1989 में अमिताभ बच्चन की एक फ़िल्म आई थी- मैं आजाद हूँ। फिल्म में एक जगह उनका एक संवाद कुछ यूँ है, “40 वर्ष में आप इंसान को एक ग्लास पानी नहीं दे सकते तो क्या कर सकते हैं आप?”
आपको अगर लग रहा है कि चालीस साल बाद ये हाल था तो हम बता दें कि पैंसठ साल बाद भी यही हाल था, अर्थात, 2014 में भी देश के सभी नागरिकों के लिए पीने का पानी उपलब्ध नहीं था।
आप यह जानकर डर जाएंगे कि 2019 तक देश के ग्रामीण क्षेत्र के सिर्फ 3.23 करोड़ घरों तक ही नल से जल पहुँच रहा था। जी हाँ, सरकारी आंकड़ें हैं कि सिर्फ 17 प्रतिशत घरों तक ही नल से जल की पहुँच थी।
शायद यह पीएम मोदी के आम भारतीय के जीवन की एक-एक समस्या को अनुभव कर लेने की समझ है कि वे जल के लिए एक आम भारतीय के इस संघर्ष को जानते और समझते हैं।
शायद इसलिए भी कि गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए वे कच्छ जैसे जिले में लोगों के घर तक जल पहुँचा चुके थे। यही कारण है कि उन्होंने इससे निपटने की ठानी और 15 अगस्त, 2019 को Jal Jeevan Mission योजना लॉन्च की। इसके तहत पीएम मोदी ने लक्ष्य बनाया कि देश के हर घर तक नल से जल पहुँचाना है।
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Jal Jeevan Mission योजना के लागू होने के लगभग 5 वर्ष बाद अब जो आंकड़े आए हैं वो जानकर यह देश राहत की सांस ले सकता है। आज देश के लगभग 15 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल पहुँचने लगा है। इसका अर्थ है कि अब लगभग 80 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र के घरों तक पानी नल से पहुँच रहा है।
यह कोई सामान्य आंकड़ा नहीं है। नल से घर तक जल पहुँचाने के लिए बड़े स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत पड़ती है। लोगों का एक बड़ा नेटवर्क इसके लिए काम करता है।
इसमें तमाम तरह की भौगोलिक अड़चनें होती हैं। इसके बावजूद इतने कम समय में इतने बड़े स्तर पर लोगों के घरों तक नल से जल पहुँचा है तो इसे क्रांति नहीं तो और फिर क्या कहा जाएगा?
आज अगर अमिताभ बच्चन फिल्म बनाएं तो अब वे यह डायलॉग नहीं मार पाएंगे कि इतने वर्षों में लोगों को पीने का पानी नहीं दे पाए फिर क्या किया आपने। ख़ैर, एक सवाल यह उठ सकता है कि नल से जल पहुँचा दिया तो क्या हो गया। इससे क्या लाभ हुआ।
समझिए; ये सही है कि लोग पहले भी पानी तो पीते ही थे, लेकिन उसके लिए लोगों को पानी बाहर लेने जाना पड़ता था। विशेष तौर पर घरों की महिलाएं इसी काम में लगी रहती थी।
SBI की एक रिपोर्ट बताती है कि घर से बाहर जाकर पानी लाने के मामलों में 8.3 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि खेती और उससे जुड़ी गतिविधियों में महिलाओं की भागेदारी 7.4 प्रतिशत तक बढ़ी है। इसका अर्थ है कि जो महिलाएं पहले पानी लाने में जुटी रहती थी वे महिलाएं अब परिवार के लिए आय बढ़ाने के काम कर रही हैं।
इसके साथ ही Jal Jeevan Mission से कई तरह की बीमारियों से लोगों और विशेष तौर पर बच्चों और बुजुर्गों को बचाने में मदद मिली है।
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यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर जल जीवन मिशन सफल होता है तो इससे प्रत्येक वर्ष 5 वर्ष से छोटे लगभग 1,3600 बच्चों की मौत को रोका जा सकेगा। आज जल जीवन मिशन के आंकड़े यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि योजना सफल रही है।
WHO की एक रिपोर्ट में भी बताया गया था कि अगर Jal Jeevan Mission योजना सफल होती है तो बड़ी संख्या में डायरिया से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। इसके सिवाय और भी कई तरह की बीमारिया जो गंदा पानी पीने से होती हैं, उन्हें भी इससे कंट्रोल किया गया है।
इसके साथ ही पूरे देश में इसे लागू करने में बड़े स्तर पर लोगों को रोजगार मिला है। इस आधार पर एक बात कही जा सकती है कि यह योजना लोगों के लिए विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए वरदान बन गई है।