भारत के सेनाप्रमुख जनरल मनोज पांडे को 5 सितम्बर को नेपाल के राष्ट्रपति भवन शीतल महल में नेपाली सेना के मानद जनरल की उपाधि नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के द्वारा दी गई।
भारत के थल सेना प्रमुख मनोज पांडे नेपाल के 4 दिवसीय दौरे पर हैं, वह 05 सितम्बर से लेकर 08 सितम्बर तक नेपाल के दौरे पर रहेंगे। यह उनका सेनाध्यक्ष बनने के बाद पहला नेपाल दौरा है। इस दौरान उनके नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी, नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और नेपाल के सेनाध्यक्ष राम बहादुर शर्मा से वार्ता के कार्यक्रम तय हैं।
क्या है परम्परा ?
भारत और नेपाल की एक दूसरे के सेनाप्रमुखों को मानद जनरल की उपाधि देने की यह परम्परा 72 वर्ष पुरानी है, इसे 1950 में शुरू किया गया था, भारत भी नेपाल के सेना प्रमुख को भारतीय सेना के मानद जनरल की उपाधि देता है।
सर्वप्रथम ,पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा को नेपाली सेना के मानद जनरल की उपाधि दी गई थी, तबसे यह परम्परा निरंतर चलती आ रही है।
जब भी भारत और नेपाल के सेनाप्रमुख एक-दूसरे देश का दौरा करते हैं तो उन्हें यह मानद उपाधि दी जाती है। नवम्बर 2020 में तत्कालीन भारतीय सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरावने को भी नेपाल दौरे के दौरान यह उपाधि दी गई थी।
वहीं नवम्बर 2020 में भारत दौरे पर आये नेपाली सेना प्रमुख प्रभु राम शर्मा को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में भारतीय सेना के मानद जनरल की उपाधि प्रदान की थी।
कैसे दी जाती है उपाधि ?
दोनों देशों में होने वाले यह समारोह समबन्धित राष्ट्र के राष्ट्रपति भवन में होते हैं। इस भव्य समारोह में सम्बंधित देश के राष्ट्रपति सेना प्रमुख की पोशाक में सजी म्यान में तलवार रखते है, उसको अपने राष्ट्र की सेना के जनरल के द्वारा पहनी जाने वाली टोपी देते हैं, जिसे सेना प्रमुख राष्ट्रपति के समक्ष ही पहनते हैं और राष्ट्रपति को सैल्यूट करते हैं, इसके अतिरक्त उन्हें उपाधि का एक पत्र भी दिया जाता है।
भारत और नेपाल के मध्य सैन्य-सम्बन्ध
भारत और नेपाल के मध्य सैन्य समबन्ध हमेशा से अत्यंत ही प्रगाढ़ रहे हैं, दोनों सेनाओं का एक दूसरे के सेना प्रमुख को अपनी सेना के जनरल की मानद उपाधि देना और नेपाली गुरखाओं का अदम्य साहस और शौर्य के साथ भारत की सेना में सेवा देना इसके सबसे ज्वलंत उदाहरण है।
भारत की सेना से सेवानिवृत्त होकर बहुत सारे पूर्व सैनिक नेपाल में रह रहे हैं जिनके लिए सेना ने काठमांडू में भी अपना एक दफ्तर चालू रखा है, इसके अतिरक्त भारतीय सेना समय-समय पर सैन्य साजोसामान नेपाल की सेना को मुहैया कराती रही है, जिसमे एम्बुलेंस, माइंस प्रतिरोधी वाहन और सामान्य सैनिक वाहन आदि शामिल हैं।