वरना मेरी अहिंसा की क़सम टूट जाएगी।
बापू ने कहा था कि डरना मत, लेकिन आम आदमी पार्टी तो भयभीत हो रखी है। अगर ये भयभीत नहीं हुई होती तो पंजाब में भगवंत मान की सरकार पहली फ़ुरसत में अपनी शराब नीति का ऑनलाइन फॉर्म वापस नहीं लेती। भगवंत मान सरकार ने ये फ़ैसला मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी के बाद ही लिया है। बताया जा रहा है कि भगवंत मान ने ये नीति दिल्ली की आबकारी नीति की तर्ज पर तैयार की गई थी। यानी जो ख़ुद को भगत सिंह बताते नहीं थम रहे थे, वो तो चायनीज़ भगत सिंह निकले।
पंजाब: मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद भगवंत मान ने वापस लिए नई आबकारी नीति के फॉर्म
आँकड़ों की अगर हम बात करें तो जुलाई, 2022 में राज्यसभा में मोदी सरकार ने एक जवाब में बताया था कि ED ने साल 2015 से और 2022 तक देशभर में कुल 3010 छापे मारे। जबकि साल 2005 से 2014 तक ED ने 112 छापे मारे। यानी यूपीए काल बनाम मोदी सरकार।
इन आँकड़ों से आख़िर क्या साबित होता है? इनका ज़िक्र बेस्ट शिक्षा मंत्री की गिरफ़्तारी के बाद से ‘बोलने की आज़ादी’ के नायक कर रहे हैं लेकिन सवाल यही है कि इन आँकड़ों से क्या साबित होता है? कि किसी की जाँच ना की जाए? संवैधानिक संस्थाओं को बिठाकर पगार खिलाई जाती रहे? या लोगों में नियम और क़ानून का बराबर भय बना रहे? रेड और सर्वे तो बीबीसी का भी हुआ, रेड तो केरल के ज्वैलर पर भी पड़ी, रेड तो PFI के ठिकानों पर भी पड़ी, लेकिन सवाल ये है कि जब आप ग़लत हैं ही नहीं तो आख़िर भय किसका है? क्या आम आदमी पार्टी और इसके नेताओं कि आस्था बापू और भगत सिंह पर सिर्फ़ इतनी ही थी?