क्या आप घर बैठे लाखों रूपए कमाना चाहते हैं? या आप किसी आम आदमी पार्टी के विधायक या नेता के रिश्तेदार हैं? अगर हैं तो आपके लिए दिल्ली सरकार एक शानदार ऑफर ले कर आई है।
विधायक की पत्नी हैं, तनख्वाह 2 लाख से अधिक,विधायक के मामा का लड़का, तनख्वाह डेढ़ लाख से अधिक, बुआ का लड़का हो या चाचा का लड़का सभी को हर महीने लाखों लाख रूपये तनख्वाह दी जा रही है।
क्या है मामला?
दिल्ली के उपराज्यपाल ने कुछ दिन पहले दिल्ली सरकार द्वारा 437 लोगों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया। ये 437 लोग किसी न किसी रूप में आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए हैं। नौकरी पाने वाला हर कोई पार्टी के किसी न किसी नेता का रिश्तेदार है या फिर इन नेताओं का PA रह चुका है। जैसे ही मामले ने तूल पकड़ा तो इन लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट डीएक्टिवेट कर दिए गए।
लेकिन आप चिंता न करें, हम आपको इन स्वघोषित ईमानदार लोगों के नाम बताएंगे।
नौकरी पाने वाले ये सभी ‘स्पेशलिस्ट’ बताए गए। इनके लिए बकायदा ये नए पद तैयार किये गए। सबसे बड़ी और हैरानी की बात ये कि संविधान की धज्जियां ही उड़ा दी गयी। नियम है कि कोई भी परमानेंट या कंट्रैक्चुअल रिक्रूटमेंट हो तो उसमें SC/ST या obc के लिए पद सुरक्षित किये जाएंगे। लेकिन इन नियमों का भी पालन नहीं हुआ।
सामने आई लिस्ट
अब ये लिस्ट देखिये कैसे-कैसे पद बनाये गए हैं, सबको किसी न किसी विभाग का मीडिया एडवाइजर बना दिया गया है। मुख्यमंत्री के तो दो- दो सोशल मीडिया एडवाइजर हैं और तनख्वाह देखिये। औसतन देखा जाए तो हर एक पर लाख रूपए उड़ाए गए हैं।
बवाल तब हुआ जब इसमें मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक तक सबकी संलिप्तता सामने आई। इसमें आम आदमी पार्टी के किन-किन विधायकों और मंत्रियों के रिश्तेदार शामिल हैं।
अरविन्द केजरीवाल भी इसमें शामिल हैं। एक नाम है स्वाति, बताया जा रहा है कि ये मुख्यमंत्री केजरीवाल की साली साहिबा हैं। अरविन्द केजरीवाल के पर्सनल सिक्योरिटी में शामिल राम कुमार झा, मनीष सिसोदिया के साले का लड़का, दुर्गेश पाठक की पत्नी आंचल पाठक, दुर्गेश पाठक के मामा का बेटा देव मोहन पाठक, दिलीप पांडे का प्रतिनिधि। यही नहीं अभी और सुनिए। संजीव झा का छोटा भाई, गोपाल राय की बुआ का लड़का, गोपाल राय के मामा का लड़का, गोपाल राय का भतीजा।
इसके अलावा आरपी गौतम, नितिन त्यागी, हाजी यूनुस इमरान हुसैन, राखी बिरला, सभी से किसी न किसी प्रकार से जुड़े हुए लोग इस लिस्ट में शामिल हैं। सैलरी तो आप देख ही चुके हैं डेढ़ लाख से 2 लाख 20 हज़ार रुपए तक।
क्या है समाधान
ये रेवड़ियां आम आदमी पार्टी के हिस्से आई लेकिन इनका खर्चा आया दिल्ली की जनता के हिस्से। उस जनता के जो मेहनत से पैसा कमाती है और फिर सरकार को टैक्स देती है।
क्यों न अब इनकी सैलरी में खर्च हुआ हिस्सा, इनसे ही वसूला जाए? दिल्ली के उपराज्यपाल ऐसा कर सकते हैं। इसके समर्थन में उनके पास कलकत्ता हाईकोर्ट का एक फैसला भी है।
पश्चिम बंगाल में टीचर भर्ती घोटाले में धांधली हुई और नियमों का उल्लंघन करके अध्यापकों की भर्ती हुई। जब कलकत्ता हाईकोर्ट ने नियुक्तियों को रद्द किया तो यह आदेश भी दिया कि जो सैलरी दी गयी है उसे इन टीचर्स से ही वापस लिया जाना चाहिए।
ऐसे ही दिल्ली में जब नियुक्तियों में धांधली हुई है और सरकारी नियमों की अनदेखी की गई है, तब क्या केवल इन्हें टर्मिनेट किया जाना काफ़ी है? क्या इन लोगों को पेमेंट की गई सैलरी वापस नहीं ली जानी चाहिए?
क्या आम आदमी पार्टी से इसकी वसूली नहीं की जानी चाहिए? जब पंजाब में आम आदमी पार्टी गैंगस्टर मुख़्तार पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा खर्च की गयी राशि, उन्हीं से वसूल सकती है तो ये मापदंड दिल्ली में क्यों नहीं अपनाया जा सकता?