तेलंगाना में बृहस्पतिवार को चुनाव होने से कुछ घंटे पहले आधी रात के ऑपरेशन में, आंध्र प्रदेश सरकार ने कृष्णा नदी पर नागार्जुन सागर बांध के आधे हिस्से पर नियंत्रण कर लिया और पानी छोड़ दिया। जाहिर है कि वर्ष, 2014 में तेलंगाना के निर्माण के बाद से ही दोनों राज्यों में बांध को लेकर विवाद चल रहा है।
तेलंगाना की के.चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार ने एपी के वाईएसआरसीपी शासन द्वारा बांध के हिस्से पर कब्जा करने और बैरिकेडिंग करने के कदम के खिलाफ कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड (केआरएमबी) से शिकायत की है। ज्ञात हो कि केआरएमबी दोनों राज्यों को पानी आवंटित करता है।
राज्य के सिंचाई अधिकारियों के साथ एपी पुलिस के लगभग 400 पुलिसकर्मी बृहस्पतिवार को लगभग 1 बजे बांध में घुस गए। इस घटना से चुनावी मैदान में उतरी तेलंगाना पुलिस हैरान रह गई और इसके 36 गेटों में से आधे पर नियंत्रण कर लिया गया है।
जानकारी के अनुसार जब तक तेलंगाना के अधिकारी और नलगोंडा के कुछ पुलिसकर्मी बांध पर पहुंचे तब उनकी आंध्र प्रदेश के अधिकारियों के साथ बहस शुरू हो गई। हालांकि जब आंध्र प्रदेश के अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि वे अपनी सरकार के निर्देशों पर कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं, तो तेलंगाना के अधिकारी वापस लौट आए।
वहीं, आंध्र प्रदेश अधिकारी भी कथित तौर पर तेलंगाना से वाहनों को अनुमति नहीं दे रहे थे जब तक कि वे राज्य के पते के साथ आधार कार्ड नहीं दिखाते। तेलंगाना के अधिकारियों ने कहा कि आंध्र प्रदेश द्वारा तीन वर्ष पहले भी इसी तरह का प्रयास किया गया था लेकिन इसे विफल कर दिया गया था।
सीएम केसीआर के कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमारी जानकारी यह है कि आंध्र प्रदेश सरकार 10,000 क्यूसेक पानी छोड़ रही है। उन्होंने नियामक द्वारों के लिए अलग बिजली लाइनें प्रदान की हैं। इसका मतलब है कि आंध्र प्रदेश पिछले कुछ हफ्तों से इसकी योजना बना रहा है। उन्होंने सीसीटीवी कैमरों के साथ-साथ एक स्वचालित प्रवेश द्वार को भी नुकसान पहुंचाया है।
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