सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई का आज 11वां दिन है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में संविधान पीठ मामले को सुन रही है।
20 से ज्यादा याचिकाओं में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के फैसले को चुनौती दी गई। याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलीलें पेश की जा चुकी हैं। सोमवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र सरकार की ओर से दलील पेश कर रहे हैं।
इस सुनवाई के दौरान आज चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अनुच्छेद 35-A को लेकर कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान में अनुच्छेद 35-A को लाने से नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है।
- उनके अनुसार, इससे अनुच्छेद 16(1) में निहित व्यापार के अधिकार, जो कि मौलिक अधिकार है, उसका हनन हुआ है।
- अनुच्छेद 35-A के कारण अनुच्छेद 19 (1) एवं अनुच्छेद 31 के अंतर्गत भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में सम्पति खरीदने के अधिकार का हनन हुआ है।
- इसके अलावा अनुच्छेद 19(1)(C) के अंतर्गत भारत के राज्य क्षेत्र के किसी भी भाग में निवास करने और बस जाने के मूल अधिकार का हनन हुआ है।
यह टिप्पणियां इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इससे पूर्व चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि जम्मू-कश्मीर ने अपनी संप्रभुता पूरी तरह से (‘Absolutely and completely’) भारत को सौंपी है।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से कहा, “यह भारत के प्रभुत्व के लिए संप्रभुता का कोई सशर्त आत्मसमर्पण नहीं था, संप्रभुता का समर्पण बिल्कुल पूर्ण था”।
साथ ही, सुप्रीम कोर्ट का मानना था कि 1948 में जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के दस्तावेज (आईओए) को जम्मू कश्मीर संविधान में शामिल किए जाने के बाद विलय के दस्तावेज को संसद की शक्ति के लिए बाध्यकारी नहीं कहा जा सकता है।